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फ्री ​ डिजिटल ट्रांजेक्शन के बावजूद भारतीय बैंकों ने पिछले साल की 5.31 लाख करोड़ रुपए की कमाई

मैकेंजी एंड कंपनी के ताजा वैश्विक सर्वे में सामने आया है कि भारत में ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फ्री हैं, इसी लिए इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है।

हाईलाइट्स

  • भारतीय बैंकों ने भुगतान राजस्व के मामले में दुनिया के चौथे सबसे बड़े पूल तक पहुंच हासिल कर ली है, अगले दिनों में और बढ़ेगा दायरा

  • भारत में ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फ्री हैं, इसी लिए इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती ही जा रही है, अगले दिनों में हर तीन में से दो भुगतान होंगे आनलाइन

  • बैंक पहले साझा नेटवर्क को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे, उन्हें डर था इससे उनके ऐप्स नष्ट हो जाएंगे, लेकिन अब वे नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं

राज एक्सप्रेस। मैकेंजी एंड कंपनी के ताजा वैश्विक सर्वे रिपोर्ट ओपिनियन पीस में सामने आया है कि भारत में ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फ्री हैं, इसी लिए इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। अगले दिनों में यह स्थिति आने वाली है कि हर तीन में से दो भुगतान आनलाइन किए जाएंगे। बैंकों ने अप्रैल 2023 के बाद से 2,000 रुपये से अधिक का भुगतान मोबाइल-फोन वॉलेट से करने पर 1.1 फीसदी चार्ज लिया जाने लगा है। यह चार्ज तभी लागू होता है, जब किसी दूसरे प्लेटफॉर्म के क्यूआर कोड को स्कैन करके पेमेंट किया जाता है। यदि आपके पास मोबाइल वॉलेट/पेमेंट ऐप वाले प्लेटफॉर्म का ही क्यूआर कोड है, तो कोई चार्ज नहीं लिया जाता। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लोगों के लिए विभिन्न बैंकों के खातों में पैसे भेजने और प्राप्त करने के लिए बिल्कुल मुफ्त है। ऑनलाइन-डिजिटल-कैशलेस ट्रांजेक्शन की फ्री सुविधा की वजह से भारत का पेमेंट रेवेन्यू पिछले साल बढ़कर 64 अरब डॉलर हो गया है। जो भारतीय मुद्रा में करीब 5.31 लाख करोड़ रुपये बैठता है।

चीन, अमेरिका, ब्राजील व जापान से पीछे भारत

मैकेंजी एंड कंपनी के ताजा वैश्विक सर्वे में बताया गया है कि पेमेंट रेवेन्यू के मामले में भारत अब केवल चीन, अमेरिका, ब्राजील और जापान से ही पीछे है। ब्लूमबर्ग पर प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑनलाइन लेनदेन के बढ़ते चलन के कारण डिजिटल कॉमर्स में वृद्धि हुई है। हाल के दिनों में क्रेडिट कार्ड का उपयोग भी बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार भारत में इस साल अगस्त के महीने में 10 अरब से ज्यादा कैशलेस लेनदेन किए गए हैं। ये सभी ट्रांजेक्शन ऑनलाइन किए गए गए हैं। मोबाइल-फोन वॉलेट से 2,000 रुपये से अधिक का पेमेंट करने की स्थिति में लगने वाला 1.1 फीसदी चार्ज दुकानदार से उसके फोनपे, पेटीएम जैसे क्यूआर कोड प्रोवाइडर को जाता है।

बैंकों ने कहा उन्हें लाभ लेने से रोका जा रहा

लोगों से बातचीत करके तैयार की गई रिपोर्ट को ओपिनियन पीस नाम दिया गया है। ओपिनियम पीस में कहा गया है कि बैंक बड़े ट्रांजेक्शन करने वाले यूजर्स पर कुछ लागत लगाने की कोशिश करते हैं और सरकार उन्हें कम मूल्य वाले ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने और स्ट्रीट वेंडर्स जैसे वंचित तबके को फॉर्मल क्रेडिट उपलब्ध कराने के लिए पैसा देती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनेक बैंकों ने शिकायत की है कि उन्हें बढ़ते ऑनलाइन पेमेंट से फायदा उठाने से रोका जा रहा है।

हर 3 में से 2 लेनदेन ऑनलाइन होंगे

मोबाइल वॉलेट-पेमेंट ऐप्स के साथ पिछले साल से क्रेडिट कार्ड को भी लिंक करने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन ऐसा तभी किया जा सकता है, जब क्रेडिट कार्ड रुपे नेटवर्क वाले हों। वीज़ा और मास्टरकार्ड के क्रेडिट कार्ड्स को अभी तक इससे नहीं जोड़ा जा सकता है। माना जा रहा है कि लेनदेन के भारी वॉल्यूम के कारण पेमेंट्स बढ़ने से देश का लाभ बढ़ेगा। पिछले साल देश में हुए 620 अरब लेनदेन का पांचवां हिस्सा डिजिटल तरीके से निपटाया गया था। 2027 तक ट्रांजेक्शन का आंकड़ा बढ़कर 765 अरब हो जाएगा और इनमें से हर तीन में से लगभग दो लेनदेन ऑनलाइन तरीके से होंगे।

आनलाइऩ गतिविधियों में नए अवसर पैदा होंगे

बैंक आरंभ में साझा नेटवर्क को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे उनके स्वामित्व वाले ऐप्स नष्ट हो जाएंगे। इस बीच बैंकों ने भुगतान राजस्व के मामले में दुनिया के चौथे सबसे बड़े पूल तक पहुंच हासिल कर ली है। यह तो बस शुरुआत है। आनलाइन भुगतान का यह सिलसिला अगले दिनों में बढ़ता ही जाएगा। कार्ड पर शुल्क से लेकर क्रेडिट लाइन पर ब्याज से होने वाली आय तक, लगातार बढ़ने वाली गतिविधियों में नए अवसर पैदा होंगे। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, यूपीआई को वैश्विक स्तर पर ले जाने का प्रयास कर रहा है। दुनियाभर में जब भारतीय पर्यटक इसका इस्तेमाल करेंगे तो बहुत सारा शुल्क और करेंसी एक्सचेंज कमीशन हासिल होगा।

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