बांधवगढ़ में टिकटों की कालाबाजारी
बांधवगढ़ में टिकटों की कालाबाजारी Kamlesh Yadav
मध्य प्रदेश

बांधवगढ़ में टिकटों की कालाबाजारी

Author : Kamlesh Yadav

राज एक्सप्रेस। विश्व विख्यात पर्यटन स्थल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व फिर एक बार टिकट की कालाबाजारी के कारण सुर्खियों में है, लगातार पार्क में सफारी करने वाले पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है और दूरदराज से आए पर्यटकों को लाइन में रहना पड़ता और वह अपने परिवार सहित रात 2 बजे से लाईन में खड़े रहते हैं, खबर है कि कुछ लोगों को प्रबंधन द्वारा टिकट फोन द्वारा उपलब्ध कराई जाती है, जब पर्यटकों द्वारा उपरोक्त व्यक्ति और टिकटों के बारे मे पूछा जाता है तो, प्रबंधन के द्वारा आसानी से कह दिया जाता है कि वीआईपी कोटे से दिया गया है। जब वीआईपी कौन है, कहां से आए और किसके निर्देश पर टिकट उपलब्ध कराई गई पूछा, तो प्रबंधन के लोग मौन हो जाते हैं।

नहीं होगा कोई वीआईपी :

पर्यटकों की मानें और राजपत्र, वीआईपी सूची के निर्देश यदि पढ़ा जाए तो, कहीं ऐसा निर्देश नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को फोन से टिकट दे दिया जाए। केवल कुछ प्रोटोकॉल अधिकारी हैं, जिनका टिकट से कोई लेना-देना नहीं है, उनके नियम अलग हैं। किन्तु वीआईपी के नाम को बदनाम कर टिकट की काला बाजारी का खेल जारी है। माह सितम्बर में मुख्यमंत्री के समक्ष मीटिंग में साफ कहा गया था, जो भी टिकट खाली होगी, उनको लाइन में लगे पर्यटकों को वितरण की जाएगी।

फोन पर बंट रही टिकट :

नियमों की मानें तो बची हुई टिकट बांधवगढ़ में किसी वीआईपी कोई नहीं दिया जायेगा और पर्यटकों को अधिक से अधिक टिकट उपलब्ध कराई जाएंगी, किंतु पार्क प्रबंधन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व शायद इन बातों को भूल चुका है, यदि पर्यटन राजपत्र देखें, तो उसमें किसी भी बात का ऐसा जिक्र नहीं है कि फील्ड डारेक्टर के कोटे की टिकट फोन से अथवा वीआईपी कह कर किसी को भी दे दी जाए।

बिना टिकट वाहन प्रवेश :

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सिर्फ टिकट तक ही भ्रष्टाचार सीमित नहीं है, कुछ सरकारी वाहन हैं जो बगैर टिकट के पार्क के अंदर प्रवेश करते हैं, जिनमें न कोई वीआईपी होते हैं न कोई सरकार की अनुमति होती है। यदि राजपत्र में पारित नियमों को देखा जाय तो साफ शब्दों में लिखा है कि बगैर अनुज्ञा पत्र की कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश नहीं कर सकता, किंतु पार्क प्रबंधन बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के भीतर आए दिन देखा जाता है कि चार से पांच गाड़ियां बगैर टिकट के पार्क प्रवेश करती हैं। सरकार चाहे कितने भी ठोस कदम भ्रष्टाचार अधिकारियों के खिलाफ क्यों न उठा ले, लेकिन अधिकारी कहीं न कहीं से, कोई न कोई काली कमाई का जरिया ढूंढ ही लेते हैं।

हमे क्षेत्र संचालक के निर्देश आते हैं और मोबाइल पर मैसेज टिकट देने वाले के नाम आते हैं, हम उपरोक्त आधार पर टिकट वितरण करते हैं।
बीनू सिंह गहरवार तत्कालीन पर्यटन प्रभारी

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