RBI ने बुलेटिन में यूं बताया COVID का U-shaped इम्पेक्ट, बताई अपनी तैयारी

आपने पिछले साल K आकार की रिकवरी के बारे में सुना होगा। RBI के मुताबिक दूसरी लहर का असर यू शेप्ड (U-shaped) यानी यू आकार का नजर आ रहा है।
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सांकेतिक चित्र- Social Media

हाइलाइट्स –

  • RBI का मासिक बुलेटिन जारी

  • दूसरी लहर का असर यू शेप्ड : RBI

  • कृषि क्षेत्र से बेहतरी की उम्मीद

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में चुनौतीपूर्ण समय के बीच मई 2021 के लिए अपना मासिक बुलेटिन जारी किया। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी घातक लहर देखी जा रही है, जिसने स्वास्थ्य ढांचे को पंगु बना दिया है।

संपूर्ण भारत में लॉकडाउन -

भारत में कोरोना वायरस के कारण रोजाना मौतों का नया रिकॉर्ड दर्ज हो रहा है। इस समय व्यावहारिक रूप से पूरा भारत किसी न किसी तरह के लॉकडाउन के आगोश में है।

एजेंसियों के अनुमान में कटौती -

पहली तिमाही में महामारी की मार झेल रही आर्थिक गतिविधियों की बढ़ती चिंताओं के बीच रेटिंग एजेंसियों ने अपने अनुमान में कटौती की है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए एजेंसियों ने भारत की जीडीपी वृद्धि (GDP growth) के अनुमान में कटौती शुरू कर दी है।

RBI ने बताई तैयारी -

आरबीआई ने कहा है कि वह उभरती स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगा। साथ ही दूसरी लहर से प्रभावित व्यक्तियों, व्यावसायिक संस्थाओं और संस्थानों के लिए सभी संसाधनों और उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।

बुलेटिन की खास बातें -

रिजर्व बैंक ने बुलेटिन में कुछ प्रमुख कारकों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। ये वे कारक हैं जो कोविड लॉकडाउन के कारण मूल रूप से प्रभावित हुए हैं।

आर्थिक प्रभाव पहली लहर जितना गंभीर नहीं -

RBI का कहना है कि COVID-19 के पुनरुत्थान ने Q1 FY 2021-22 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधि को चोट तो पहुंचाई है लकिन वह कमजोर नहीं हुई है।

हालांकि चीजें अभी भी सामने आ रही हैं और अनिश्चितता मौजूद है "गति का नुकसान" एक साल पहले जितना गंभीर नहीं है। इस बात की बाजार में व्यापक सहमति है।

मांग को झटका, आपूर्ति कम प्रभावित -

आरबीआई के अनुसार, "जबकि वास्तविक अर्थव्यवस्था संकेतक अप्रैल-मई 2021 के दौरान नरम रहे हैं, दूसरी लहर का सबसे बड़ा असर मांग के झटके के रूप में है- गतिशीलता का नुकसान, विवेकाधीन खर्च और रोजगार, इन्वेंट्री संचय के अलावा कुल आपूर्ति कम प्रभावित हुई है।

कृषि पक्ष से आस -

आपूर्ति पक्ष पर कृषि क्षेत्र के लचीलेपन से रिजर्व बैंक को आस है। आरबीआई बताता है कि "2020-21 में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और बफर स्टॉक ग्रामीण मांग, रोजगार और कृषि इनपुट एवं आपूर्ति के रूप में अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को निर्यात सहित खाद्य सुरक्षा और समर्थन प्रदान करते हैं।"

मानसून से उम्मीद -

सामान्य मानसून के पूर्वानुमान से 2021-22 में ग्रामीण मांग और कुल उत्पादन को बनाए रखने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति के दबावों पर भी इसका सुखद प्रभाव पड़ने की संभावना है। विनिर्माण इकाइयों में अब तक का व्यवधान न्यूनतम है।

यू शेप्ड इम्पैक्ट -

आपने पिछले साल K आकार की रिकवरी के बारे में सुना होगा। RBI के मुताबिक दूसरी लहर का असर यू शेप्ड (U-shaped) यानी यू आकार का नजर आ रहा है।

यू आकार की व्याख्या -

आरबीआई ने यू आकार के असर की व्याख्या भी की है। आरबीआई के मुताबिक "यू का प्रत्येक कंधा उन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है जो तूफान का सामना कर रहे हैं - एक छोर पर कृषि और दूसरी तरफ आईटी। यू की ढलानों पर एक तरफ संगठित और स्वचालित विनिर्माण हैं। और दूसरी ओर ऐसी सेवाएं जिन्हें दूरस्थ रूप से वितरित किया जा सकता है और जिन्हें उत्पादकों और उपभोक्ताओं को स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं होती है। ये गतिविधियां महामारी प्रोटोकॉल के तहत कार्य करना जारी रखती हैं।

'यू' (‘U’) के बीच की गहराई -

'यू' (‘U’) के बीच की गहराई में सबसे कमजोर क्षेत्र शामिल हैं। इनमें ब्लू कॉलर कर्मचारी और दैनिक वेतन भोगी कर्मी वर्ग शामिल है जिन्हें जीवन यापन के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। इसमें डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हैं; कानून एवं व्यवस्था और नगर निगम के कर्मी, जो लोगों को महामारी से उबरने में मदद करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं वे भी इसमें शामिल हैं।

इसमें छोटे व्यवसाय, संगठित और असंगठित क्षेत्रों से जुड़े एमएसएमई शामिल हैं जो सबसे अधिक प्रभावित हैं और नीतिगत हस्तक्षेपों में प्राथमिकता की आवश्यकता है।

नए रिज़ॉल्यूशन 2.0 की घोषणा -

व्यक्तियों, एसएमबी, एमएसएमई जैसे इन उधारकर्ताओं जिनका कुल एक्सपोजर 25 करोड़ रुपये तक है और जिन्होंने रिज़ॉल्यूशन फ्रेमवर्क 1.0 सहित पहले के किसी भी पुनर्गठन ढांचे के तहत पुनर्गठन का लाभ नहीं उठाया है उनके लिए आरबीआई द्वारा एक नए रिज़ॉल्यूशन 2.0 की घोषणा की गई है।

इनपुट मूल्य दबावों में वृद्धि चिंता का सबब -

“विनिर्माण और सेवाओं के PMI के साथ-साथ थोक मूल्य सूचकांक की बढ़ती मुद्रास्फीति इनपुट मूल्य दबाव की निरंतरता को दर्शाती है।

वैश्विक स्तर पर जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण सभी क्षेत्रों में इनपुट मूल्य दबाव में वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है। सामान्य मानसून के पूर्वानुमान का मुद्रास्फीति के दबावों पर सुखद प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

WPI की ऊँचाई -

मासिक बुलेटिन के बाद जारी होलसेल प्राइज़ इन्फ्लेशन (Wholesale Price Inflation/WPI) यानी थोक मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल 2021 में 10.49% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। विशेषज्ञों के अनुसार गिरावट की प्रवृत्ति शुरू करने से पहले मई में इसके और बढ़ने की उम्मीद है।

भले ही मौद्रिक रुख उदार बने रहने की उम्मीद हो लेकिन यह आरबीआई से दरों में कटौती के लिए ज्यादा जगह नहीं छोड़ेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस -

आरबीआई के अनुसार, भारत कोविड की विनाशकारी दूसरी लहर के चरम पर पहुंच सकता है। 18 राज्यों ने नए मामलों के बढ़ने की सूचना दी है। दैनिक नए मामलों की तुलना में अब रिकवरी कहीं अधिक है।

हालाँकि, लहर बड़े शहरों से छोटे शहरों और गांवों में स्थानांतरित हो रही है जहां परीक्षण कम हैं और स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा खराब है। हमें इन क्षेत्रों में वायरस को कम करने के लिए अपने प्रयासों और ऊर्जा पर फिर से ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

टीकाकरण, टीकाकरण, टीकाकरण –

आरबीआई के अनुसार, दूसरी लहर के दौरान महत्वपूर्ण सबक टीकाकरण, टीकाकरण और मात्र टीकाकरण है। आरबीआई ने कुछ दार्शनिक रूप से इसकी व्याख्या की है। आरबीआई के मुताबिक आगे की राह खतरे से भरी है, लेकिन भारत की नियति दूसरी लहर में नहीं है, बल्कि इससे परे जीवन में है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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