gurjeet kaur
जर्मन मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन, की गिनती दुनिया के महान भौतिकविद् में होती है। उनका जन्म 14 मार्च, 1876 में हुआ था। उनकी मृत्यू साल 1955 में हुई थी। अपनी मौत के आखिरी पलों में वे भी खूब एक्टिव थे। उनके द्वारा दिए गए सिद्धांत काफी महत्वपूर्ण हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा दिए गए सिद्धांत काफी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने ऊर्जा-द्रव्यमान तुल्यता, विशेष सापेक्षता और प्रकाश की गति से जुड़ा सिद्धांत दिया था। उनके द्वारा साल 1905 में समीकरण E=mc² दिया गया था। इस समीकरण ने परमाणु बम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन साल 1955 में हुआ था। डॉ. थॉमस हार्वे ने उनका पोस्टमार्टम किया था। वे एक अमेरिकी रोग वैज्ञानिक थे। आइंस्टीन के दिमाग के बारे में जानने के लिए वे बेहद उत्सुक थे।
डॉ. थॉमस हार्वे ने अपनी उत्सुकता और जिज्ञासा के चलते अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग की चोरी कर ली। उन्होंने आइंस्टीन का दिमाग निकालने के लिए उनके परिजनों से आज्ञा नहीं ली थी। आइंस्टीन के दिमाग के अध्ययन के लिए हार्वे ने ऐसा किया था। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, आइंस्टीन नहीं चाहते थे कि, उनके अवशेषों के साथ छेड़छाड़ हो।
डॉ. थॉमस हार्वे ने अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग के 240 टुकड़े किए थे। वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग के टुकड़ों को जार में प्रिजर्व किया गया था। ये टुकड़े दशकों तक जार में बंद थे।
डॉ. थॉमस हार्वे ने सालों तक अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग पर रिसर्च की। साल 1985 में उनके द्वारा लिखा गया पहला शोध पत्र जारी हुआ। इस रिसर्च पेपर में आइंस्टीन के दिमाग को लेकर कई दावे किए गए थे।
हार्वे द्वारा की गई रिसर्च में पता चला कि, आइंस्टीन के दिमाग में न्यूरॉन्स और ग्लिया का अनुपात असामन्य है। यही नहीं आइंस्टीन के दिमाग पर 5 और शोध किये गए लेकिन अंततः कोई स्टडी अपने समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को पूरा नहीं पढ़ पाए।
दुनिया की पहली वैदिक घड़ी