राज एक्सप्रेस। हर देश में किसी भी कंपनी को अपना संचालन करने की अनुमति देते समय कुछ शर्ते रखी जाती हैं, जिन्हें कंपनी को मानना पड़ता है यदि वह उस नियम को नहीं मानती या उसका उल्लंघन करती है तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है या कंपनी पर जुर्माना लगाया जाता है। वहीं, अब ऐसा ही कुछ हो सकता है देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी Flipkart और इसके संस्थापकों के साथ। Flipkart कंपनी पर देश की जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) जुर्माना लगा सकती है।
विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप :
दरअसल, देश की मानी जानी जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा बहुचर्चित ई-कॉमर्स कंपनी Flipkart और इसके संस्थापकों पर 1.35 अरब डॉलर यानी करीब 10,600 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। क्योंकि, वॉलमार्ट का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी Flipkart पर विदेशी निवेश कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। ED ने इस उल्लंघन का कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया है। बता दें, बिन्नी बंसल और सचिन बंसल पर विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप है।
ED के अधिकारी ने बताया :
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बारे में जानकारी तीन सूत्रों और ईडी के एक अधिकारी द्वारा सामने आई है। ED के अधिकारी ने बताया कि, 'Flipkart पर आरोप है कि उसने विदेशी निवेश आकर्षित किया और फिर संबंधित पक्ष डब्ल्यूएस रिटेल ने उसकी शॉपिंग वेबसाइट पर कंज्यूमर्स को सामान बेचा। जबकि यह कानून के तहत प्रतिबंधित है। विदेशी निवेश कानूनों के लिए जांच एजेंसी Flipkart और Amazon की जांच कर रही है।'
कारण बताओ नोटिस :
बताते चलें, ED ने जुलाई में सचिन बंसल, बिन्नी बंसल और मौजूदा निवेशक टाइगर ग्लोबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, इस नोटिस में पूछा गया था कि, 'उन पर 10,600 करोड़ रुपये का जुर्माना क्यों नहीं लगना चाहिए। यह मामला साल 2009 से 2015 के बीच का है। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की विभिन्न धाराओं के तहत नोटिस जारी किया गया था।' पक्षों को नोटिस का जवाब देने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।'
Flipkart के प्रवक्ता का कहना :
Flipkart के एक प्रवक्ता ने कहा है कि, 'कंपनी भारतीय कानूनों का पालन कर रही है और कंपनी अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करेगी। वहीं सूत्र ने कहा कि डब्ल्यूएस रिटेल ने 2015 के अंत में ही अपना कामकाज बंद कर दिया था।'
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