J&K में विधानसभा सीटें बढ़ाने को लेकर Delimitation Commission का बड़ा फैसला
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जम्मू और कश्मीर

J&K में विधानसभा सीटें बढ़ाने को लेकर Delimitation Commission का बड़ा फैसला

Author : Priyanka Sahu

जम्मू-कश्मीर, भारत। देश की जन्नत कहे जाने वाले केंद्र शासित प्रदेश जम्‍मू कश्‍मीर में परिसीमन की प्रक्रिया खत्‍म होने के बाद यहां विधान सभा की सीटों में बढ़ोत्‍तरी होगी। इस बारे में आज शुक्रवार को परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का बयान आया है।

कब खत्‍म होगी परिसीमन की प्रक्रिया :

दरअसल, जम्‍मू कश्‍मीर में परिसीमन की प्रक्रिया अभी जारी है, जो अगले साल 2022 में मार्च तक खत्म हो जाएगी और इसके बाद यहां विधान सभा की 7 सीटें बढ़ेंगी और केंद्र शासित प्रदेश में अगले साल तक चुनाव कराए जा सकेंगे। जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए परिसीमन आयोग ने आज शुक्रवार को कहा कि, 'परिसीमन की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी कर ली जाएगी।'

परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) के चेयरपर्सन रंजना प्रकाश देसाई और सदस्य सुशील चंद्रा, केके शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी देते हुए अपने बयान में ये बातें कही है-

हम यहां तीन दिनों से है, सभी दलों विचारों को लिखा गया है। हम कानून के हिसाब से काम करेंगे, भविष्य में दोबरा आएंगे। पिछले परिसीमन पर 12 जिले थे, लेकिन अब प्रदेश में 20 जिले हैं। आयोग के सदस्यों ने 290 से अधिक दलों और संगठनों से मुलाकात की, जिसमें 800 के आसपास सदस्य थे। इन दलों ने परिसीमन पर खुशी जताई, कुछ दलों ने राजनतिक आरक्षण की भी मांग की। सभी दलों और संगठनों को सुनने के बाद एक ड्राफ्ट बनाया जाएगा, जिसे बाद में सार्वजनिक किया जाएगा, जिसके बाद फाइनल ड्राफ्ट बनाया जाएगा। हमारा उद्देश्य सभी को साथ लेकर चलना है।
परिसीमन आयोग के चेयरपर्सन रंजना प्रकाश देसाई
परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें होंगी। हमें अनुसूचित जाति के लिए भी सीटें रिजर्व करनी हैं। ऐसा पहली बार होगा। आयोग ने राजनीतिक दलों और जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा

परिसीमन 2011 की जनगणना पर आधारित होगा :

इसके अलावा परिसीमन आयोग के चेयरपर्सन देसाई द्वारा ये बात भी कही गई है कि, ''हमारे लिए जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। परिसीमन 2011 की जनगणना पर आधारित होगा, हालांकि इसमें भौगोलिक स्थितियों और लोगों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाएगा।पिछले परिसीमन में भौगोलिक स्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया था।''

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