हाइलाइट्स :
रिजर्व बैंक के गवर्नर द्वारा आगे की स्थिति में सुधार के संकेत दिए गए
गवर्नर ने कही मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) में बदलाव करने की बात
महंगाई-राजकोषीय घाटे के अनुमान संशोधन के कारण नहीं हुआ रेपो रेट में बदलाव
वर्तमान में RBI द्वारा तय की गई रेपो रेट 5.15%
राज एक्सप्रेस। हाल ही में वित्त मंत्री ने बजट पेश किया था, जिसके अनुसार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। वहीं अब रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा आगे की स्थिति में सुधार करने को लेकर संकेत दिए गए हैं। इसके अलावा मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) में बदलाव करने की बात भी कही।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बताया :
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि, मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) बीते तीन साल से संचालन में कार्य कर रहा है। हम आंतरिक रूप से फ्रेमवर्क की समीक्षा और विश्लेषण कर रहे हैं कि, इस फ्रेमवर्क ने काम कैसे किया है। उचित समय पर, यदि आवश्यक हो, तो हम सरकार के साथ बातचीत और चर्चा करेंगे। फिलहाल यह आरबीआई के भीतर समीक्षाधीन है।
मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क (MPF) :
आपकी जानकारी के लिए बता दें, मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क कार्य करने का एक तरीका है जिसके अंतर्गत रिजर्व बैंक (RBI) देश की इकोनॉमी से जुड़ी चर्चा करता है यह चर्चा हर दो महीने में होती है। मॉनिटरिंग पॉलिसी फ्रेमवर्क के तहत होने वाली बैठक 3 दिनों की होती है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय बैंक के गवर्नर द्वारा की जाती है। इस बैठक के दौरान ही रेपो रेट में कटौती जैसे बड़े फैसले भी लिए जाते हैं।
रेपो रेट में कटौती :
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ बैठक की, इसी बैठक के बाद दास ने बताया कि, पहले की तुलना में रेपो रेट कटौती की गति में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने भविष्य में रेपो रेट में कटौती की गति को तेज होने के संकेत दिए। बजट के दौरान भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रेपो रेट में कोई बदलाव महंगाई और राजकोषीय घाटा के अनुमान संशोधन के कारण नहीं किया गया था। बताते चलें कि, वर्तमान में रेपो रेट 5.15% है। जबकि, पिछले साल रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में पांच बार कुल 1.35 की कटौती की गई थी।
क्या है रेपो रेट में कटौती ?
रेपो रेट में कटौती का अर्थ जानने के लिए आपको पहले यह जानना होगा कि, रेपो रेट क्या है ? तो, हम आपको बता दें कि, रेपो रेट एक आंकड़ा होता है जिसके आधार पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट की यह दर हमेशा रिजर्व बैंक ही डिसाइड करता है। इसके अलावा यदि मान लीजिये रेपो रेट बहुत कम है तो, बैंकों को उतना ही फायदा होगा। सरल शब्दों में कहें तो जितना कम रेपो रेट उतना अधिक फायदा। इसका कारण यह है कि, रेपो रेट में कमी आने से बैंकों पर ब्याज की दर घटने का भी दबाव बनाया जाता है और यदि ब्याज दर कम होगी तो ग्राहकों को मिलने वाला लोन और EMI भी सस्ती हो जाएगी। RBI द्वारा हर दो महीने के अंतराल में बैठक के दौरान रेपो रेट की समीक्षा करता है।
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