City Cooperative Bank Crisis
City Cooperative Bank Crisis  Kavita Singh Rathore -RE
व्यापार

मुंबई: RBI द्वारा पाबंदी के बाद बैंक के ग्राहकों ने मचाया हंगामा

Author : Kavita Singh Rathore

हाइलाइट्स :

  • सिटी कोआपरेटिव बैंक पर मंडरा रहे संकट के बादल

  • रिजर्व बैंक (RBI) ने लगाई बैंक पर पाबंदी

  • ग्राहकों को करना होगा हजार रूपये में गुजारा

  • चेयरमेन ने कहा नहीं डूबेगा किसी का पैसा

राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ समय से देश में कई जगह पहले ही कैश को लेकर किल्लत चल रही थी और अब ऐसे में एक नई खबर सामने आई है कि, मुंबई के गिरगांव के सिटी कॉपरेटिव बैंक पर रिजर्व बैंक (RBI) ने पाबंदी (City Cooperative Bank Crisis) लगा दी है। जिसके चलते सिटी कोआपरेटिव बैंक के ग्राहक 6 महीने में मात्र 1000 रूपये ही निकाल सकेंगे। इस खबर से मुंबई में बैंक के ग्राहकों में तहलका मचा हुआ है, उन्होंने कल रात गिरगांव बैंक ब्रांच के बाहर जम कर हंगामा किया।

पहले से लगी है पाबंदी :

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सिटी कोआपरेटिव बैंक पर यह पाबंदी बहुत पहले से लगी है। जी हां, रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा साल 2017 के दिसंबर माह में सिटी कोआपरेटिव बैंक पर यह पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन बैंक ने ग्राहकों को इस बात की जानकारी नहीं दी और सबसे छुपा कर रखा। बैंक पर यह पाबंदी ग्राहकों से लोन न वसूल पाने और NPA बढ़ जाने के कारण लगी है।

बैंक के चेयरमेन का कहना :

सिटी कोआपरेटिव बैंक के चेयरमेन शिव सेना सांसद आनंद अडसुल है, इस गर्मागर्मी के माहौल में उन्होंने जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा कि, "बैंक 75 सालों से जनता के भरोसे से ही अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता आ रहा है, बैंक किसी का भी पैसा डूबने नहीं देगा।"

बैंक से जुड़ी कुछ जानकारी :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, मुंबई में सिटी कोआपरेटिव बैंक की कुल 10 ब्रांच हैं तथा इनमें कुल अकाउंट की संख्या 51,000 है। सभी बैंको में ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है और बैंक के ग्राहकों में गुस्से का माहौल है, उनका गुस्सा इस बात को लेकर है कि, उन्हें इस बात की जानकारी पहले क्यों नहीं दी गई, अगर उन्हें इस बात की जानकारी होती तो, वह अपना पैसा पहले ही निकाल सकते थे। वहीं बैंक की किसी अन्य बैंक से विलय को लेकर बात चल रही है, हालांकि इसकी कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।

बैंक का कहना :

बैंक ने बताया कि, यदि बैंक ग्राहकों को इस बात की जानकारी पहले ही दे देता तो, ग्राहक अपनी पूरी धन राशि बैंक से निकाल लेते और बैंक के पास कोई भी एसेट्स नहीं बचता, जिससे उसे किसी अन्य बैंक से विलय करने में बहुत परेशानी आती और ऐसी स्थिति देखते हुए कोई बैंक सिटी कोआपरेटिव बैंक के साथ विलय भी नहीं करता।

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