नई दिल्ली से वाराणसी तक के रास्ते को जोड़ने के लिए बनेगा एलिवेटेड ट्रैक

भारत सरकार देश की राजधानी दिल्ली से वाराणसी तक के रास्ते को जोड़ने के लिए अलग से एलिवेटेड ट्रैक बनाने की तैयारी में हैं। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के रूप में भी जानी जाती है।
Elevated track will be built from New Delhi to Varanasi
Elevated track will be built from New Delhi to VaranasiSocial Media

नई दिल्ली। भारत सरकार रेल यात्रा को आसान बनाने और यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखते हुए ऐसे रास्तों पर भी ट्रेन चलाने के लिए ट्रैक का निर्माण करवाती है। जिन स्थानों पर ट्रेनें नहीं चलती हों। वहीं, अब भारत सरकार देश की राजधानी दिल्ली से वाराणसी तक के रास्ते को जोड़ने के लिए अलग से एलिवेटेड ट्रैक बनाने की तैयारी में हैं। बता दें, वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के रूप में भी जानी जाती है।

एलिवेटेड ट्रैक बनाने की तैयारी :

दरअसल, सरकार ने नई दिल्ली से वाराणसी तक की यात्रा को सरल बनाने के लिए एक एलिवेटेड ट्रैक अलग से निर्मित करने का ऐलान किया है। इस पूरे ट्रैक में कुछ स्थानों पर अंडरग्राउंड रेलवे लाइन भी बिछाई जाएगी। जिन पर ट्रेने अधिकतम 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा सकेंगी। बता दें, इस रेलवे ट्रैक का निर्माण करने के लिए 13 दिसंबर से हेलिकॉप्टर से लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) सर्वे शुरू किया जाएगा। 800 किमी. का सर्वे इस तकनीक को अपनाने से 12 हफ्तों में पूरा कर लिया जाएगा। बता दें, वैसे इस तरह के सर्वे करने में मिनिमम एक साल तक का समय लग जाता है।

इन-इन मार्ग से होते हुए जाएगा ट्रैक :

बताते चलें, जल्द निर्मित होने वाला यह ट्रैक कई बातों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा जैसे, इस ट्रैक का निर्माण करते समय इसमें कानपुर और लखनऊ को भी जोड़ा जा सके। इस ट्रैक के लिए कई जगह कुछ स्टेशन भी बनाए जाएंगे। इन सब को तैयार करने के लिए एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जो कि, रेलवे मंत्रालय को भेजी जाएगी। यदि रेल मंत्रालय इसकी अनुमति देता है तो, DPR बनाया जाएगा और टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

LIDAR को ही क्यों चुना :

लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) द्वारा किया गया सर्वे बहुत ही सटीक सर्वे माना जाता है। जो कि, लेजर लाइटों और सेंसर पर आधारित होता है। बता दें, ये तकनीक पहले मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का सेव करने के लिए इस्तेमाल की जा चुकी है। इसका सर्वे का डाटा बेहत सटीक होने के कारण ही इस सर्वे को पहली प्राथमिकता दी जाती है। इसमें सर्वे करने के लिए हेलिकॉप्टर में अत्याधुनिक हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए जाते हैं। लेजर डाटा, जीपीएस डाटा, फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक तस्वीरों से मिली जानकारी के आधार पर काम किया जाता है।

कौन करेगा यह काम ?

खबरों की मानें तो, इस ट्रेक के निर्माण का कार्य रेलवे मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एक नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) नाक की संस्था द्वारा किया जा सकता है। वहीं, इस बारे में नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के PRO सुषमा गौड़ ने बताया है कि, 'रक्षा मंत्रालय ने 13 दिसंबर से हवाई सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली से वाराणसी तक घनी आबादी होने, खेत, नदियां होने की वजह से हवाई सर्वेक्षण सटीक और आसान है।'

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