चीन में चल रही बिजली की समस्या का असर अब भारत में नजर आने लगा

बिजली की समस्या से चीन में और भी अन्य कई समस्याएं उतपन्न होती नजर आ रही हैं। जिनका असर अब भारत पर भी पड़ता नजर आने लगा है। क्योंकि, अब सप्लाई में देरी को लेकर नोटिस आते दिखाई दे रहे हैं।
चीन में चल रही बिजली की समस्या का असर अब भारत में नजर आने लगा
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चीन, दुनिया। वैसे तो चीन हमेशा अपनी नई-नई टेक्नोलॉजी के लिए जाना जाता है, लेकिन इन दिनों चीन बिल्कुल असहाय सा महसूस कर रहा है। क्योंकि, चीन में इन दिनों बिजली का गहन संकट छाया हुआ है और चीन के कई राज्य बिजली संकट से बुरी तरह प्रभावित होते नजर आ रहे हैं। इसी बिजली की समस्या से चीन में और भी अन्य कई समस्याएं उत्पन्न होती नजर आ रही हैं। जिनका असर अब भारत पर भी पड़ता नजर आने लगा है। क्योंकि, अब सप्लाई में देरी को लेकर नोटिस आते दिखाई दे रहे हैं।

सप्लाई में देरी को लेकर नोटिस :

दरअसल, इन दिनों चीन के कई राज्यों में लोगों को न सिर्फ अंधेरे में रात काटनी पड़ रही है, बल्कि बिजली की किल्लत इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि, इसी बिजली की समस्या के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप सी पड़ गई हैं और इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ता नजर आ रहा है। वहीं, अब भारत भी इसके बुरे असर से वंचित नहीं रह पा रहा है। हालात यह हो गए है कि, अब तो चीन की सोलर इक्विपमेंट कंपनियों से सप्लाई में देरी को लेकर नोटिस आने शुरू हो गए हैं और इन नोटिसों में ऐसा कहा गया है कि, 'वे आयातकों को तय समय पर इक्विपमेंट की सप्लाई करने में असमर्थ हैं।' बता दें, सप्लाई में देरी होने के नोटिस, बायर और सेलर के बीच हुए एग्रीमेंट के एक खास क्लॉज के तहत भेजे जा रहे हैं।

क्या है नोटिस में ?

चीन की चीन की सोलर इक्विपमेंट कंपनियों से आये नोटिस की मानें तो, 'सोलर इक्विपमेंट की सप्लाई एक अप्रत्याशित घटना के चलते रुक सकती है। इस मामले में बिजली की अभूतपूर्व कमी होने को आधार बनाया जा रहा है।' बताते चलें, इंडियन डेवलपर्स को 31 मार्च 2022 तक 5 गीगावॉट के इक्विपमेंट मिलने की खबर भी सामने आई हैं, ऐसा यह खबर सही है तो सप्लाई में रुकावट वाली बात काफी चर्चा का मुद्दा है। उधर, सरकार का लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी हासिल करने का है। जिसके तहत 100 गीगावॉट की सोलर पावर कैपेसिटी लगाई जाएगी।

भारत में लगाई गई फैक्ट्रियां :

खबरों की मानें तो भारत में दो फैक्ट्रियां लगाई गई हैं जो सोलर पावर इक्विपमेंट बनाने का काम करेंगी और उनमें हर साल सिर्फ तीन गीगावॉट कैपेसिटी के सोलर सेल और 15 गीगावॉट के सोलर मॉड्यूल तैयार किये जा सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि, यहां दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्रोग्राम चलाया जा रहा है। एक इंडियन कंपनी के CEO ने बताया है कि,

'समुद्र के रास्ते माल ढुलाई में रुकावट आने से भाड़ा चार गुना हो गया है। इसके अलावा कंटेनर का अभाव हो गया है और अब नोटिस आ रहे हैं। इन सबके चलते चौतरफा समस्याएं पैदा हुई हैं। सरकार आर्थिक रणनीति के तहत 1 अप्रैल 2022 से इंपोर्टेड सोलर सेल, मॉड्यूल और इनवर्टनर पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगा रही है। न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री ने सरकारी सपोर्ट वाली स्कीमों के लिए सोलर पीवी मॉडल और मॉड्यूल उत्पादकों की अप्रूव्ड लिस्ट वाली व्यवस्था की है। उनमें वे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, जिनमें डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां ग्राहकों के लिए बिजली पैदा करती हैं।'

इंडियन कंपनी के CEO

सोलर इक्विपमेंट मार्केट में हिस्सेदारी :

बताते चलें, सोलर इक्विपमेंट मार्केट में अन्य देशों की हिस्सेदारी देखी जाए तो, चीन की हिस्सेदारी 78% है जबकि, बाकी की हिस्सेदारी वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड और हांगकांग के पास है। सोलर सेल और मॉड्यूल का इंपोर्ट पिछले वित्त वर्ष में घटकर 57.165 करोड़ डॉलर रह गया था जो 2018-19 में 2.16 अरब डॉलर और 2019-20 में 1.68 अरब डॉलर था।

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