सुप्रीम कोर्ट ने दिया मध्यप्रदेश के पक्ष में फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिया मध्यप्रदेश के पक्ष में फैसला Social Media
मध्य प्रदेश

बासमती चावल को जीआई टैग की जागी उम्मीदें, मद्रास हाईकोर्ट को करना होगा पुनर्विचार

राज एक्सप्रेस

भोपाल, मध्यप्रदेश। बासमती चावल पर जीआईटैग को लेकर मध्यप्रदेश की उम्मीदें फिर जाग गई है। दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार को सुप्रीमकोर्ट में इस मामले में बड़ी सफलता मिली है। सुप्रीमकोर्ट ने मध्यप्रदेश की याचिका पर फैसला दिया है कि मद्रास हाईकोर्ट मध्यप्रदेश की जीआईटैग संबंधित याचिका पर पुनर्विचार करें। इसमें मध्यप्रदेश के तर्कों को ध्यान में रखकर फैसला दें। इससे मध्यप्रदेश के बासमती को जीआई टैग मिलने की संभावना फिर बन गई है।

राजएक्सप्रेस ने उठाया था मुद्दा :

मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देने का मुद्दा पत्रिका ने लगातार उठाया है। पत्रिका ने इस पर सिलसिलेवार अनेक खबरें प्रकाशित की। जब मद्रास हाईकोर्ट के इंकार के बाद जीआईटैग की उम्मीदें धूमिल हुई थी, तब भी राजएक्सप्रेस ने वापस जीआईटैग लाने के प्रयासों के सुझाव सहित खबरें दी थी। दरअसल, प्रदेश के 13 जिलों में बासमती चावल होता है। यह दूसरे देशों में भी निर्यात होता है, लेकिन जीआईटैग न होने से यहां के किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता। प्रदेश के मुरैना, भिंड, ग्वालियर, श्योपुर, दतिया, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, जबलपुर और नरसिंहपुर में बासमती होता है।

ये है मामला :

मद्रास हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के बासमती को जीआईटैग देने की राज्य सरकार की याचिका को नकार दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने जीआई टैग देने से इंकार किया था। इस फैसले के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीमकोर्ट गई थी। इसमें मध्यप्रदेश सरकार ने 70 साल से ज्यादा के रिकार्ड बासमती के मध्यप्रदेश में उत्पादन को लेकर रखे व तर्क दिए। इस पर अब सुप्रीमकोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट को पुनर्विचार के लिए कहा है। पंजाब व दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों के किसानों व सरकार के आवेदन पर उन्हें बासमती पर जीआई टैग मिला था। इसलिए मध्यप्रदेश सरकार भी सुप्रीमकोर्ट में पहुंची। इसमें इन राज्यों से भी ज्यादा पुराने बासमती उत्पादन के रिकार्ड सुप्रीमकोर्ट में दिए गए।

यूं आया बड़ा टर्न :

दरअसल, मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग देने के मामले में बड़ा टर्न एपीडा (राष्ट्रीय कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के डायरेक्टर के पद पर मध्यप्रदेश के ही चेतन सिंह की नियुक्ति के बाद आया। एपीडा का बोर्ड पूर्व में मध्यप्रदेश के दावे को खारिज कर चुका था, लेकिन चेतन सिंह ने एपीडा प्रमुख बनने के बाद वापस बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग की। इसमें मध्यप्रदेश के रिकार्ड व दावों को लेकर पुनर्परीक्षण किया किया। इस पर मध्यप्रदेश के दावे सही पाए, तो एपीडा ने निर्णय बदलकर मध्यप्रदेश के बासमती चावल को जीआईटैग देने अपनी मंजूरी दे दी। मध्यप्रदेश सरकार ने एपीडा की इस मंजूरी का तर्क भी सुप्रीमकोर्ट में पेश किया था।

अब आगे क्या :

अब मद्रास हाईकोर्ट में राज्य सरकार वापस पुनर्विचार की याचिका दायर करेगी। इसमें सुप्रीमकोर्ट के निर्णय का आधार देकर आवेदन दिया जाएगा। इसके बाद इस पुनर्विचार केस में सुप्रीमकोर्ट में पेश किए गए तथ्य, रिकार्ड और एपीडा द्वारा मंजूरी देने संबंधित निर्णय के दस्तावेज दिए जाएंगे। इनके आधार पर मध्यप्रदेश के बासमती को जीआई टैग देने की मांग की जाएगी।

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