निर्यात, एफडीआई और स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे

पहली तिमाही में सेवा निर्यात 55 बिलियन डॉलर से अधिक रहा। भारत इस वित्तीय वर्ष में पहली बार संचयी निर्यात में 600 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
मार्च 2021 के बाद से, भारत में लगातार पांच महीने माल निर्यात में वृद्धि हुई।
मार्च 2021 के बाद से, भारत में लगातार पांच महीने माल निर्यात में वृद्धि हुई।Neelesh Singh Thakur – RE

हाइलाइट्स –

  • निर्यात में हुई वृद्धि

  • FDI में हुआ इजाफा

  • स्टार्टअप पर बढ़ा भरोसा

राज एक्सप्रेस (Raj Express)। निर्यात, एफडीआई और स्टार्ट-अप में दिख रही बेहतर स्थिति से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है। कोविड महामारी के दौर में भी इन सेक्टर्स से मिले सकारात्मक रुझान बेहतरी का संदेश दे रहे हैं।

5 माह में सुधरा निर्यात -

फरवरी 2021 तक भारत का माल निर्यात केवल पांच महीने में 30 बिलियन डॉलर को पार कर गया। ये पांच महीने पिछले दशक में छाये रहे। मार्च 2021 के बाद से, भारत में लगातार पांच महीने माल निर्यात में वृद्धि हुई। इस दौरान माल निर्यात हर महीने 30 अरब डॉलर से अधिक रहा।

35 बिलियन डॉलर सीमा पार -

वास्तव में, जुलाई 2021 वो पहला महीना था जब भारत ने माल निर्यात में 35 बिलियन डॉलर सीमा को पार किया। भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक; इस वित्तीय वर्ष के पहले चार महीनों में माल निर्यात 130 बिलियन डॉलर से ऊपर था।

इसी तरह पहली तिमाही में सेवा निर्यात 55 बिलियन डॉलर से अधिक रहा। भारत इस वित्तीय वर्ष में पहली बार संचयी निर्यात में 600 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि ये जबरदस्त बढ़ोतरी COVID-19 महामारी के बीच में हुई है।

महामारी में निर्यात की शक्ति -

महामारी के कारण शिपिंग उद्योग में देरी, साथ ही क्षमता की कमी जैसे व्युत्पन्न मुद्दों की वजह से वैश्विक व्यापार सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है।

इसके बावजूद, भारतीय निर्यात न सिर्फ एक उम्मीद बना, बल्कि उसने कई क्षेत्रों के लिए अपनी उल्लेखनीय ताकत भी दिखाई है।

कृषि, इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न और गहने, पेट्रोलियम उत्पाद और टेक्सटाइल सेक्टर में इस वित्तीय वर्ष आंकड़े मजबूत रहे।

नये स्टार्टअप्स -

सिर्फ निर्यात की उछाल वापसी और ऊपर की ओर जाता प्रक्षेप वक्र नहीं है। यह भारत के होनहार टेक्नोलॉजी सेक्टर यानी प्रौद्योगिकी क्षेत्र के चमकने का भी वर्ष है। इस साल की पहली छमाही में भारतीय स्टार्टअप्स में 11 अरब डॉलर का नया निवेश हुआ है।

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बीस यूनिकॉर्न -

1 बिलियन डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाली बीस यूनिकॉर्न फर्में इस वर्ष पहले ही भारतीय उद्यमिता आसमान में उड़ान भर रही हैं। ये उत्साहजनक परिणाम ऐसे समय आया जब 2020 में गलवान घाटी घटना के बाद निवेश प्रतिबंध लगाने पर चीन ने भारतीय बाजारों से व्यापक विराम ले लिया था।

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भारत बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र -

भारतीय स्टार्टअप अब दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 50,000 को पार कर गई है और भारत के 623 जिलों में फैली हुई है।

इतना रोजगार -

6,000 स्टार्टअप्स द्वारा लगभग 1.8 लाख औपचारिक रोजगार सृजित किए गए हैं जिन्हें पिछले वित्तीय वर्ष में मान्यता दी गई थी। इससे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में कई गुना अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित हुए।

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भारतीय स्टार्टअप का आकर्षण -

एक बार जब ये स्टार्टअप बड़े पैमाने पर पहुंचेंगे, तब वे भारत के विकास को गति देने में ईंधन का कारक होंगे। इनमें से कई ने भारत में लिस्टिंग पर विचार करना शुरू कर दिया है। यह एक अतिरिक्त सकारात्मक बात है।

इनमें से कई सूचीबद्ध स्टार्टअप न केवल संस्थापकों बल्कि अपने कर्मचारियों एवं खुदरा निवेशकों के लिए समान रूप से धन का सृजन करेंगे। भारतीय स्टार्टअप वास्तव में वैश्विक निवेशकों के लिए चुंबक बन गए हैं।

FDI में उछाल -

मोटे तौर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी उछाल आया है। व्यापार वृद्धि के साथ-साथ निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने के लिए एफडीआई महत्वपूर्ण है।

कई क्षेत्रों में एफडीआई नीति को उदार बनाने और व्यापार में आसानी लाने जरूरी सुधार कर भारत ऐतिहासिक अंतर्वाह हासिल करने में सक्षम रहा।

पिछले वित्त वर्ष में 82 अरब डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआई अंतर्वाह दर्ज किया गया। यह 2019-20 के आंकड़े से 10 फीसदी ज्यादा था।

सरकार ने पीएलआई कार्यक्रम के लिए भारतीय विनिर्माण की लागत-प्रतिस्पर्धा, गुणवत्ता, दक्षता और तकनीकी परिपक्वता बढ़ाने और वैश्विक चैंपियन बनाने और पोषित करने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय किया है।

एफडीआई पर सकारात्मक गति इस वित्तीय वर्ष में भी जारी रही। मई के महीने में 10.5 बिलियन डॉलर की आवक हुई। महामारी के कारण हुए व्यवधानों के संदर्भ में फिर से ये आंकड़े और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।

अर्थव्यवस्था के त्रिदेवों “निर्यात, एफडीआई और स्टार्ट-अप” ने दुनिया को भारत की क्षमता और वादा निभाने का एक शानदार संकेत दिया है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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