क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत में घटिया निर्माण
क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत में घटिया निर्माण Gaurav Jain
मध्य प्रदेश

खंडवा: अग्नि नदी के क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत में घटिया निर्माण

Author : Gaurav Jain

राज एक्‍सप्रेस। एक ओर जहां बाढ़ के बाद ग्राम आशापुर के हालात सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे है, वहीं दूसरी और प्रशासन सहयोग करने की बजाये ग्रामीणों की समस्याओं को और बड़ा रहा है। भीषण बाढ़ के बाद क्षतिग्रस्त हुआ, अग्नि नदी का पुल जिसकी मरम्मत के लिए प्रभारी मंत्री द्वारा आनन फानन में 50 लाख रूपये की प्रशासनीक स्वीकृति तो करवा दी, परंतु एमपी.आर.डी.सीडी.सी. के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा आज भी क्षेत्रवासी भुगत रहे है। विभाग द्वारा पुल की मरम्मत का कार्य जिस कंपनी को दिया गया है उसके अधिकारी तो कभी मौके पर दिखाई ही नहीं दिये। वरना लोगों की जान और माल से जुड़े राज्य मार्ग के इस अत्यंत व्यस्त इस पुल की मरम्मत का कार्य चंद मजदूरों को रखकर सुपरवायजरों के द्वारा करवाया जा रहा है। जहां ग्रामीणों से मदद लेने के बाद भी कंपनी द्वारा घटिया निर्माण किया जा रहा है, जिस पर रविवार को ग्रामीणों का आक्रोश फूट गया।

क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत में घटिया निर्माण

ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता विहीन काम हो रहा :

यह सब देखते हुये दो दिनों से स्वयं सेवा कर रहे व्यापारी बंधुओं ने निर्माता एजेंसी का काम बंद करवा दिया। वहीं ग्राम आशापुर के वरिष्ठ ठेकेदारों को बुलाकर कांक्रीट गुणवत्तापूर्ण हो रहा है या नहीं यह देखने को कहा तब आशापुर के जैन इरेक्टर्स के कॉन्टेक्टर भविष्य जैन एवं तिरुपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर नीलकंठ पाटिल द्वारा यह बताया गया कि, ठेकेदार के द्वारा गुणवत्ता विहीन काम किया जा रहा है, जिसमें 20 एमएम कांक्रीट मात्र 4 बोरी से ही किया जा रहा है, जबकि फ्लोरी द्वारा बनाये जा रहे 2 क्यूबिक मीटर के लोड में नियम अनुसार 16 बैग सीमेंट डाली जाना चाहिए।

घटिया निर्माण पर ग्रामीणों का क्रोध :

निर्माता कंपनी के द्वारा सीमेंट बचाकर जो घटिया निर्माण किया जा रहा था, उस पर ग्रामीणों ने क्रोध जताया, लेकिन मौके पर निर्माता कंपनी एवं एमपीआरडीसी का कोई भी इंजीनियर या जवाबदार अधिकारी मौजूद नहीं था। लाखों रुपए का भुगतान निर्माता कंपनी को विभाग के द्वारा कर दिया गया, लेकिन इतने दिनों बाद भी न तो पुल की मरम्मत के कार्य के लिए अभी तक किसी इंजीनियर को अपॉइंट किया गया, न हीं विभाग का कोई सुपरवाइजर वहां कभी दिखा, जिसके चलते काम गुणवत्ता विहीन बदस्तुर जारी है। मजबूर ग्रामीण तो अब बेबस मिट्टी के समान हो चुके हैं, जिन्हें चाहे जिस सांचे में ढ़ाल दिया जाए ढ़ल जाएंगे, लेकिन देखना यह है कि, इतना सब कुछ होने के बाद भी आखिर जिम्मेदार अधिकारी कब तक अपनी आंखे मूंदे बैठे रहेगें।

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