प्रदेश में फिर कर्मचारी आंदोलन की राह
प्रदेश में फिर कर्मचारी आंदोलन की राह Syed Dabeer-RE
मध्य प्रदेश

प्रदेश में फिर कर्मचारी आंदोलन की राह, सरकार को किया गया है आगाह

Author : Shahid Kamil

मध्यप्रदेश। प्रदेश में कर्मचारी फिर आंदोलन की राह पर दिख रहे हैं। पिछले दिनों 1 दिन की कलम बंद हड़ताल के बाद आरोप है कि सरकार ने समस्या समाधान का कोई विकल्प नहीं निकाला है। इस कारण अगले चरण का आंदोलन पूरी ताकत के साथ शुरू करना पड़ रहा है।

कर्मचारियों का कहना है कि

काल्पनिक वेतन वृद्धि का आदेश लाखों शासकीय सेवकों के लिए सिर दर्द का कारण बन गया है। छठवें और सातवें वेतनमान की विसंगतियां भी बड़ी आर्थिक चोट पहुंचा रही है। विभागों में सालों से रिक्त पड़े पदों की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। मंत्रालय सतपुड़ा और विंध्यांचल जैसे भवनों में संचालित होने वाले विभागों में आधा अमला ही बचा है। जबकि सरकार काम का दायरा लगातार बढ़ती जा रही है। विभागों में हजारों प्रकरण अनुकंपा नियुक्ति के लंबित पड़े हैं। जिन पर शासन का कोई ध्यान नहीं है। यही कारण है कि पिछले दिनों 1 दिन की कलम बंद हड़ताल करनी पड़ी थी। उसके बाद भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।

15 सितंबर को पूरे प्रदेश में होगा आंदोलन

जागरूक अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति के अध्यक्ष उदित भदौरिया का कहना है कि सरकार की उदासीनता को लेकर अब 15 सितंबर को पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि आंदोलन के दौरान सरकार के मंत्रियों ने ही कहा था कि जल्द ही समस्याओं का समाधान होगा लेकिन एक भी मांग की पूर्ति नहीं की गई है। इससे पूरे प्रदेश का कर्मचारी आक्रोशित हैं। उन्होंने बताया है कि अगले सप्ताह जो आंदोलन हो रहा है वह हर जिला मुख्यालय पर होगा। कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएंगे। उसके बाद भी अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो फिर हड़ताल प्रारंभ कर दी जाएगी।

सरकार को तत्काल मांग पूरी करना होगी

मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रांतीय संयोजक मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति प्रमोद तिवारी ने कहा है कि प्रदेश के कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ता,1 जुलाई से इंक्रीमेंट, 7वें वेतनमान कि एरियर की किश्त और वेतनमान अनुरूप पदनाम, रुके हुए प्रमोशन सहित अन्य मांगों को शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाए। जिससे कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके। सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नही है, परंतु एक-एक मांगो को धीरे-धीरे पूरा किया जाएगा तो शासन पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। बशर्ते पूरी मांग एक साथ करने बड़ी आर्थिक कठिनाइयां पैदा होंगी। प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस ओर यदि शासन गंभीरता से ध्यान न देकर कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा करेगा तो उसका परिणाम सुखद नही होगा। कर्मचारियों को कलम बंद हड़ताल की तरह गंभीर कदम उठाकर प्रांतव्यापी आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कर्मचारियों की नाराजगी शासन को चुनाव में भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश से आह्वान किया है कि शीघ्र ही कर्मचारियों की मांगों पर एक-एक कर कार्यवाही करते हुए लाभ प्रदान करें।

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