चुनिया में ठगा सा महसूस कर रहे ग्रामीण
चुनिया में ठगा सा महसूस कर रहे ग्रामीण सांकेतिक चित्र
मध्य प्रदेश

Shahdol : चुनिया में ठगा सा महसूस कर रहे ग्रामीण

राज एक्सप्रेस

ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों में मनमाने तरीके से अनियमितता और अनुपयोगी कार्य करा के जहां सरकारी बजट को चूना लगाया जा रहा है, वहीं पंचायत प्रतिनिधि हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर कायदे कानून के पालन से बेपरवाह हैं, उन्हें न जांच की चिंता है, न अधिकारियों का डर है।

शहडोल, मध्यप्रदेश। जिले की सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायत चुनिया में सरंपच, सचिव और ग्राम रोजगार सहायक की तिकड़ी का बेलगाम राज चल रहा है। जबकि पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और कोविड के कारण चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में इस तिकड़ी को मनमानी करने की खुली छूट मिल गई है, पहले भी ऐसे तमाम काम कराए गए, जिनमें कमाई का रास्ता नजर आया। यहां तक कि कई अनुपयोगी काम भी करा दिए गए हैं, ऐसे तमाम निर्माण कार्य कराके जिम्मेदारों ने अपना-अपना हिस्सा तो ले लिया, पर ये निर्माण कार्य अनुपयोगी पड़े-पड़े बर्बादी की कगार पर हैं।

जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत चुनिया में नाली और सीसी रोड, पुलिया में बड़ा खेल किया गया है। सरपंच, सचिव की तिकड़ी ने जमकर मनमानी करके अपने हाथ बनाए हैं। मजे की बात तो ये है कि पुलिया निर्माण में 20 ट्राली रेत उक्त पुलिया निर्माण में किया गया है, लेकिन अगर पंचायत से अगर खनिज विभाग द्वारा रॉयल्टी की मांग की जाये तो, रेत के बिल और निर्माण कार्य में हुए भ्रष्टाचार की परत खुलकर सामने आने लगेगी।

कमी छुपाने में जुटे अधिकारी :

ग्राम पंचायत चुनिया में मनरेगा के तहत हुए निर्माण कार्याे में सचिव और सरपंच ने अगर ही खेल-खेला है, सूत्रों की माने तो पंचायत हुए निर्माण कार्याे की जांच की जाये तो, जिम्मेदारों द्वारा जो फर्जी मस्टर भरे हैं, उसकी अलग ही कहानी निकलकर सामने आयेगी। इसे लेकर लोगों में नाराजगी भी है, लेकिन कुछ मामलों में अधिकारी दिखावे के लिए कार्रवाई करके अपनी कमी छिपाने में जुटे जाते हैं, वहीं संभागीय मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत चुनिया में कई रंग मंच के निर्माण बीते वर्षाे में लाखों की लागत से हुई है, लेकिन उनकी स्थिति को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस गुणवत्ता युक्त सामग्री का उपयोग निर्माण कार्य में हुआ है।

ठगा सा महसूस कर रहे ग्रामीण :

2015 में हुए पंचायत चुनाव के बाद सरपंचो ने गांवों की सरकार पर राज किया। इस दरम्यान गांव में हुए विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के मामले किसी से छिपे नहीं है। प्रधानमंत्री आवास से लेकर शौचालयों के निर्माण हुई धांधली और लाभार्थियों के नाम पर पैसे हड़पने के किस्से जिले में अनगिनत हैं, चुनिया सचिव पर लंबे समय से ऐसे आरोप लगते आ रहे हैं, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदारों ने आज तक ग्राम के विकास को लेकर कभी जांच की जहमत न उठाने से ग्रामीण आज भी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

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