SCO को मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए: PM मोदी
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भारत

SCO को मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए: PM मोदी

Author : Priyanka Sahu

दिल्‍ली, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 17 सितंबर को जन्‍मदिन है और आज ही SCO शिखर सम्मेलन पूर्ण सत्र भी हुआ, जिसे PM मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया है।

इस वर्ष हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे :

एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- इस वर्ष हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। नए मित्र हमारे साथ जुड़ रहे हैं और मैं ईरान का हमारे नए भागीदार के रूप में स्वागत करता हूं। मैं सऊदी अरब, कतर और मिस्र का भी नए संवाद भागीदारों के रूप में स्वागत करता हूं। एससीओ का विस्तार एससीओ के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।

अफगानिस्तान में हाल की घटनाओं ने वर्तमान स्थिति को और भी स्पष्ट कर दिया है। SCO को इस संबंध में सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। इस क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियाँ शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं। इन चुनौतियों का मुख्य कारण बढ़ता कट्टरपंथ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM मोदी के संबोधन की बातें-

  • यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र moderate और progressive cultures और values का गढ़ रहा है। सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं।

  • मध्य पूर्व में कट्टरपंथ और उग्रवाद से लड़ने के लिए एससीओ को एक साझा खाका विकसित करना चाहिए। भारत सहित एससीओ में हर देश में इस्लाम से संबंधित उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संगठन और परंपराएं हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।

  • पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में तकनीक का सफल सहारा लिया है। चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए UPI और Rupay Card हों, या COVID से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और COWIN जैसे digital platforms, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है। हम एससीओ की अध्यक्षता में भारत द्वारा प्रस्तावित गतिविधियों के कैलेंडर में सभी एससीओ देशों से सहयोग और समर्थन की उम्मीद करते हैं।

  • कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा और अंतर-विश्वास के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, यह हमारे युवाओं के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। अभिनव दृष्टिकोण और मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए हमें अपने उद्यमियों और स्टार्ट-अप को जोड़ना होगा।

  • इसी सोच के साथ भारत ने पिछले साल पहले एससीओ स्टार्ट अप फोरम और एससीओ यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव का आयोजन किया था।

  • भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भू-आबद्ध मध्य एशियाई देश भारतीय बाजारों से जुड़कर लाभान्वित हो सकते हैं। ईरान के चाबहार बंदरगाह में हमारा निवेश और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे में हमारे प्रयास इसका समर्थन करते हैं।

  • कनेक्टिविटी का कोई भी प्रयास वन-वे स्ट्रीट नहीं हो सकता। इसे सुनिश्चित करने के लिए, ऐसी परियोजनाओं को परामर्शी, पारदर्शी और सहभागी होने की आवश्यकता है।

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