डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस पर विशेष

Shreya N

होवरक्राफ्ट एक ऐसी गाड़ी होती है, जो जमीन, पानी या कीचड़ में भी चल सकती है। डॉ कलाम ने अपने करियर की शुरुआत एक होवरक्राफ्ट बनाकर की थी। इसका नाम ‘नंदी’ था, जो भारत का पहला स्वदेशी होवरक्राफ्ट था।

भारत का पहला होवरक्राफ्ट | Syed Dabeer Hussain - RE

अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बनी भारतीय राष्ट्रीय समिति, INCOSPAR में भी डॉ कलाम शामिल थे। इस दौरान रॉकेट लॉन्च करने के लिए, थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन का निर्माण किया गया था। भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के विकास में इस स्टेशन का बड़ा हाथ है।

INCOSPAR समिति | Syed Dabeer Hussain - RE

ISRO में रहते हुए, डॉ कलाम सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) प्रोजेक्ट के प्रमुख थे। उनके मार्गदर्शन में 1980 में भारत से 'रोहिणी सैटेलाइट' को लॉन्च किया गया। यह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हुआ था।

पहला सैटेलाइट लॉन्च मिशन | Syed Dabeer Hussain - RE

DRDO में रहते हुए, डॉ कलाम ने भारत के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट को भी सफलता दिलाई। इसमें पृथ्वी और अग्नी जैसी स्वदेशी मिसाइल का सफल परीक्षण शामिल था।

बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट | Syed Dabeer Hussain - RE

बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट की सफलता के बाद ही डॉ कलाम को ‘The Missile Man Of India’ कहा जाने लगा। इस मिशन से भारत के अंतरिक्ष अभियान को बहुत बड़ी गति प्राप्त हुई थी।

मिसाइल मैन | Syed Dabeer Hussain - RE

भारत को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कई कामयाबी दिलाने के बाद 1992 से 1999 तक डॉ अब्दुल कलाम प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। इस दौरान कई वैज्ञानिक गतिविधियों को बल मिला।

मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार | Syed Dabeer Hussain - RE

भारत में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण के दौरान डॉ कलाम, प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार थे। पोखरण-II मिशन में वे राजगोपाल चिदंबरम के साथ मिशन के चीफ प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर भी थे। तकनीकी व राजनीतिक रूप से उन्होंने इस प्रोजेक्ट में काफी सहयोग किया था, जिसके चलते भारत एक परमाणु राष्ट्र बना।

परमाणु परीक्षण | Syed Dabeer Hussain - RE

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