पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज Syed Dabeer Hussain - RE
पॉलिटिक्स

राजनीतिज्ञ रिकॉर्ड कायम कर सुषमा स्वराज दुनिया को कह गई अलविदा

Author : Priyanka Sahu

राज एक्‍सप्रेस। राजनीति की दिग्गज नेता व मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज अब इस दुनिया को अलविदा कह चली हैं, उनके निधन की ये बेहद दुखद खबर सुनते ही हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई। भाजपा नेता सुषमा स्वराज की उम्र 67 साल की थीं, उन्‍हें 6 अगस्त को सीने में अचानक दर्द हुआ, इसके बाद उन्‍हें एम्स ले जाया गया, लेकिन एम्स पहुंचने के कुछ देर बाद ही डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया।

370 हटे ये उनकी दिली इच्‍छा थीं :

राजनीतिज्ञ में अपने रिकॉर्ड कायम करने वाली महिला सुषमा स्वराज शालीनता, सक्रियता और भाषण शैली ही उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाती थीं। सुषमा स्‍वराज ने अनुच्‍छेद 370 को लेकर न जाने कितने भाषण दिये थे और ये उनकी दिली इच्‍छा थीं कि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) अनुच्‍छेद 370 को हटाकर अपना वादा जरूर पूरा करेंगी और जब वादा पूरा हुआ तो उन्‍होंने अंतिम सांस लेने के कुछ घंटे पहले ट्वीट पर भी अपने विचार लिखें कि, मुझे इसी दिन का इंतजार था और इसके बाद वे इन दुनिया को छोड़ चली।

निधन के 3 घंटे पहले किया ये ट्वीट :

साथ ही उनका ट्विटर पर अंदाज भी कुछ अलग ही होता था और तो और उन्‍होंने अंतिम सांस लेने के 3 घंटे पहले ही एक ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्‍होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्‍त किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बधाई दी। सुषमा स्‍वराज ने अपने ट्वीट में लिखा था- ‘’मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की ही प्रतीक्षा कर रही थी।‘’

ये है सुषमा स्‍वराज का लास्‍ट ट्वीट :

मददगार छवि को कभी नहीं भूलाया जा सकता :

भले ही आज सुषमा स्‍वराज इस दुनिया को अलविदा कह गई हो, लेकिन उनकी मददगार छवि को लोग कभी नहीं भूला पाएंगे, लोगों के मन में उनकी ये मददगार छवि हमेशा जीवित रहेंगी, क्‍योंकि इनकी अच्छाइयों में से एक अच्‍छाई ये भी थीं कि, यदि कोई सुषमा स्‍वराज के ट्वीटर हेंडल पर उनसे मदद की गुहार लगाता था, तो वह तुरंत उसकी पूरी पुष्टि कर उनकी सहायता करने के लिए आगे जरूर बढ़ती थीं और ऐसा भी नहीं था कि, वे सिर्फ भारत के बाहर परेशान विदेशीयों के लिए ही आगे बढ़कर उनकी सहायता करती थीं, बल्कि भारत में जब किसी विदेशी ने उनसे मदद मांगी, तब भी उन्‍होंने अपने पूरे सहयोग के साथ उसकी मदद की।

सुषमा स्‍वराज जी ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिन्‍दुस्‍तान का सर गर्व से ऊँचा किया एवं जब भी वे किसी से मिलती थीं तो हमेशा अपनी एक सहज मुस्‍कुराहट उनके फेस पर नजर आती थीं।सुषमा स्‍वराज जी ने अपना हर काम बहुत ही प्रभावित ठंग से किया था, जिससे पूरे देश में उनके नाम का डंका बजने लगा।

सुषमा स्वराज का प्रारम्भिक जीवन :

भारत की पूर्व विदेश मंत्री व एक भारतीय राजनीतिज्ञ महिला सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में हुआ, उनका परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा था। वहीं अगर हम सुषमा स्वराज की पढ़ाई के बारे में बात करें तो, उन्‍होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 1973 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर अपनी प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद 1975 में उनका विवाह स्वराज कौशल से हुआ, उनके पति स्वराज कौशल एक वकील हैं।

अगर महिला सशक्तिकरण पर देश की राजनीति में कोई उदाहरण प्रस्‍तुत किया जाएं तो सबसे अच्‍छा उदाहरण है सुषमा स्‍वराज जी का, जिन्‍होंने अपने दम पर ही अपना सेल्‍फ करियर बनाया हैं, जहां तक की उनके परिवार में भी कोई सदस्‍य राजनीति में नहीं था।

तो आइये इसी के साथ ही हम एक नजर सुषमा स्‍वराज के राजनीति‍क सफर पर भी डाल ही लेते हैं, जिन्‍होंने 6 राज्यों से चुनावी राजनीति में सक्रिय किया था। यें है वो राज्य, जहां-जहां से सुषमा स्‍वराज चुनाव लड़ा व राजनीतिज्ञ में कई रिकॉर्ड बनाएं।

1. पहला चुनाव हरियाणा में लड़ा :

सुषमा स्‍वराज ने सबसे पहला चुनाव 1977 में हरियाणा की अंबाला सीट से लड़ा था, जिसमें उन्‍होंने जीत हासिल की और देश की सबसे युवा विधायक बनीं। साथ ही हरियाणा की देवीलाल सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया।

2. लोकसभा चुनाव 1996 में दिल्‍ली से जीता चुनाव :

इसके बाद वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में सुषमा स्‍वराज ने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता और इसके बाद 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी। फिर 1998 में वे दोबारा वाजपेयी सरकार में मंत्री बनीं, लेकिन अक्टूबर 1998 में ही उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और इसी वर्ष 12 अक्टूबर को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।

3. कर्नाटक में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़ा चुनाव :

वर्ष 1999 में सुषमा स्‍वराज ने कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन यहां से वे सिर्फ 7% वोटों से हार गईं।

4. उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भी रही सक्रिय :

सुषमा स्‍वराज ने वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुनी गईं और जब उत्तर प्रदेश के विभाजन पर उत्तराखंड बना तो उन्हें उत्तराखण्ड में भी स्थानांतरित कर दिया गया।

5. मध्यप्रदेश में विदिशा से जीतीं लोकसभा चुनाव :

इसके बाद वर्ष 2009 और 2014 में सुषमा स्‍वराज ने मध्यप्रदेश में विदिशा से लोकसभा के चुनावों में जीत हासिल की और वे 2014 से 2019 तक देश की विदेश मंत्री बनी।

लोकसभा चुनाव 2019 लड़ने से किया था इंकार :

फिर 5 साल बाद वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें सुषमा स्‍वराज ने इस चुनाव को लड़ने से इंकार कर दिया।

ये थीं वजह :

सुषमा स्‍वराज की लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव न लड़ने के पीछे वजह ये थीं कि, उन्‍होंने अपने स्वास्थ्य की वजह से ही इस वर्ष लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।

इन बीमारियों से जूझ रही थीं सुषमा स्‍वराज :

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज इन बीमारियों से जूझ रही थीं, इस कारण वह राजनीति में भी थोड़ा कम सक्रिय होने लगी, वह 20 सालों से तो डायबिटीज की पुरानी बीमारी से भी जूझ रही थीं और डायबिटीज के चलते ही वर्ष 2016 में उनकी किडनी खराब हो गई, फिर उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, उन्‍हें डायलिसिस पर भी रखा गया था, ट्रीटमेंट के बाद उनकी हालत में कॉफी सुधार आया।

आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंटेरियन का मिला सम्मान :

राजनीतिज्ञ में अपना रिकॉर्ड कायम कर दुनिया को अलविदा कहने वाली महिला सुषमा स्‍वराज भारतीय संसद की प्रथम एवं एकमात्र ऐसी महिला सदस्य हैं, जिन्हेंने आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंटेरियन का सम्मान मिला है। वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में बतौर विदेश मंत्री हिंदी में दिए अपने भाषणों के लिए सदैव याद रखी जाएंगी।

दिल्ली ने खोए 3 पूर्व CM

यहां गौर करने वाली बात तो यह है कि, अभी तक दिल्ली में मुख्यमंत्री पद रहे ये 3 तीन नेताओं को पिछले एक साल के अंदर, कम समय के अंतराल में दिल्‍ली ने अपने 3 पूर्व CM खो दिए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं।

  • पहले बात करते हैं सुषमा स्वराज की, जो अक्टूबर से दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री पद पर रही थीं और वे 6 अगस्‍त को इस दुनिया को अलविदा कह चली।

  • वहीं इससे पहले दिल्ली में शीला दीक्षित तीन बार वर्ष 1993 से 1996 तक मुख्‍यमंत्री पद पर रही थीं, इन्‍होंने इसी वर्ष 2019 में जुलाई माह में निधन हो गया था।

  • दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की जिम्‍मेदारी मदन लाल खुराना ने भी संभाली थी, जो पिछले साल 2018 में अक्टूबर माह में उनका निधन हो गया।

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