ऐलौपैथी के बाद ज्योतिष शास्त्र पर निशाना साधते नजर आए बाबा रामदेव

ऐलौपैथी को लेकर चल रहे विवाद को बाबा रामदेव ने पिछले दिनों एक बड़ा बयान देते हुए खत्म करने की बात कही थी। वहीं, अब वह ज्योतिष शास्त्र पर निशाना साधते हुए नजर आए।
ऐलौपैथी के बाद ज्योतिष शास्त्र पर निशाना साधते नजर आए बाबा रामदेव
ऐलौपैथी के बाद ज्योतिष शास्त्र पर निशाना साधते नजर आए बाबा रामदेवSocial Media

राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ दिनों से योग गुरु बाबा रामदेव अपने विवादित बयान के चलते लगातार चर्चा में बने हुए हैं। हालांकि, उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था, इसके बावजूद भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) उत्तराखंड और बाबा रामदेव के बीच कुछ दिनों तनातनी चली। इसके बाद उन्होंने पिछले दिनों एक बड़ा बयान देते हुए इस मामले को खत्म करने की बात कही थी। वहीं, अब वह ज्योतिष शास्त्र पर निशाना साधते हुए नजर आए।

बाबा राम देव दे साधा ज्योतिष शास्त्र पर निशाना :

कुछ दिनों पहले ही योग गुरु बाबा रामदेव ऐलोपैथी पर दिए बयान के चलते काफी चर्चा में थे, इस बयान के चलते कई लोगों ने उनकी निंदा की तो कई ने उनका समर्थन किया। बमुश्किल यह मामला ख़तम ही हुआ था कि, बाबा रामदेव एक बार फिर एक विवादित बयान के लिए चर्चा में आ गए है। इस बयान में बाबा रामदेव देश के ज्योतिषों पर निशाना साधते हुए नजर आए। बाबा रामदेव ने अपने बयान में कहा कि,

'सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं। ज्योतिषी काल, घड़ी, मुहूर्त के नाम पर बहकाते रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र भी पूरे एक लाख करोड़ की इंडस्ट्री है। ज्योतिष बैठे-बैठे किस्मत बताते हैं। जब प्रधानमंत्री मोदी ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद किए तो किसी को पता नहीं चला। किसी ज्योतिष ने यह भी नही बताया कि कोरोना आने वाला है। किसी ने नही बताया कि ब्लैक फंगस भारत में अटैक करने वाला है।'

बाबा रामदेव, योग गुरु

किया कोरोनिल का जिक्र :

बताते चलें, बाबा रामदेव ने ये बयान योग शिविर में साधकों के सामने दिया। उन्होंने आगे कोरोनिल का जिक्र करते हुए कहा कि, 'किसी ने यह नहीं बताया कि, कोरोना का समाधान बाबा रामदेव कोरोनिल से देने वाले हैं। मैं तो विशुद्ध रूप से हिंदी और संस्कृत बोलता हूं। बीच-बीच में अंग्रेजी बोलने वालों को भी ठोकता हूं। क्योंकि यह बोलते थे कि हिंदी और संस्कृत बोलने वाला बड़ा आदमी नहीं बन सकता। अब हिंदी व संस्कृत बोलने वाले ने ऐसे झंडे गाड़ दिए कि सब कहते हैं कि, हिंदी पढ़नी चाहिए, संस्कृत पढ़नी चाहिए। आगे गुरुकुल में पढ़ने वाले ही देश चलाएंगे। 20-25 साल बाद बताऊंगा प्रयोग करके।'

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