GST Slabs Rate
GST Slabs Rate Kavita Singh Rathore -RE
व्यापार

सरकार जल्द ही कर सकती है GST की दरों में बदलाव

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। पहली बार जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब कई टैक्सों से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार द्वारा एक गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) लागू किया गया था। जिसके तहत के 5 स्लैब (Slab) निर्धारित किये गए थे, अब GST की इन दरों में सरकार कुछ बड़े बदलाव करने पर विचार कर रही है। हालांकि, जब से GST लागू हुआ है, तब से GST की दरों में कई बार संशोधन होता रहा है। वर्तमान में GST के 5 स्लैब हैं।

GST के स्लैब :

  • 0 प्रतिशत टैक्स

  • 5 प्रतिशत टैक्स

  • 12 प्रतिशत टैक्स

  • 18 प्रतिशत टैक्स

  • 28 प्रतिशत टैक्स

क्या होगा बदलाव :

सरकार वर्तमान में मौजूद इन स्लैबों के बदले मात्र 3 स्लैब करने का विचार कर रही है। यदि सरकार GST की दरों में बदलाव करती है तो, फिर इन 3 स्लैब में 8%, 18% और 28% को शामिल किया जा सकता है, क्योंकि, GST को इन 3 स्लैब में ही करने पर जोर दिया जा रहा है। यह बदलाव इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए किया जाएगा कि, खाने-पीने की चीजों की कीमतों से महंगाई न बढ़ जाये।

GST की काउंसिल बैठक :

सरकार द्वारा फरवरी के आखिरी सप्ताह में जीएसटी काउंसिल (GST Council) की एक बैठक ली जाएगी और बैठक में कई अहम फैसले लिए जाएंगे। सरकार का इरादा ज्यादातर आइटम्स की कीमतें रेवेन्यू न्यूट्रल से थोड़ा ज्यादा रखने का है। खबरों के अनुसार, सरकार का विचार खाने-पीने से जुड़े खाद्य पदार्थों को लेकर एक अलग ही स्ट्रेटेजी अपनाने की है। सरकार सिर्फ खाद्य पदार्थो के लिए एक अलग ही स्लैब बना सकती है। बताते चलें, 1 जुलाई 2017 से देश में GST लागू हुआ था। जिसमें सभी अप्रत्यक्ष कर जैसे वैट, सर्विस टैक्स आदि शामिल किये गए थे। इसके साथ ही पांच उत्पादों पर GST के अलावा उपकर या सेस लगाने का फैसला भी सरकार ने लिया था।

क्या-क्या आएगा 3 स्लैब में :

यदि सरकार ने सभी प्रोडक्ट्स को 3 स्लैब में कर दिया तो, 18% वाले स्लैब में ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट्स आने की संभावना हैं। जबकि, लग्जरी और डी-मेरिट गुड्स को 28% वाले स्लैब में ही रखा जाएगा। बाकि बचे कुछ सस्ती कीमतों वाले प्रोडक्ट्स 8% वाले स्लैब में आएँगे।

क्या है GST ?

GST का मतलब होता है "Goods and Services Tax" GST एक तरह का Indirect Tax (अप्रत्यक्ष कर) है। इसे Destination Tax का नाम भी दिया गया है। अर्थात सरकार द्वारा किसी भी वस्तु और सेवाओं के इस्तेमाल करने पर जनता सरकार को कुछ % टेक्स देती है, वह Goods and Services Tax (GST) कहलाता है” और ये टैक्स सरकार ही निर्धारित करती है। जनता को इसे देना ही पड़ता है। GST के लागू होने से कई वस्तु और सेवाएं महंगी हो जाती हैं तो कई सस्ती भी।

GST का इतिहास:

दुनिया की बात करें तो पहली बार GST फ़्रांस में 1954 में लागू किया गया था। लेकिन भारत में पहली बार GST लागू करने का सुझाव विजय केलकर समिति ने दिया था। पहले संविधान के अनुसार सीमा और उत्पाद शुल्क के अलावा कोई टैक्स नहीं लिया जा सकता था। राज्यों को सर्विस टेक्स लगाने का अधिकार तक नहीं था। इसलिए संविधान में शोधन की आवश्यकता थी जिससे कुछ बदलाव हो सके। इन बदलावों के लिए संसद की जरूरत होती है। तब संसद में 122वां संविधान संशोधन बिल लाया गया। उसके बाद यह बिल लोकसभा से 3 अगस्त 2016 को और राज्यसभा से 8 अगस्त 2016 को पास हुआ।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT