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अगले हफ्ते होने वाली बैठक में ब्याज दर में एक बार फिर 25 बेसिस प्वाइंट वृद्धि कर सकता है भारतीय रिजर्व बैंक

अगला वित्त वर्ष शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं। नए वित्त वर्ष के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक की अहम बैठक होने वाली है। बैठक में ब्याज दर में एक बार फिर 25 बेसिस प्वाइंट वृद्धि की जा सकती है।

राज एक्सप्रेस। अगला वित्त वर्ष शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी बचे हैं। नए वित्त वर्ष के पहले सप्ताह में रिजर्व बैंक की एक अहम बैठक होने वाली है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए यह बैठक ऐसे समय कर रही है, जब दुनिया के अनेक केंद्रीय बैंक संकट से घिरे हुए हैं। इस संकट से बाहर निकलने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व समेत कई सेंट्रल बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। जबकि घरेलू मोर्चे पर महंगाई एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने है। ऐसे में ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक अगली बैठक में रेपो रेट को 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी बढ़ाने का फैसला कर सकता है। रिजर्व बैंक की वित्त वर्ष 2023-24 की पहली एमपीसी बैठक 03 अप्रैल से शुरू हो रही है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए हर दो महीने में बैठक करती है। इस बैठक के नतीजे 06 अप्रैल को सामने आएंगे। यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब खुदरा महंगाई की दर अभी भी रिजर्व बैंक के 06 फीसदी के दायरे से ऊपर है। रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर निर्णय लेते समय खुदरा महंगाई को सबसे ज्यादा ध्यान में रखता है. इसके अलावा भी कुछ घरेलू व बाहरी फैक्टर सेंट्रल बैंक के निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

इन फैक्टर्स के आधार पर लिया जाएगा निर्णय़

अगली मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में नीतिगत दरों पर फैसला करते वक्त कमेटी दो अहम पहलुओं पर गौर करेगी। इनमें उच्च महंगाई दर और हाल के समय में विभिन्न केंद्रीय बैंकों खासकर यूएस फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड की ओर से उठाए गए कदम शामिल हैं। महंगाई को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक मई 2022 से लगातार नीतिगत दरों में वृद्धि कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ग्लोबल सप्लाई चेन में आए व्यवधान जैसे बाहरी कारकों को महंगाई बढ़ने की वजह माना जा रहा है। नवंबर और दिसंबर 2022 में 6 फीसदी से नीचे रहने वाली खुदरा महंगाई एक बार फिर रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के टारगेट से ऊपर निकल गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी महीने में 6.52 फीसदी, जबकि फरवरी महीने में 6.44 फीसदी पर पहुंच गई थी। फरवरी में हुई एसपीसी बैठक में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों यानी रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी। इससे रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गई। मई 2022 से लेकर अब तक दरों में 2.50 फीसदी की वृद्धि की गई है। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस का मानना है, पिछले दो महीनों में खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी और 6.4 फीसदी रही है। नकदी की उपलब्धता अब लगभग तटस्थ है. हम ऐसी उम्मीद कर सकते हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में एक बार फिर से 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर सकता है। साथ ही यह संकेत देने के लिए ब्याज दरों में तेजी का दौर खत्म हो चुका है, वह अपने रुख को बदलकर तटस्थ कर सकता है।

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