पेट्रोल, डीजल, ATF, गैस को GST में लाने FM सीतारमण ने अब क्या कहा?

भारतीय लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्री के दिये गए लिखित जवाब से तो यही दृष्टिगोचर है कि; पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि; उच्च मांग वाले टॉप फाईव फ्यूल के GST के दायरे में न आने की वजह क्या है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि; उच्च मांग वाले टॉप फाईव फ्यूल के GST के दायरे में न आने की वजह क्या है।Syed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स –

  • क्यों हाई फाईव फ्यूल की GST से दूरी?

  • वित्त मंत्री सीतारमण ने लोस को बताया

  • खास पंच पदार्थों से चरमराई अर्थव्यवस्था!

राज एक्सप्रेस। ईंधन की ऊंची कीमतों के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस को गुड्स एंड सर्विस टैक्स के तहत लाने के लिए अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।

ऊंची खुदरा कीमतें -

भारतीय लोकसभा में केंद्रीय वित्त् मंत्री के दिये गए लिखित जवाब से तो यही दृष्टिगोचर है कि; पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाने से कंज्यूमर्स को तेल की ऊंची खुदरा कीमतों से निजात मिलना फिलहाल जल्द तो मुनासिब नहीं है।

जीएसटी लागू होने के वक्त -

एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक जब 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, तो केंद्रीय और राज्यों के एक दर्जन से अधिक समामेलन में पांच जिंसों - कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और एविएशन टरबाइन फ्यूल [aviation turbine fuel (ATF)(एटीएफ)] यानी विमानन टरबाइन ईंधन को समाहित कर इस क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकारों की राजस्व निर्भरता को देखते हुए इनको जीएसटी से बाहर रखा गया था।

"अब तक, जीएसटी परिषद, जिसमें राज्यों का भी प्रतिनिधित्व किया गया है, ने इन वस्तुओं को जीएसटी के तहत शामिल करने के लिए कोई सिफारिश नहीं की है।"

निर्मला सीतारमण (लोकसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर)

ईंधन की ऊंची कीमतों के बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस को गुड्स एंड सर्विस टैक्स [Goods and Services Tax (GST)(जीएसटी)] यानी माल और सेवा कर के तहत लाने के लिए अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।

इसका मतलब यह है कि केंद्र सरकार इन पंचकल्प (कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस) पदार्थों पर उत्पाद शुल्क जबकि राज्य सरकारों ने वैट (VAT) वसूलना जारी रखा है। गौरतलब है कि; उत्पाद शुल्क के साथ, विशेष रूप से, इन करों में समय-समय पर वृद्धि भी हुई है।

पंचकल्पीय पंच पदार्थ -

खुदरा दाम बढ़ गए हैं, करों में कमी नहीं आई है, और मांग वसूली पर वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि ने पेट्रोल और डीजल को अब तक के (ऑल टाइम हाई) उच्च स्तर पर जा धकेला है। इस वजह से अर्थव्यवस्था में चर्र-चूं की आवाज कम करने वाले इन पंचकल्पीय पंच पदार्थों को GST के दायरे में लाने की मांग तेजी से बढ़ रही है।

लिखित जवाब -

एक सवाल के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर लिखित जवाब पेश किया गया है कि; "फिलहाल, कच्चे पेट्रोलियम, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के तहत लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।"

उन्होंने बताया कि; कानून निर्धारित करता है कि जीएसटी परिषद उस तारीख की सिफारिश करेगी जिस आधार पर पेट्रोलियम क्रूड, हाई-स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट (आमतौर पर पेट्रोल के रूप में जाना जाता है), प्राकृतिक गैस और एटीएफ पर माल और सेवा कर लगाया जाएगा।

निराशा –

वित्त मंत्री ने कहा कि; "अब तक, जीएसटी परिषद, जिसमें राज्यों का भी प्रतिनिधित्व किया गया है, ने जीएसटी के तहत इन गुड्स को शामिल करने के लिए कोई सिफारिश नहीं की है।"

उम्मीद -

उन्होंने कहा कि; परिषद इन पांच पेट्रोलियम उत्पादों को राजस्व निहितार्थ सहित सभी प्रासंगिक कारकों की उपयुक्तता को ध्यान में रखते हुए शामिल करने के मुद्दे पर विचार कर सकती है।

जीएसटी में तेल उत्पादों को शामिल करने से न केवल कंपनियों को कर लगाने में मदद मिलेगी जो उन्होंने इनपुट पर भुगतान किया बल्कि देश में ईंधन पर कराधान के मामले में भी एकरूपता आएगी।

पिछले दिनों कहा था -

सीतारमण ने पिछले कुछ दिनों पहले जीएसटी के तहत ईंधन को शामिल करने के मुद्दे पर बात की थी। साथ ही केंद्र और राज्यों द्वारा खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ उपभोक्ताओं को राहत देने के मकसद से संयुक्त प्रयासों की जानकारी दी थी।

जूनियर का जवाब -

एक अलग सवाल के लिए, वित्त मंत्रालय में एफएम सीतारमण के जूनियर, अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि एक साल पहले पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.98 रुपये प्रति लीटर था और अब 32.9 रुपये है। इसी तरह डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.83 रुपये से बढ़ाकर 31.8 रुपये कर दिया गया है।

लेवी बढ़ाने के कारण बताते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा; 'मौजूदा राजकोषीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे और व्यय के अन्य विकासात्मक मदों के लिए संसाधन उत्पन्न करने के लिए उत्पाद शुल्क दरों को कैलिब्रेट किया गया है।'

पेट्रोल-डीजल - सामान्य कीमतों पर उच्च ईंधन दरों के प्रभाव पर, उन्होंने कहा कि 'वाहन के लिए पेट्रोल' मुद्रा स्फीति जनवरी 2020 में 7.38 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष जनवरी में 12.53 प्रतिशत हो गई है।

इसी तरह डीजल के लिए वाहन' की महंगाई दर पिछले साल जनवरी में 6.44 फीसदी से बढ़कर इस साल 12.79 फीसदी हो गई है।

तेल की कीमत पर ठाकुर ने कहा कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अंतर राष्ट्रीय उत्पाद की कीमतों पर निर्धारित की गई हैं।

आम तौर पर, देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत अन्य देशों की तुलना में संबंधित सरकारों द्वारा मौजूदा कर व्यवस्था और सब्सिडी की क्षतिपूर्ति सहित कई कारकों के कारण अधिक/कम होती है। सरकार ने 2010 में पेट्रोल और 2014 में डीजल पर सब्सिडी समाप्त कर दी थी जबकि साल 2002 में एटीएफ मूल्य निर्धारण को मुक्त कर दिया गया।

धर्मेंद्र प्रधान की सिफारिश –

सनद हो, खुद केंद्रीय प्राकृतिक गैस व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी पेट्रोल-डीजल के ऊंचे खुदरा दामों के कारण इन पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश कर चुके हैं।

लेकिन फिलहाल वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल क्रूड, पेट्रोल, डीजल, विमानों के ईंधन (एटीएफ) और प्राकृतिक गैस का जीएसटी की जद में पहुंचना दूर की कौड़ी है।

हालांकि वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों की जानकारी देकर उम्मीद जगाई है कि है कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स के बारे में जल्द कोई फैसला होगा।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया एवं एजेंसी रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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