केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी DICGC Act में संशोधन को मंजूरी

मंत्रिमंडल ने पिछले कुछ समय से संकट में फंसे बैंकों की मदद करने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्‍ट (DICGC Act) में संशोधनों को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी DICGC Act में संशोधन को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी DICGC Act में संशोधन को मंजूरीSyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ समय से बैंकों पर लगातार रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की गाज गिरती नजर आरही है। इसी कड़ी में कई बार RBI बैंकों पर जुर्माना भी लगा चुका है, लेकिन अब सरकार ने कुछ बैंकों की मुश्किलें दूर करने को लेकर विचार किया है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले कुछ समय से संकट में फसें बैंकों की मदद करने के लिए कदम उठाया है। इस मदद के लिए मंत्रिमंडल ने डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्‍ट, 1961 (DICGC Act) में कुछ बदलाव करने के लिए मंजूरी देदी है।

संशोधनों को मिली मंजूरी :

दरअसल, पिछले काफी समय से पंजाब एंड महाराष्‍ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC Bank) जैसे कई बैंक संकट में फंसे हुए हैं। इन बैंकों के ग्राहकों बड़ी राहत देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्‍योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्‍ट, 1961 (DICGC Act) में हुए संशोधनों को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट के इस फैसले से PMC बैंक, Yes बैंक और लक्ष्‍मी विलास जैसे बैंकों के ग्राहकों को काफी राहत मिलेगी।

क्या होगा संशोधन से ?

बताते चलें, DICGC Act में किए गए संशोधनों को मंजूरी मिलने से मोरेटोरियम के तहत आने वाले बैंकों के डिपॉजिटर्स को अपना पैसा निकालने के लिए भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं बैंक के मॉरेटोरियम के तहत आने पर डिपॉजिटर्स 90 दिन के अंदर 5 लाख रुपये तक निकाल सकेंगे। हालांकि, इसके लिए भी कई नियम तय किए गए हैं।

बदले गए नियम :

बताते चलें, DICGC Act में किए गए संशोधनों के बाद बनाए गए नियमों के तहत केंद्र सरकार द्वारा किसी भी बैंक के नियमित कामकाज को निलंबित करने या रिजर्व बैंक द्वारा निगरानी में रखने पर डिपॉजिट इंश्‍योरेंस कवर को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) रिजर्व बैंक के तहत काम करता है। बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा रकम सुरक्षित होने की गारंटी DICGC की ओर से ​होती है। डिपॉजिट बीमा के प्रावधानों के मुताबिक, बैंक के दिवालिया होने या उसका लाइसेंस रद्द होने पर 5 लाख रुपये तक की राशि का भुगतान जमाकर्ता को किया जाता है, फिर चाहे बैंक में उसका कितना ही पैसा जमा क्यों न हो।

वित्त मंत्री का बयान :

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट पेश करते समय कहा था कि, 'अगर कोई बैंक अस्थायी रूप से अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असफल हो जाता है तो ऐसे बैंक में रकम जमा करने वाले व्यक्ति आसानी से और समय से अपनी जमाराशि को उस सीमा तक हासिल कर सकेंगे, जितने पर उन्हें बीमा सुरक्षा मिली है। साथ ही कहा था कि मैं डीआईसीजीसी एक्‍ट, 1961 में संशोधनों को प्रस्‍तावित कर रही हूं।'

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