ATM ट्रांजेक्शन से जेब पर बढ़ सकता है भार

"ATM समिति ने नि: शुल्क लेनदेन कोटे में कटौती कर अधिकतम सीमा 3 जबकि 1 मिलियन से अधिक आबादी वाले शहरों में वित्तीय लेनदेन पर इंटरचेंज शुल्क बढ़ाने की भी सिफारिश की है!”
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हाइलाइट्स :

  • अब ATM ऑपरेटर्स ने खोला मोर्चा

  • मुफ्त ट्रांजेक्शन कोटा घटाने की मांग

  • विनिमय शुल्क बढ़ाने की भी सिफारिश

राज एक्सप्रेस। यदि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एटीएम ऑपरेटर्स एसोसिएशन की मांग को मान लिया, तो फिर एटीएम कार्ड धारकों के मुफ्त ट्रांजेक्शन कोटे में कटौती हो सकती है। इसके साथ विनिमय शुल्क में भी इजाफा हो सकता है। ATM से मुफ्त निकासी के कितने मौके मिलते हैं, कितने कम हो सकते हैं? विनिमय शुल्क क्या है? पूरा मामला जानें विस्तार से:-

नए ATM में परेशानी-

भारत के एटीएम ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने RBI को पत्र लिखकर नकद निकासी पर ग्राहकों द्वारा दिए जाने वाले इंटरचेंज शुल्क में बढ़ोतरी की मांग की है। उनका तर्क है कि, ऐसा न किया गया तो उनका कारोबार ख़त्म हो जाएगा। संगठन के मुताबिक कम शुल्क पहले से ही कम टेलर मशीन परेशानी से जूझ रहे देश में नए एटीएम के रोलआउट को खास तौर से प्रभावित कर सकता है।

RBI के मानक-

इन ऑपरेटरों का तर्क यह है कि, सुरक्षा और रखरखाव पर आरबीआई के बढ़े हुए अनुपालन मानकों से टेलर मशीनों की संचालन लागत भी बढ़ी है। जबकि उनको संचालन शुल्क में किसी तरह की राहत प्रदान नहीं की गई है। ऐसे में राजस्व में शुल्क वृद्धि के बिना इन कंपनियों को ATM के संचालन में खासी दिक्कत होगी।

मौजूदा शुल्क-

वर्तमान में RBI के नियमों के मुताबिक पांच मुफ्त लेनदेन के बाद 15 रुपया प्रति ट्रांजेक्शन शुल्क तय है। कन्फेडरेशन ऑफ ATM इंडस्ट्री (CATMi) के मुताबिक यह शुल्क दैनिक कार्यों के निर्वाह के लिए पर्याप्त नहीं है।

पत्र में बयां दर्द-

सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी को 13 फरवरी को लिखे पत्र में उल्लेख है कि बढ़ा संचालन व्यय न केवल एटीएम व्यवसाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसने बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों के नए रोलआउट्स को भी धीमा कर दिया है। पत्र में उल्लेख है कि RBI निरंतर EMVs (Europay, Master Card & Visa) के रोलआउट जैसे विभिन्न अनुपालन/नियंत्रण उपायों को लागू करने कह रहा है। जिससे सर्विस प्रदाता सेक्टर के खिलाड़ियों की निरंतरता प्रभावित हो रही है।

समिति की सिफारिश-

साल 2019 की शुरुआत में आरबीआई ने देश में एटीएम की पैठ बढ़ाने के तरीकों की सिफारिश के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई थी। जिसने दिसंबर में केंद्रीय बैंक को अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए थे। बिजनेस जगत की रिपोर्ट्स के मुताबिक छह सदस्यीय समिति की प्राथमिक सिफारिश इंटरचेंज शुल्क बढ़ाने की थी।

समिति का सुझाव-

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एटीएम समिति ने ऐसे शहरी क्षेत्रों जहां आबादी 1 मिलियन से अधिक है, वहां पर वित्तीय लेनदेन पर 17 रुपये और गैर-वित्तीय लेन-देन पर 7 रुपये के विनिमय शुल्क की सिफारिश की है। साथ ही समिति का सुझाव है कि, मुफ्त निकासी लिमिट को भी तीन कर दिया जाए। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां जनसंख्या 1 मिलियन से कम है, समिति ने वित्तीय लेनदेन पर 18 रुपया और गैर-वित्तीय लेन-देन के लिए 8 रुपये के इंटरचेंज शुल्क की सिफारिश की है, जबकि यहां मुफ्त लेनदेन लिमिट छह हो सकती है।

“मतलब मौजूदा 5 नि: शुल्क लेनदेन कोटे में शहरी क्षेत्रों के लिए अधिकतम सीमा 3 की जा सकती है। ATM समिति ने 1 मिलियन से अधिक आबादी वाले शहरों में वित्तीय लेनदेन पर 17 रुपया और गैर-वित्तीय लेनदेन पर 7 रुपया इंटरचेंज शुल्क की सिफारिश की है!”

RBI समिति सदस्य-

भारतीय रिजर्व बैंक समिति की अगुवाई भारतीय बैंक संघ के प्रमुख वीजी कन्नन कर रहे थे और इसमें एनपीसीआई के सीईओ दिलीप अस्बे, कैटमी के दो वरिष्ठ प्रतिनिधि, एसबीआई के मुख्य महाप्रबंधक जीके नायर और एचडीएफसी देनदारियों के प्रमुख जी संपत कुमार शामिल थे। मामले में सुझाव अभी चर्चा के दौर में ही है।

हालांकि कहा तो यह भी जा रहा है कि, नेशनल पैमेंट कॉर्पोरेशन (NPCI) ने एटीएम समिति की सिफारिशों पर काम शुरू कर दिया है, क्योंकि इसके लिए सॉफ्टवेयर की भी आवश्यकता होगी। लेकिन आरबीआई ने इन सुझावों के क्रियान्वयन पर फिलहाल कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

इतने एटीएम देश में-

भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 227,000 एटीएम चालू हैं, जिनमें से 21,300 व्हाइट-लेबल मशीन हैं और शेष बैंकों के स्वामित्व में हैं। ऐतिहासिक केंद्रीय बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में टेलर मशीनों की वृद्धि चरम पर थी क्योंकि बैंकों ने उन्हें उच्च लागतों के कारण स्थापित करना बंद कर दिया था। भारत के ग्रामीण इलाकों में ATM सर्विस बहुत लचर कही जा सकती है।

अन्य के मुकाबले-

एटीएम उपलब्धता के मामले में भारतीय व्यवस्था दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे खराब है, जबकि चीन, अमेरिका, जर्मनी, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सभी जगह प्रति व्यक्ति एटीएम उपलब्धता दर 2,000 के भीतर है। भारतीय रिजर्व बैंक की बेंच मार्किंग भुगतान रिपोर्ट के अनुसार 2017 में भारत की एटीएम प्रति व्यक्ति उपलब्धता दर 5,919 रही।

समिति की सिफारिश यदि स्वीकार हो जाती है, तो फिर उपभोक्ता पर डबल मार पड़ेगी, क्योंकि जहां कंज्यूमर के फ्री कोटा में कटौती संभव है वहीं शुल्क बढ़ने से जेब पर भी अतिरिक्त भार पड़ने की पूरी संभावना है।

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