30 जून को मिला 31 मार्च वाला रुतबा

31 मार्च को वित्त वर्ष के अंतिम दिन कामकाज निपटाने का आखिरी चांस होता था। लॉकडाउन से फाइनल डे फीका रहा। कोरोना के कारण वित्त मंत्री ने पिछले दिनों रिटर्न भरने की तारीख में बदलाव की जानकारी दी।
30 जून को मिला 31 मार्च वाला रुतबा
30 जून को मिला 31 मार्च वाला रुतबाNeha Shrivastava - RE
  • CORONA का जन से लेकर धन तक असर

  • ITR दाखिल करने 31 मार्च इस बार नहीं रहा खास

  • लॉकडाउन से 30 जून को मिला 31 मार्च वाला रुतबा

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस डिसीज़ के संक्रमण ने देश-दुनिया के तमाम रस्मों-कानून को बदलकर रख दिया है। सबसे बड़ी चोट वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ी है। आम तौर पर 31 मार्च भारत में कर संबंधी प्रक्रियाओं की खानापूर्ति के लिए अहम और व्यस्ततम दिवस होता है लेकिन इस बार स्थिति इससे उलट दिखी।

खास दिन क्यों?

टैक्स पेयर्स को 31 जुलाई 2019 तक रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य था। उनके पास विलंब से इसे दाखिल करने 31 मार्च 2020 तक समय था। हाल ही में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण एहतियातन की गई तालाबंदी के कारण सरकार ने रिटर्न दाखिल करने की अंतिम समय सीमा फिलहाल 30 जून 2020 कर दी है।

किसको दाखिल करना जरूरी :

आयकर के नियमों के मुताबिक जिन नागरिकों की आय 2.5 लाख रुपए तक है, उनको आयकर विवरणी को जमा करना जरूरी नहीं है। लेकिन यदि संबंधित का टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) कट रहा हो यानी स्त्रोत पर कर कटौती हो रही हो तो उसको इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है। इसके अलावा 2.5 लाख से ऊपर की आय वाले सभी वर्ग को नियत तिथि तक रिटर्न जमा करना अनिवार्य किया गया है।

इतना शुल्क :

24 मार्च 2020 के निर्देशों के अनुसार आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, यदि आईटीआर 1 जनवरी, 2020 और 31 मार्च, 2020 के बीच दाखिल किया जाता है, तो विलंब शुल्क 10,000 रुपये लगाया जाएगा। हालांकि, अगर कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो 1,000 रुपये का अधिकतम विलंब शुल्क लगेगा। नियमों के मुताबिक 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर लेट फीस 1000 रुपए, पांच से 10 लाख की आय पर 5000/- जबकि 10 लाख से अधिक आय पर लेट फीस 10 हजार रुपए जमा करनी होगी।

वर्ष 2018-19 की मियाद 30 जून :

लॉकडाउन के कारण वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2018-19 की आयकर विवरणी दाखिल करने की तारीख आगे बढ़ा दी है। अब संबंधित वर्ग 30 जून 2020 तक अपना विवरण आयकर विभाग में प्रस्तुत कर सकते हैं। गौरतलब है वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की नियत तिथि 31 जुलाई 2019 और 30 सितंबर 2019 थी।

जो लोग इस तारीख तक रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए थे उनको लेट फीस के साथ 31 मार्च 2020 तक संबंधित खानापूर्ति का वक्त था। फिलहाल कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी जंग में एहतियातन लागू लॉकडाउन के कारण इस अंतिम तारीख को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है। वित्त मंत्रालय ने अब यह डेडलाइन बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी है। मतलब वर्ष 2018-19 का इनकम टैक्स रिटर्न अब नियमानुसार 30 जून 2020 तक दाखिल किया जा सकेगा।

80 सी की छूट :

इसी प्रकार आयकर की धारा 80 सी के साथ ही अन्य प्रावधानों में छूट हासिल करने निवेश की आखिरी तारीख 31 मार्च 2020 को भी बढ़ाकर 30 जून 2020 तय किया गया है। मतलब आयकर की धारा 80 सी एवं अन्य प्रावधानों के तहत छूट हासिल करने 30 जून 2020 तक निवेश करने की पात्रता करदाता को होगी।

चिंता यह भी :

निवेशक वित्तीय वर्ष में बदलाव के बारे में सशंकित हैं। वे जानना चाह रहे हैं कि क्या वित्तीय वर्ष को भी 31 मार्च से आगे बढ़ाया गया है अथवा वो पूर्ववत लागू होगा। इस बारे में कर सलाहकारों की राय है कि फिलहाल सरकार ने इस बारे में किसी बदलाव के बारे में घोषणा नहीं की है। जानकारों की मानें तो अभी तक किसी भी योजना में निवेश न करने वाले टैक्स पेयर्स 30 जून 2020 तक निवेश कर सकते हैं।

घटी अहमियत! :

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 31 मार्च अंतिम दिवस था। हर साल इन दिन कई जरूरी वित्तीय कामकाज निपटाने की परंपरा रही है। अब तक वित्त वर्ष के आखिरी दिन 31 मार्च को वित्तीय कामकाज निपटाने का आखिरी चांस होता था। लॉकडाउन की वजह से इस साल फाइनेंशियल ईयर का फाइनल डे फीका रहा।

30 जून खास-खास :

GST में राहत- गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) यानी वस्तु एवं सेवा कर विवरणी जमा करने की आखिरी तारीख भी वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून की है। यानी कारोबारी वर्ग अब मार्च, अप्रैल और मई महीने का जीएसटी विवरण 30 जून 2020 तक प्रस्तुत कर सकेंगे। टैक्स देनदारी संबंधी विवादों के निपटारे के लिए भी अब आखिरी तारीख 30 जून कर दी गई है जिस पर कोई एक्ट्रा फीस नहीं लगेगी।

पैन कार्ड- आयकर रिटर्न के अलावा अब आधार-पैन कार्ड लिंकिंग की आखिरी तारीख भी 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून 2020 की गई है। लिंकिंग की डेडलाइन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट कई दफा पहले भी खिसका चुका है। आंकड़ों के मान से देश के कई लोग आधार और पैन कार्ड को लिंक कराने से वंचित हैं।

जुर्माना- फाइनेंशियल ईयर 2018-19 का आयकर विवरण जुर्माने के साथ जमा करने के लिए अंतिम तिथि 30 जून की गई है। याद रहे 1 सितंबर 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक रिटर्न दाखिल करने पर अधिकतम जुर्माना 5000 रुपये निर्धारित था। वहीं 1 जनवरी से 31 मार्च 2020 तक आयकर विवरणी जमा करने पर अधिकतम जुर्माना 10 हजार रुपये भरना था। नई डेडलाइन 30 जून होने से टैक्स पेयर्स को विलंब शुल्क के मामले में जरूर छूट मिली है।

यदि आपका भी आयकर रिटर्न संबंधी कोई काम बाकी रह गया हो तो चिंता न कीजिये आपके पास उसे दाखिल करने के लिए अब 30 जून 2020 तक का अतिरिक्त समय है। फिलहाल यह वक्त घर पर रहकर कोरोना से फाइट का है, इस नेक काज में आप भी सहयोग करें।

वीके दवे, प्रेसिडेंट, टैक्स बार एसोसिएशन, जबलपुर

अमेरिका, इटली जैसे सुविधा संपन्न राष्ट्रों में कोरोना महामारी त्रासदी किसी से नहीं छिपी। भारत में समय पर की गई तालाबंदी का ही परिणाम है कि स्थिति अभी नियंत्रण में है। सरकार का कहना है लॉकडाउन के कारण आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया गया है ताकि नागरिकों की सुरक्षा हो सके।

(*उपरोक्त संदर्भ में आप भी जानकारी पुष्ट कर लें। लॉकडाउन से तारीखों-नियमों में फेरबदल संभव है।)

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