Dhirubhai Ambani
Dhirubhai AmbaniSyed Dabeer Hussain - RE

Dhirubhai Ambani : कभी 300 रुपए की नौकरी के लिए छोड़ा था देश, फिर भारत लौटकर बन गए मिसाल

धीरुभाई भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज भी अपनी सफलता और विचारों के चलते वे लाखों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।

Dhirubhai Ambani : जब कभी भारत के सबसे सफल उद्यमियों का जिक्र होता है तो उनमें धीरुभाई अंबानी का नाम तो अपने आप ही शामिल हो जाता है। एक पेट्रोल पंप पर महज 300 रुपए की नौकरी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले धीरुभाई ने अपनी मेहनत के दम पर खुद का विशाल कारोबार खड़ा कर दिया। आज धीरुभाई की पुण्यतिथि है। उनका निधन आज ही के दिन यानि 6 जुलाई 2002 को मुंबई के ब्रेच कैंडी हॉस्पिटल में हुआ था। उनकी मौत के बाद उनका पूरा कारोबार उनके दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी संभालते हैं। धीरुभाई भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज भी अपनी सफलता और विचारों के चलते वे लाखों युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।

300 रुपए की नौकरी

यह बात साल 1948 की है जब धीरुभाई की उम्र महज 16 साल हुआ करती थी, इस दौरान वे अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद के उद्देश्य से यमन के एडेन शहर चले गए, यहाँ पहुंचकर धीरुभाई ने एक पेट्रोल पंप पर केवल 300 रुपए प्रतिमाह के वेतन पर काम करना शुरू किया। इसके दो साल के बाद ही वे एडेन के बंदरगाह पर नौकरी करने लगे। लेकिन उनका मन बिज़नेस में लगा हुआ था। जिस कारण वे कुछ ही समय में फिर से भारत लौट आए।

कैसे बने बिजनेसमैन?

भारत आने के बाद धुरिभई ने अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दिमानी ने साथ मिलकर 'रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन' कंपनी का निर्माण किया। यह कंपनी पश्चिमी देशों में मसालों के निर्यात का काम करती थी। उनका काम तेजी से आगे बढ़ने लगा। जिसके बाद 50 हजार रुपयों के साथ धीरुभाई ने पॉलिएस्टर धागे के इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट के बिज़नस 'रिलायंस टैक्सटाइल्स' को शुर किया। यह बिज़नस कुछ ही समय में आसमान की बुलंदियों को छुने लगा और उनका नाम देश के सबसे अमीर लोगों में शुमार हो गया।

धीरुभाई की खास बातें

धीरुभाई हमेशा लोगों को आगे बढ़ने की सलाह देते थे। वे कहते थे कि, 'जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं।' उन्हें बड़ी पार्टियां करना कभी पसंद नहीं था। इसके बजाय वे अपने परिवार और कंपनी के लोगों के साथ समय बिताना पसंद करते थे।

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