लोन मोरेटोरियम: अब और राहत देने के मूड में नहीं सरकार-SC में हलफनामा दाखिल
लोन मोरेटोरियम: अब और राहत देने के मूड में नहीं सरकार-SC में हलफनामा दाखिल Social Media
भारत

लोन मोरेटोरियम: अब और राहत देने के मूड में नहीं सरकार-SC में हलफनामा दाखिल

Author : Priyanka Sahu

लोन मोरेटोरियम: देश में कोरोना महामारी के कारण जब देश में लॉकडाउन हुआ था, तब रिजर्व बैंक द्वारा लोगों को आर्थिक तौर पर राहत देने के लिए लोन की EMI भुगतान टालने यानी मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरेटोरियम के मामले पर नया हलफनामा दाखिल किया है।

हलफनामे में सरकार ने कहा :

केंद्र की तरफ से दाखिल हलफनामे में साफतौर पर कहा- सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स को वित्तीय पैकेजों के माध्यम से पर्याप्त राहत पैकेज दिया है, मौजूदा महामारी के बीच अब यह संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए। 2 करोड़ तक के ऋण के लिए चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज पर ब्याज) माफ करने के अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।

चक्रवृद्धि ब्याज की छूट और ऋण पर विभिन्न क्षेत्रों को राहत देने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया कि, ''2 करोड़ तक के ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के तौर तरीकों को कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जारी किया जाएगा।'' इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया'

सुप्रीम कोर्ट वित्तीय नीतियों के मामले में हस्तक्षेप न करे, जनहित याचिका के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए राहत की मांग नहीं की जा सकती।

चक्रवृद्धि ब्याज माफी योजना :

हलफनामे में केंद्र ने बताया है कि, ''बैंकों को अधिसूचना की तारीख से एक महीने के भीतर चक्रवृद्धि ब्याज माफी योजना को लागू करना होगा, 3 लाख करोड़ रुपये की MSME- इमरजेंसी क्रेडिट पॉलिसी पहले ही लॉन्च की गई, ताकि वे नियमित परिचालन में वापस आ सकें।

बता दें, पिछले सप्ताह ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये बताया था कि, वो 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर देय 'ब्याज पर ब्याज' को माफ करने के लिए तैयार है। आरबीआई ने मार्च से अगस्त महीने तक के लिए आम लोगों को राहत देते हुए लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था ताकि मौजूदा महामारी के बीच उन्हें हर महीने EMI चुकाने से राहत मिल सके। इसके बाद बीते सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि, ''लोन पर ब्याज पर ब्याज माफ करना संतोषजनक नहीं है और इस दौरान कोर्ट ने सरकार से इसे रिवाइज करने को कहा था।''

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