बिसलेरी कैसे बना भारत का सबसे बड़ा पैकेज्ड वाटर ब्रांड
बिसलेरी कैसे बना भारत का सबसे बड़ा पैकेज्ड वाटर ब्रांडSyed Dabeer Hussain - RE

कभी इटली में मलेरिया की दवा बेचती थी बिसलेरी, जानिए कैसे बना भारत का सबसे बड़ा पैकेज्ड वाटर ब्रांड?

जब भारत में बिसलेरी का प्लांट शुरू हुआ था तो लोगों ने खुसरू संतुक को पागल तक कह दिया था। उनका मानना था, ‘कि भारत जैसे देश में लोग पानी खरीद कर क्यों पिएंगे।’

राज एक्सप्रेस। इन दिनों भारत में देश के सबसे बड़े पैकेज्ड पानी के ब्रांड बिसलेरी के बिकने की चर्चा जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान जल्द ही इसे 6000 से 7000 करोड़ में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड को बेचने की योजना बना रहे है। रमेश चौहान का कहना है कि उनकी बेटी और कंपनी की उपाध्यक्ष जयंती को कारोबार में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है। ऐसे में वह अपनी कंपनी को किसी अच्छी कंपनी को बेचना चाहते हैं। बिसलेरी भले ही आज भारत का सबसे बड़ा पैकेज्ड पानी का ब्रांड हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिसलेरी मूलतः इटली की कंपनी हैं, जो कभी मलेरिया की दवाई बेचती थी। तो चलिए जानते हैं पूरी कहानी।

इटली में हुई थी शुरुआत :

बिसलेरी कंपनी की शुरुआत इटली में हुई थी। इसके संस्थापक इटली के बिजनेसमैन Signor Felice Bisleri थे। उन्ही के नाम पर इस कंपनी का नाम बिसलेरी रखा गया था। शुरुआत में यह कंपनी मलेरिया की दवा बेचने का काम करती थी। हालांकि बाद में Felice Bisleri ने बिसलेरी नाम से पैकेज्ड पानी बेचने का प्लान बनाया। इस बीच Felice Bisleri की मौत हो गई थी, उनके इस बिजनेस को उनके फैमिली डॉक्टर रोजिज ने आगे बढ़ाया।

भारत में ऐसे हुई एंट्री :

भारतीय बिज़नेसमैन खुसरू संतुक के पिता और डॉक्टर रोजिज काफी अच्छे दोस्त थे। डॉक्टर रोजिज अपनी कंपनी का बिजनेस भारत में बढ़ाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने खुसरू संतुक को इसके लिए मनाया। साल 1965 में मुंबई के ठाणे इलाके में ‘बिसलेरी वाटर प्लांट’ स्थापित किया गया। उस समय एक बोतल बिसलेरी की कीमत 1 रूपया हुआ करती थी। जब भारत में बिसलेरी का प्लांट शुरू हुआ था तो लोगों ने खुसरू संतुक को पागल तक कह दिया था। उनका मानना था, कि 'भारत जैसे देश में लोग पानी खरीद कर क्यों पीएंगे।’

4 लाख में बिकी बिसलेरी :

शुरुआत में बिसलेरी को भारतीय बाजार में कोई खास सफलता नहीं मिली। ऐसे में खुसरू संतुक ने अपनी इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया। जब इसके बारे में ‘पार्ले कंपनी’ के ‘चौहान ब्रदर्स’ को पता चला तो रमेश चौहान ने 4 लाख रूपए में बिसलेरी (इंडिया) लिमिटेड को खरीद लिया।

ऐसे मिली सफलता :

बिसलेरी खरीदने के बाद शुरुआत में कई सालों तक इस नाम से सोडा और पानी बेचा गया, लेकिन खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद कंपनी की रिसर्च टीम ने पाया कि भारत में रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, सड़क किनारे, ढाबे और अन्य जगहों पर लोगों को शुद्ध पानी की सख्त जरूरत हैं। ऐसे में उन्होंने डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या बढ़ाई, प्रमोशन और पेकिंग में बदलाव किए। इसके बाद बिसलेरी धीरे-धीरे भारतीय बाजार में पॉपुलर हो गई। आज भारत में बोतलबंद पेयजल में 60% हिस्सेदारी अकेले बिसलेरी की है।

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