उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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महंत दिग्विजयनाथ महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए CM योगी

Sudha Choubey

गोरखपुर, भारत। आज ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 53वीं पुण्यतिथि है। इस खास मौके पर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी शामिल हुए। उन्होंने यहां आयोजित सभा को संबोधित भी किया।

बता दें की, आज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में आयोजित, युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 53वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। सीएम योगी के साथ अलग-अलग जिलों के मठों से पधारे साधु संतों ने भी ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को नमन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएम योगी आदित्यनाथ ने की। इसके अलावा इस कार्यक्रम में अयोध्या से आये कथाव्यास स्वामी श्रीधराचार्य, स्वामी राम दिनेशाचार्य, स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य, जूनागढ़, गुजरात से आये महन्त शेरनाथ, अमृतनाथ आश्रम राजस्थान से आये महन्त नरहरिनाथ, कालिका मन्दिर, समेत दिग्विजय नाथ को श्रद्धांजलि दी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, "युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने मुद्दों, मूल्यों और आदर्शों को ध्यान में रखते हुए धर्म, राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन जिया था।"

योगी आदित्यनाथ ने कही यह बात:

युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 53वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उत्तर प्रदेश CM योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, "जिन बातों को लेकर महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और गोरक्षपीठ के पूज्य संतों ने अपना पूरा जीवन जीया था उनका अनुसरण करके देश आगे बढ़ रहा है।"

योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान कहा कि, "उनका अनुसरण करते हुए देश, समाज और लोक कल्याण के उन प्रकल्पों को आगे बढ़ाते हुए कितना हम आगे बढ़े हैं, इन सब बातों का आकलन करने के लिए श्रद्धांजलि साप्ताहिक समारोह का ये कार्यक्रम गोरक्षपीठ में प्रति वर्ष आयोजित होता है।"

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान कहा कि, "श्री गोरक्षपीठ सनातन धर्म के मूल्यों और आदर्शों के प्रति सदैव समर्पित भाव के साथ कार्य करती रही है। साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से लोक-कल्याण के साथ निरंतर जुड़ी रही है।"

उन्होंने कहा कि, "वर्ष 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर, महंत श्री गोपालनाथ जी महाराज को ब्रिटिशर्स ने यह आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया कि, वे क्रांतिकारियों को प्रश्रय देते हैं। जब भी आवश्यकता पड़ी, हमारे पूज्य संतों ने सनातन धर्म की रक्षा हेतु हमेशा बढ़-चढ़कर भाग लिया।"

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