हाइलाइट्स :
WHO ने जताई सुरक्षा पर चिंता
अस्पताल स्टाफ को बरतनी होगी सावधानी
WHO की चर्चा में कोविड पर हुए कई बड़े खुलासे
बताया कार्डबोर्ड-प्लास्टिक से डरता है कोरोनावायरस
राज एक्सप्रेस। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन से जुड़े आला अधिकारियों ने कोविड-19 के मामले में निपटने के कई देशों के रवैये पर चिंता जताई है। मीडिया से चर्चा में कोरोना वायरस से निपटने और हवा-पानी समेत स्टील, तांबा, प्लास्टिक जैसी चीजों पर उसकी ताकत के बारे में भी जानकारों ने अपनी राय दी।
“एयरबोर्न प्रिकॉशंस”- अध्ययन के उपरांत कोरोना वायरस के हवा में जीवित रहने का राज पता चलने के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) का मानना है मेडिकल स्टाफ के लिए “एयरबोर्न प्रिकॉशंस” बरतना जरूरी है।
कुछ अध्ययन से कोरोनावायरस के हवा में कुछ स्थिति में जीवित रहने की बात सिद्ध होने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मेडिकल स्टाफ के लिए “एयरबोर्न प्रिकॉशंस” यानी “वायु जनित सावधानी” बरतने पर विचार कर रहा है।
गर्मी और आर्द्रता-
डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि, कोरोनो वायरस गर्मी और आर्द्रता से जुड़ी हवा की कुछ खास दशाओं में बना रह सकता है। WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने पिछले दिनों जेनेवा स्थित WHO मुख्यालय में COVID-19 (कोविड-19) वायरस पर एक दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में मीडिया को अहम जानकारी दी।
केरखोव की राय-
अधिकतर छींकने, खांसने-खकारने में मुंह से बाहर निकलने वाली छोटी बूंदों या सूक्ष्म तरल कण से वायरस मनुष्यों में पहुंच जाता है। WHO की उभरती बीमारियों एवं पशुजन्य रोग विभाग प्रमुख डॉक्टर मारिया वैन केरखोव ने मीडिया को इस बारे में बताया।
"जब आप एक चिकित्सा देखभाल सुविधा में की जाने वाली एयरोसोल-उत्पन्न करने की प्रक्रिया करते हैं, तो एयरोसोलाइज में इसकी संभावना है कि इस प्रक्रिया में उत्पन्न कुछ कण थोड़ी देर हवा में रह सकते हैं।"डॉक्टर मारिया वैन केरखोव, WHO
क्या है एयरोसोल-
दरअसल एयरोसोल चिकित्सा विज्ञान की विधि है, जिसमें किसी ठोस अथवा तरल औषधि या अन्य पदार्थ के कणों का किसी गैस में निलंबन होता है। जिसको बारीक छिड़काव के रूप में रोगी पर प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा: "यह बहुत महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मी जब मरीजों की देखभाल कर रहे हों और मेडिकल की इन प्रक्रियाओं में शामिल हों तो वे अतिरिक्त सावधानी बरतें।"
निर्जीव चीज से भी सावधान -
विश्व स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि, मानव-से-मानव संपर्क, छींक और खांसी के साथ-साथ निर्जीव वस्तुओं पर छोड़े गए कीटाणुओं के माध्यम से श्वसन रोग फैलता है। कोरोनो वायरस हवा में भी मौजूद रह सकता है। इसमें गर्मी और आर्द्रता जैसे कारकों का बड़ा हाथ होता है। गर्मी-आर्द्रता की खास दशाओं में इस वायरस का वायु में भी वजूद बरकरार रहता है।
सतहों पर प्रभाव-
केरखोव ने कहा स्वास्थ्य अधिकारियों को कई देशों के कई अध्ययनों में पता चला है कि, विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में COVID-19 बना रह सकता है। उन्होंने कहा कि, वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि नमी, तापमान और पराबैंगनी प्रकाश से इस बीमारी पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही विभिन्न सतहों पर कब तक इसका अस्तित्व बरकरार रहता है।
उन्होंने कहा “स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए सूचना का उपयोग करते हैं कि डब्ल्यूएचओ का मार्गदर्शन उचित है, और "अब तक...हमें विश्वास है कि हमारे पास जो मार्गदर्शन है वह सही है।" आगे उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारी मेडिकल स्टाफ को N95 मास्क पहनने की सलाह देते हैं क्योंकि वे सभी तरल या हवाई कणों को लगभग 95% फ़िल्टर करते हैं। लेकिन सतर्कता बरतें।
"स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में, हम सुनिश्चित करते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मी मानक स्तर के सूक्ष्म बूंद रोधी सुरक्षा मानकों का प्रयोग करें। इसलिए संगठन अब एयरोसोल-जनरेटिंग प्रक्रिया की दिशा में खास ध्यान देगा।
CDC का दावा-
अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड ने पिछले महीने बताया था कि, एजेंसी इस बात का ताबड़तोड़ मूल्यांकन कर रही थी कि COVID-19 कितने समय तक खासकर किन सतहों पर बरकरार रहता है।
रेडफील्ड ने एक हाउस की सुनवाई में कहा, डायमंड प्रिंसेस क्रूज जहाज पर इसके फैलने में हवा के बजाय विभिन्न सतहों से संक्रमण का हाथ हो सकता है।
WHO के जनरल डायरेक्टर घेब्रेयेसस ने अलग से कहा कि, “पिछले कुछ दिनों में COVID-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि, “हम परीक्षण, अलगाव और संपर्क परीक्षण की दिशा में तात्कालिक रूप से सुधार में पर्याप्त वृद्धि नहीं देख रहे हैं। जो कि मौजूदा परिस्थितियों में बहुत अहम है।"
टेड्रोस ने कहा- “हमारे पास सभी देशों के लिए एक सरल संदेश है: परीक्षण, परीक्षण और सिर्फ परीक्षण। हर संदिग्ध मामले का परीक्षण करें, यदि उनका टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो उन्हें चिकित्सा यूनिट में रखें। साथ ही पता लगाएं कि वे रोग के लक्षणों के विकसित होने से पहले दो दिनों से किसके संपर्क में था और साथ ही संपर्क में आने वालों का भी परीक्षण किया जाए।”
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर ।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।