जीपीएस रीडिंग से सामने आयेगी विस्टा की करतूत
जीपीएस रीडिंग से सामने आयेगी विस्टा की करतूत Afsar Khan
मध्य प्रदेश

उमरिया : जीपीएस रीडिंग से सामने आयेगी विस्टा की करतूत

Author : Afsar Khan

उमरिया, मध्य प्रदेश। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के पनपथा क्षेत्र के इको सेस्टिव जोन के दायरे में जाजागढ़ और उसके आस-पास के क्षेत्र में कटनी जिले में रेत का ठेका लेने वाली भोपाल की विस्टा कंपनी के द्वारा पूरा मानसून सत्र में पिपही, जोडारी व उमरार नदी को छलनी करने का काम किया गया, बेदस्तूर किये गये अवैध उत्खनन और परिवहन का मामला वन मंत्री विजय शाह तक पहुंचा था, जिसके बाद उन्होंने बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक वीसेंट रहीम को जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।

वन मण्डल ने भेजा प्रतिवेदन :

जांच से पहले उमरिया और कटनी की सीमा पर लगे बरही व बडवारा वन परिक्षेत्र में हुए अवैध उत्खनन व परिवहन पर वन विभाग कटनी के अधिकारियों ने जो भी कार्यवाहियां की थी, उसका प्रतिवेदन बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने वन मण्डलाधिकारी कटनी से मांगा था, वन विभाग के द्वारा टाईगर रिजर्व को प्रतिवेदन भेज दिया गया है, ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके। वहीं वन मंत्री के समक्ष कटनी डीएफओ रमेश चंद्र विश्वकर्मा ने यह साफ कर दिया था कि जाजागढ़-बांधवगढ़ के दायरे में आता है।

पंचनामें तक सीमित रही कार्यवाही :

अनुबंध के बाद से ही विस्टा के द्वारा बांधवगढ़ से सटे जाजागढ़, लोहनवारा में अवैध उत्खनन और परिवहन कराया गया, मानसून सत्र में तो कंपनी ने अधिकारियों को अपनी गोद में बिठाकर रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का ताण्डव करवाया, वन परिक्षेत्र बरही और बड़वारा में बैठे अधिकारियों की कार्यवाही केवल पंचनामा बनाने तक ही सीमित रही, वहीं इतना जरूर था कि मामला पनपथा रेंज के अधिकारियों तक पहुंचा था, तो उन्होंने कार्य को रूकवाने का काम जरूर किया।

जीपीएस रीडिंग तय करेगी :

जांच में शामिल अधिकारियों का कहना है कि कटनी से आये प्रतिवेदन के बाद जिस क्षेत्र में विस्टा कंपनी के द्वारा उत्खनन और परिवहन किया गया है, उसकी जीपीएस रीडिंग लेने के बाद आगे की कार्यवाहियां तय होंगी कि कंपनी ने बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के इको सेस्टिव जोन से कितनी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन कर परिवहन किया है, उस हिसाब से वन अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत कार्यवाहियां शुरू होंगी। रीडिंग में यह तय हो सकता है कि कंपनी की काली करतूत जिस पर वह सफेद चोला डालने की कोशिश कर रहे हैं, कहां तक उनके लिए सही होगी।

इनका कहना है :

उक्त क्षेत्र हमारे दायरे में नहीं आता, वह बांधवगढ़ का इको सेस्टिव जोन है, जो कार्यवाही की गई थी, उसका पंचनामा पार्क के अधिकारियों को भेज दिया गया है।
रमेश चंद्र विश्वकर्मा, डीएफओ, कटनी
जीपीएस रीडिग़ सहित अन्य तकनीकों से पूरे मामले की जांच की जायेगी, साथ ही कटनी से आये दस्तावेजों के आधार पर जांच शुरू होगी। जिससे यह तय हो सकेगा कि इको सेस्टिव जोन से कितनी मात्रा में उत्खनन किया गया है, जल्द ही इसकी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी।
वीसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक, बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व, उमरिया

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