लॉकडाउन से FMCG चेन हुई प्रभावित
लॉकडाउन से FMCG चेन हुई प्रभावितSocial Media

FMCG पर गहराया कोरोना संकट!

नोवल कोरोना वायरस डिजीज संक्रमण को फैलने से रोकने पूरे देश में लागू तालाबंदी से जरूरत की सामग्री बनाने वाली इकाइयों (कुछ को छोड़कर) का उत्पादन शून्य फीसद पर जाकर थम गया है।

हाइलाइट्स

  • लोडेड ट्रक फंसे बीच राह में

  • FMCG सर्विस लॉकडाउन से ठप

  • मांग-आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका

  • दफ्रीका में लूटपाट का वीडियो हुआ वायरल

राज एक्सप्रेस। तकरीबन 1.3 अरब की आबादी वाले भारत में लागू लॉकडाउन से फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) श्रृंखला प्रभावित हुई है। इससे आगामी दिनों में उत्पादन और आपूर्ति का संकट गहराने की आशंका है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका में लॉकडाउन को भंग करते हुए डिपार्टमेंटल स्टोर्स में लूटपाट और प्रशासनिक टीम पर हमला करने के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं।

इतनी बाधाओं का सामना :

पहले तो राज्यव्यापी बंद और फिर 24 मार्च की आधी रात को लागू राष्ट्रव्यापी तालाबंदी से उपभोक्ता वस्तु उत्पादक कंपनियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इन परेशानियों में राज्य सरकार से निर्माताओं को इजाजत लेना, श्रमिकों की अनुपस्थिति और बीच राह में फंसे हुए लोडेड ट्रकों की समस्या प्रमुख है।

राज्यों ने सीमाओं को बंद कर दिया गया है। इससे आपूर्ति या तैयार माल लाने-ले जाने वाले ट्रकों को सीमा पार करने में मुश्किल हो रही है। जबकि कुछ ट्रकों के स्टाफ के सदस्यों ने वाहनों को बीच रास्ते में छोड़कर घर की राह पकड़ ली।

उत्पादन में गिरावट :

रिपोर्ट्स के अध्ययन से पता चलता है कि; मार्च एंडिंग तक पैकेज्ड खाद्य पदार्थ, साबुन और डिटर्जेंट जैसी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन सामान्य स्तर के मुकाबले 10 प्रतिशत कम था। इसी तरह पैकेज्ड आटा (गेहूं का आटा) बनाने वाले कारखानों का प्रॉडक्शन भी पूर्ण क्षमता से घटकर 40 फीसदी रह गया था। वहीं खाद्य तेल रिफाइनरीज़ भी कुल क्षमता की आधी ताकत से काम कर रही थीं।

कुछ बिस्कुट निर्माताओं ने प्रॉडक्शन क्षमता घटकर मात्र 20 फीसदी रहने की बात नाम न उजागर करने की शर्त पर बताई। नोवल कोरोना वायरस डिजीज संक्रमण को फैलने से रोकने पूरे देश में लागू तालाबंदी से जरूरत की सामग्री बनाने वाली इकाइयों (कुछ को छोड़कर) का उत्पादन शून्य फीसद पर जाकर थम गया है।

गेंद राज्यों के पाले में :

दरअसल उत्पादन और क्रय-विक्रय के मामले में छूट और प्रतिबंध के लिए केंद्र सरकार ने अपनी एडवाइजरी में लॉकडाउन के दौरान इजाजत देने का जिम्मा राज्यों पर निर्भर किया है। केंद्र के मुताबिक 21 दिनों की तालाबंदी में राज्य कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा कर खुद तय करें कि सुरक्षित तरीके से किन जरूरत की वस्तुओँ के आदान-प्रदान की इजाजत दी जाए। ऐसे में जिन राज्यों में मूलभूत वस्तुओं का उत्पादन हो भी रहा है तो वह उनकी कुल उत्पादन क्षमता के मुकाबले लगभग नगण्य स्थिति में है।

गोदरेज की मार्च एंडिंग :

कमोबेश मार्च एंडिंग में यही स्थिति गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी की भी रही। कंपनी के पुष्ट सूत्रों के मुताबिक आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन के लिए कंपनी को कुल क्षमता के मुकाबले अल्प मात्रा में उत्पादन की इजाजत मिली थी। हालांकि एजेंटों को आवश्यक वस्तुओँ को सप्लाई करने की इजाजत मिलने से आपूर्ति आंशिक रूप से जारी रही।

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स का संकट गहरा सकता है।
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स का संकट गहरा सकता है।Social Media

सेनिटरी नैपकिन आवश्यक है कि नहीं?

नारी स्वास्थ्य से जुड़े उत्पाद का स्टॉक भी संकट में है। दरअसल केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी आवश्यक वस्तुओं की सूची में सैनिटरी नैपकिन को शामिल करने के बारे में असमंजस से कई सैनिटरी नैपकिन निर्माताओं ने इकाइयों को बंद कर दिया है।

भारतीय स्त्री और शिशु स्वच्छता संघ अध्यक्ष राजेश शाह के मुताबिक भारत की सीमाओं को बंद करने से सैनिटरी पैड आयात भी प्रभावित हुआ है। मूलतः इसका चीन से भारत में तकरीबन 10-15 फीसदी आयात होता है।

"राज्य सरकारों को भी सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक वस्तुओं की सूची में जोड़ने की आवश्यकता है। ताकि कंपनियां उत्पादन शुरू कर सकें।"

राजेश शाह, प्रेसिडेंट, भारतीय स्त्री और शिशु स्वच्छता संघ द्वारा (हाल ही में एक मीडिया समूह को दिए बयान में) कहा गया।

क्या ‘जरूरी’ है? :

भारतीय कंपनियों के सामने अनिवार्य सूची की समस्या सबसे अहम है। आवश्यक वस्तुओँ के उत्पादन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओँ की कोई आम सूची का उल्लेख नहीं किया गया नतीजतन कई राज्यों में सुविधाएं बंद करना पड़ीं।

नेस्ले का बयान :

"देश भर के कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन के मद्देनजर, कुछ स्थानों (विनिर्माण, वितरण केंद्र/गोदामों, कार्यालयों, आपूर्तिकर्ताओं) में संचालन कम या निलंबित कर दिया गया है। कंपनी कारखानों/वितरण केंद्रों में परिचालन जारी रखने के लिए अधिकारियों के साथ चर्चा कर रही है।"

नेस्ले इंडिया लिमिटेड (24 मार्च को जारी बयान)

प्लांट्स में वर्कर्स की कमी :

अब समस्या यह भी है कि जहां संयंत्र चलने की स्थिति में हैं भी तो वहां श्रमिकों का टोटा है। कुछ अपने घरों को रवाना हो चुके हैं जबकि कुछ अन्य लोग घरों में रहने के सख्त स्थानीय आदेशों के कारण काम पर आने में असमर्थ हैं।

एफएमसीजी कंपनी से जुड़े सूत्र के मुताबिक कारखानों तक जाने के लिए श्रमिकों को स्थानीय अधिकारियों (पुलिस) से अनुमति पत्रक की आवश्यकता होती है। समस्या यह है कि "आवश्यक"के बारे में स्पष्ट व्याख्या के साथ ही स्पष्ट प्रणाली न होने से भी विरोधाभासी स्थिति निर्मित हो रही है। ऐसे में स्थानीय (जिला स्तर पर) अधिकारी भी अनुमति पत्र जारी करने के मामले में असमंजस की स्थिति में हैं।

पीएम का आश्वासन :

राष्ट्रीय तालाबंदी की घोषणा के वक्त प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वासन दिया था कि आवश्यक वस्तुओं की विनिर्माण इकाइयां इससे अप्रभावित रहेंगी। लेकिन हाल फिलहाल "आवश्यक" की सरल परिभाषा के बारे में भ्रम की स्थिति बरकरार है।

आवश्यक वस्तुओँ/सेवाओं की सूची :

हालांकि इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना के जरिये इस बारे में स्थिति स्पष्ट की है। केंद्रीय मंत्रालय ने राज्यों को आवश्यक खाद्य पदार्थों की सांकेतिक सूची प्रदान करके आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए कहा। सूची कुछ इस प्रकार है।-

  • फल सब्जियां

  • चावल, गेहूं का आटा, अन्य अनाज और दालें

  • चीनी, नमक और मसाला

  • बेकरी और डेयरी (दुग्ध, दुग्ध उत्पाद)

  • चाय और कॉफी

  • अंडा, मांस और मछली

  • खाद्यान्न, तेल, मसाला और खाद्य सामग्री

  • पैकेज्ड फूड और बेवरेजेज

  • स्वास्थ्य की खुराक, पोषक तत्व, विशेष आहार के लिए भोजन और विशेष चिकित्सा उद्देश्य के लिए भोजन

  • नवजात/शिशु आहार

  • पशु चारा/पालतुओं का भोजन

  • उपर्युक्त उत्पादों के लिए खाद्य वितरण सेवाएं और ई-कॉमर्स

  • कोल्ड स्टोरेज और खाद्य उत्पादों का भंडारण

  • संबंधित वस्तुओँ से जुड़े विनिर्माण संयंत्रों और कारखानों को चलाने के लिए आवश्यक अन्य घटकों ईंधन, कोयला, भट्टी, भूसा आदि।

  • सभी कच्चे माल, बिचौलियों, पैकेजिंग सामग्री को उत्पादों की उपरोक्त सूची में दर्ज वस्तुओं को जनसुलभ करने में सहयोग करने की आवश्यकता है।

बढ़ी छटपटाहट :

सूची का उपयोग करते हुए कई कंपनियां अब बंद परिचालन को फिर से शुरू करने के लिए छटपटा रही हैं। जारी सूची से दूसरों को भी यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कारखाने के स्टाफ को कैसे सुरक्षित लाया-ले जाया जाये। साथ ही सूची के आधार पर कच्चा और तैयार माल का अंर्तराज्यीय परिवहन भी संभव हो पाएगा।

“महाराष्ट्र राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों और मंडल आयुक्तों को आवश्यक वस्तुओं की विनिर्माण सुविधाओं के लिए प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा है। साथ ही इस सारी प्रक्रिया को कारगर बनाने राज्य सरकार की वेबसाइट से नजर रखने की योजना है।”

बी वेणुगोपाल रेड्डी, प्रमुख सचिव, उद्योग, ऊर्जा और श्रम विभाग, महाराष्ट्र सरकार (मीडिया समूह को दिये जवाब में)

तेलंगाना की योजना :

वहीं तेलंगाना सरकार में उद्योग विभाग के एक सचिव के मुताबिक आवश्यक वस्तुओं के कारखानों को प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों के साथ काम किया जा रहा है कि उत्पादन को पुनः आरंभ करने के लिए श्रमिक कारखाने तक पहुंच सकें। कंपनियां पोर्टल के माध्यम से शर्तें पूरी कर प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकती हैं।

"हम उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे श्रमसाध्य प्रयासों और उद्योग की पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ, हम जल्द ही आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला देखेंगे।"

विवेक गंभीर, प्रबंध निदेशक एवं सीईओ, गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स लिमिटेड

कार्य शक्ति असंतुलन :

कंपनियों के समक्ष सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद अधिकांश प्रवासी कामगारों के अपने गृह नगर चले जाने से कार्य शक्ति संतुलन की समस्या भी रहेगी। जबकि अन्य लोग भय की वजह से स्थिति काबू में आने तक काम पर नहीं जाना चाहते।

जुदा है अमूल!

भारत की सबसे बड़ी सहकारी डेयरी अमूल में स्थिति औरों के मुकाबले जुदा है। हाल ही में जारी रिपोर्ट्स में प्रबंधन के मुताबिक डेयरी को राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त है और उत्पादन इकाइयों में संक्रमण से बचाव के विशेष इंतजामों के बीच उत्पादन जारी है। गौरतलब है केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दुग्ध, किराना, दवाई जैसी जीवनोपयोगी वस्तुओं की सेवाओं पर कुछ छूट प्रदान की है।

वायरल वीडियो :

इस बीच यूट्यूब पर सेलिब्रेट अगारे नाम के चैनल पर “दक्षिण अफ्रीका में तालाबंदी ध्वस्त हो गई है” शीर्षक से 8 अप्रैल 2020 को जारी वीडियो में डिपार्टमेंटल स्टोर में कथित तौर पर लूटपाट करने के सीसीटीवी फूटेज जारी किए गए हैं।

चैनल के विवरण में दर्शाया गया है कि दक्षिण अफ्रीका में तालाबंदी ध्वस्त हो गई है। रोजगार और खाना खरीदने के लिए पैसा नहीं होने के कारण लोग सड़कों पर दुकानों को लूट रहे हैं। साथ ही इसमें दावा किया गया है कि पुलिस भी भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पा रही है। वीडियोज में कुछ इस तरह का नजारा दिखा।

भारतीयों का संकल्प :

भारत में भी पैर पसारने की कोशिश कर रहे अदृश्य कोरोना वायरस से फाइट में फिलहाल भारत सरकार और भारतीय नागरिकों ने काबिल-ए-तारीफ हौसला दिखाया है। सरकार ने लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में काफी तेजी दिखाई है।

दुश्मन महामारी नोवल कोविड 2019 से लड़ाई की इस घड़ी में कारगर सफलता तब संभव है जब मूलभूत वस्तुओँ-सेवाओं की बंद पड़ रही श्रृंखलाओँ को फिर आपसी सहयोग, सफल नीतियों से गति दी जा सके।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com