इस कारण IT सेक्टर से घरेलू मार्केट और इंडियन इकोनॉमी को मिल रहा बूस्ट

इतिहास पर गौर करें तो, भारत की IT कंपनियों ने घरेलू बाजार को परेशानी की नजरों से देखा। इसका कारण यहां मार्जिन और डील का आकार बहुत कम, सौदेबाजी ज्यादा और किसी डील के समाप्त होने का समय भी काफी अधिक था।
IT Sector
IT SectorKavita Singh Rathore -RE

हाइलाइट्स :

  • भारतीय आईटी कंपनियों में हुआ सुधार

  • निर्यात की ओर उन्मुख और केंद्रित हो रही है भारतीय आईटी इंडस्ट्री

  • लगभग 180 अरब का है IT कारोबार

राज एक्सप्रेस। इंडियन डॉमेस्टिक आईटी इंडस्ट्री (IT Sector) में हाल ही में चाइना की एमजी मोटर्स (MG Motors) के फर्स्ट सेल ऑफर और TCS एवं विप्रो की असरदार मौजूदगी से घरेलू बाजार को उछाल मिली है। दरअसल चाईना के एमजी मोटर्स ने अपनी पहली पेशकश ब्लॉकबस्टर एसयूवी हेक्टर के साथ भारत में जब अपने पैर पसारे तो उसने अपने एंड-टू-एंड कस्टमर एक्सपियरेंस एंड एंटरप्राइज़ मैनेजमेंट आईटी साल्यूशन्स की दिशा में करार पर हस्ताक्षर भी किए।

तेज हो रही भारतीय मेल :

भारतीय डाक विभाग ने आधुनिकिकरण यानी मेल, पैकेज की डिलेवरी सुधारने के लिए अगस्त 2019 में आईटी के दिग्गज TCS के साथ करार पर हस्ताक्षर किए। सितंबर में विप्रो के साथ ICICI बैंक ने डिजिटल सर्विस के लिए 300 अरब का सौदा किया। ये करार बता रहे हैं कि 180 अरब वाली भारतीय आईटी इंडस्ट्री अब निर्यात की ओर उन्मुख और केंद्रित हो रही है। यह घरेलू बाजार के लिए खुशियों वाली खबर है।

इतिहास पर गौर करें तो भारत की आईटी कंपनियों ने घरेलू बाजार को परेशानी वाली नजरों से देखा। इसका कारण यहां मार्जिन और डील का आकार बहुत कम, सौदेबाजी ज्यादा और किसी डील के समाप्त होने का समय भी अधिक था।

उत्तरी अमेरिकी क्लाइंट्स जो कि ज्यादा खर्च करते हैं, जल्द फैसले लेते हैं और कीमत की तुलना में गुणवत्ता पर जोर देते हैं को भारत में सेल के लिए अलग तरह के ओरिएंटेशन की जरूरत थी। हालांकि चीजें अब बदलना भी शुरू हो गईं हैं।

कूबत इतनी!

भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी- IT) सेक्टर की कूबत यानी हैसियत की यदि बात करें तो इस दौर में भारत का आईटी सेक्टर लगभग 180 अरब का है।

खास पड़ताल जारी :

पिछले आधे दशक में भारत 5 खरब की अर्थव्यवस्था बनने की महत्वाकांक्षा के साथ बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। इंडियन IT सेक्टर भी घरेलू मार्केट में उसकी पहुंच के बारे में फिर से पड़ताल कर रहा है। इस पड़ताल में इस बात को ध्यान रखा गया है कि लगभग हर कंपनी को अपने सेक्टर या आकार से भी कहीं अधिक डिजिटल सेवाओं की जरूरत होती है। अब यह बिलकुल साफ है कि आने वाले समय में प्रत्येक कंपनी को उसके सेक्टर और आकार के हिसाब से डिजिटल सर्विस की जरूरत पड़ने वाली है।

डिमांड यहां से भी :

मांग का दूसरा बड़ा जरिया वो मल्टीनेशनल कंपनियां हैं जो भारत में कारोबार करती हैं। इसके परिणाम स्वरूप भारत में IT का घोड़ा रफ्तार पकड़ने को बेताब है। विदेशी कंपनियों का पेशवर तरीका भारत में आईटी सेक्टर को मजबूती प्रदान कर सकता है।

“अगर भारत को अगले पांच सालों में 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनना है हो, तो प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) उसमें अहम रोल अदा करेगी।”

सीपी गुरुनानी, चीफ एग्ज़ीक्यूटिव एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, टेक महिंद्रा

बदल रही है सोच :

सेक्टर के जानकारों के मुताबिक भारत में अब टीसीएस (TCS), इन्फोसिस (Infosys) और HCL जैसी बड़ी कंपनियों के कस्टमर्स के बीच विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा की ललक के साथ ही डिजिटल इंडस्ट्री के लिए परिष्कृत सोच का विस्तार देखने को मिल रहा है।टेक महिंद्राकी प्रतिद्वंदी कॉग्नीजेंट ने इंडियन IT सेक्टर में आए बदलाव को सकारात्मक बताया है।

“कॉग्निजेंट के क्लाइंट्स वो भारतीय कंपनियां हैं जो ग्लोबली परफॉर्म कर रहीं हैं। साथ ही वो बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी जिनके लिए भारत तेजी से उभरता मार्केट और अर्थव्यवस्था है। कॉग्निजेंट बिज़नेस में डिजिटल बदलावों पर काम करती हैं। साथ ही इन क्लाइंट्स के लिए टेक्नोलॉजी मॉडल्स का संचालन करने की सेवा भी देती है। ताकि वे उच्च गुणवत्ता के साथ काम कर सकें।”

रामकुमार राममूर्ति, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, कॉग्निजेंट इंडिया

“डील साइज़, मार्जिन और डील के क्लोज़ में लगने वाला समय ये वो तीन अहम फैक्टर हैं जिस कारण भारतीय मार्केट फीका था। लेकिन अब हालात सुधर रहे हैं। डील क्लोज़िंग टाइम लिमिट अब 18-24 महीनों से घटकर 3-12 महीना हो गई है।” “IT इंडस्ट्री के लिए सरकार सबसे बड़ा ग्राहक है, बैंकिंग से लेकर मैन्युफैक्चरिंग, टेलिकॉम के साथ ही ऑयल एंड गैस इंडस्ट्री में टेक सॉल्यूशन्स को अपनाया जा रहा है। डिजिटल ट्रांस्फॉर्मेशन की यह उछाल भारत को आकर्षक बना रही है।”

संगीता गुप्ता, नैसकॉम की IT इंडस्ट्री बॉडी में सीनियर VP

परंपरागत तरीके में बदलाव :

शुरूआत में IT का रुझान बैंकों जैसे ग्राहकों को संस्थानों में कम्प्यूटरीकरण करना था वहीं इस सेक्टर के बड़े नामों के पास अब इन कस्टमर्स के ट्रांजेक्शन, इंटरनेट बैंकिंग जैसी जरूरत पूरा करने की बड़ी डिमांड सामने है।

“हम लागत (कॉस्ट) केंद्रित परंपरागत सोच के बजाए अब दक्षता आधारित सोच का बदलाव होते देख रहे हैं।”

डीडी मिश्रा, सीनियर डायरेक्टर, टेक्नोलॉजी फोरकास्टर गार्टनर

करारोपण की नई प्रणाली :

भारत में वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) लागू होने साथ ही ऑन लाइन टैक्सेशन प्रणाली लागू हो जाने से अब अमूमन सभी छोटे-बड़े संस्थानों को अपना डेटा सुरक्षित रखने के साथ ही खुद को डिजिटली अपटूडेट करना पड़ रहा है। इस कारण भी IT सेक्टर में काम की कमी अगले पांच सालों तक बिलकुल कम नहीं होने वाली।

बड़े करार से इंडस्ट्री में बहार :

डिजिटल ट्रॉन्सफर्मेशन के लिए टेक महिंद्रा का कोल इंडिया के साथ किया गया 270 करोड़ रुपए का पांच साल का करार भारतीय आईटी इंडस्ट्री की सफलता की कहानी बताने के लिए काफी है। डिफेंस में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) लागू करने के लिए भी 300 करोड़ रुपए का ऑर्डर कंपनी को मिला है। इन्फोसिस को नेक्स्ट जनरेशन इनकम टैक्स फाइलिंग सिस्टम ईजाद करने के ऐवज में 4,242 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।

इन कंपनियों को मिले ये करार बता रहे हैं कि, IT सेक्टर में आने वाला समय भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में मेन रोल निभाने वाला है।

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