Shreya N
हैलोवीन पश्चिमी देशों में मनाया जाने वाला एक त्यौहार है। क्रिसमस के बाद, यह पश्चिमी देशों में सबसे ज्यादा उत्साह से मनाए जाने वाला उत्सव है। इस दिन लोग अतरंगी पोशाक पहनकर, डरावना दिखने का प्रयास करते हैं। सभी लोग साथ आकर इस त्यौहार को खाने-पीने और नाच-गाने के साथ मनाते हैं।
हैलोवीन का त्यौहार हर साल 31 अक्टूबर की शाम को मनाया जाता है। बहुत से पश्चिमी देशों में इस दिन छुट्टी भी होती है। इसके एक दिन बाद, 1 नवंबर को ‘ऑल हैलोज डे’ मनाया जाता है।
हैलोवीन के दिन सभी लोग अतरंगी डरावने कपड़े पहनकर तैयार होते हैं। बच्चों से लेकर बड़ो तक, सभी भूत या डेविल का अवतार लेते हैं। कपड़ो के अलावा डरावना मेकअप करके लोग इस त्यौहार को और ज्यादा आकर्षक बनाते हैं।
हैलोवीन के दिन बच्चे, आस-पड़ोस में ‘ट्रिक और ट्रीट’ के लिए जाते हैं। बच्चे पड़ोसियों के घर जाकर ट्रिक या ट्रीट पुछते हैं। पड़ोसी उन्हें ट्रीट बोलकर बहुत सी चॉकलेट और कैंडी देते हैं। इस दिन सभी लोग आस-पड़ोस के बच्चों के लिए अपने घरों में कैंडी और चॉकलेट लाकर रखते हैं।
हैलोवीन के दिन आपने कद्दू को भी विचित्र रूप में देखा होगा। यह हैलोवीन उत्सव का एक खास अंग है। डरावनी थीम के लिए, इस दिन कद्दू को भयानक रूप से सजाया जाता है। इसके अलावा हैलोवीन में कद्दू की ब्रेड, पाई, केक, प्यूरी और अन्य खाने की चीजें भी बनाई जाती है।
हैलोवीन मुख्यतः पश्चिमी देशों में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत आयरलैंड और स्कॉटलैंड से जैसे देशों से हुई थी। अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप के अन्य देश भी इस त्यौहार को उत्साह से मनाते हैं।
हैलोवीन का इतिहास 2000 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मरे हुए लोगों की आत्मा, धरती पर जिंदा लोगों के बीच आ जाती है। इन आत्माओं के डर को दूर भगाने के लिए, लोग भूत जैसे डरावने कपड़े पहनकर घूमते हैं। इस दिन के सारे उत्सव बुरी आत्माओं या आत्माओं के डर को भगाने के लिए होते हैं।
भारत में पश्चिमी सभ्यता के विस्तार के कारण, यहां भी हैलोवीन मनाया जाने लगा। पश्चिमी देशों का, हैलोवीन में भूत की तरह सजने का अंदाज भारतीयों को बहुत भाया। इसलिए भारत में भी बहुत से लोग हैलोवीन पार्टी का आयोजन करते हैं और भूत की तरह सजकर इसमें शामिल होते हैं।
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