रिलायंस सौर पैनल निर्माता REC का अधिग्रहण करने केमचाइना (ChemChina) से डील के करीब

साल 1996 में स्थापित, आरईसी समूह (REC Group) स्टेट द्वारा संचालित रसायन प्रमुख केमचाइना (ChemChina) का एक अंतरराष्ट्रीय "सदस्य" है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आरईसी ग्रुप को चाइना नेशनल केमिकल कॉर्प (ChemChina) से अधिग्रहण करने की तैयारी कर रही है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आरईसी ग्रुप को चाइना नेशनल केमिकल कॉर्प (ChemChina) से अधिग्रहण करने की तैयारी कर रही है।Syed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स –

  • 1.2 अरब डॉलर की डील!

  • राशि जुटाने बैंकों से बातचीत

  • चाइना नेशनल केमिकल कॉर्प से चर्चा

राज एक्सप्रेस (Raj Express)। अरबपति मुकेश अंबानी नियंत्रित कंपनी जल्द सोलर ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी शुरुआत की तैयारी में है। इसके लिए बातचीत अंतिम चरण में है और कंपनी बड़े अधिग्रहण की घोषणा जल्द कर सकती है।

अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited) (आरआईएल/RIL) ने यह बड़ी तैयारी कर ली है। अंबानी की कंपनी नॉर्वेजियन सोलर मॉड्यूल निर्माता आरईसी ग्रुप को चाइना नेशनल केमिकल कॉर्प (ChemChina) से 1-1.2 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण करने के लिए तैयार है।

यह अधिग्रहण तेल-से-दूरसंचार के 75,000 करोड़ रुपये को स्वच्छ ऊर्जा के हिस्से से संबंधित बताया जा रहा है।

बैंकों से बातचीत -

सौदे के लिए अधिग्रहण वित्तपोषण में लगभग 500-600 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए वैश्विक बैंकों के साथ बातचीत चल रही है। शेष जरूरत इक्विटी के माध्यम से वित्त पोषित की जाएगी।

ईटी (ET) की एक रिपोर्ट के अनुसार यह अधिग्रहण रिलायंस के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और वैश्विक विनिर्माण क्षमताओं तक पहुंचने के लिए दरवाजे खोलेगा। सौर ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार करने की अपनी योजना पर आगे बढ़ने की नीति से कंपनी के लिए यह करना संभव होगा।

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REC समूह क्या है? -

साल 1996 में स्थापित, आरईसी समूह (REC Group) स्टेट द्वारा संचालित रसायन प्रमुख केमचाइना (ChemChina) का एक अंतरराष्ट्रीय "सदस्य" है। जो पिरेली टायर्स (Pirelli Tyres) और सिनजेंटा (Syngenta) में सबसे बड़ा शेयर धारक है।

REC Group की क्षमता -

सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) पैनलों के लिए आरईसी ग्रुप (REC Group) अग्रणी यूरोपीय ब्रांड है। इसकी वार्षिक सौर पैनल उत्पादन क्षमता 1.8 गीगावाट (जीडब्ल्यू/GW) है। विश्व स्तर पर इसने लगभग 10 जीडब्ल्यू क्षमता स्थापित की है।

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भारत की तैयारी -

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत वर्ष 2022 तक 100GW सौर सहित 175GW नवीकरणीय क्षमता विकसित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

वर्तमान में सौर उपकरण बाजार में बीजिंग स्थित कंपनियों जैसे ट्रिना सोलर लिमिटेड (Trina Solar Ltd), ईटी सोलर (ET Solar) और जिंको सोलर (Jinko Solar) का वर्चस्व है।

भारत में सोलर सेल के लिए केवल 3GW और सोलर मॉड्यूल के लिए 15GW की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता है!

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सिरमौर चाइना -

पॉलीसिलिकॉन (polysilicon) अधिकांश सौर पैनलों में एक आवश्यक घटक है। दुनिया के तीन-चौथाई से अधिक पॉलीसिलिकॉन के आपूर्तिकर्ता इसके लिए चीन (China) पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

इस समस्या का हल भारत और अमेरिका ने ढूंढ़ा है। भारत और अमेरिका जैसे शीर्ष उपभोक्ता अब स्थानीय विनिर्माण या आपूर्ति स्रोतों का विस्तार कर रहे हैं।

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के नियंत्रण वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited) (आरआईएल/RIL) वैश्विक बैंकों के साथ सौदे के लिए अधिग्रहण वित्तपोषण में करीब 500-600 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए चर्चा कर रही है, जबकि शेष इक्विटी के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा।

चीन प्रमुख निर्यातक -

एक रिसर्च रिपोर्ट के हवाले से वित्तीय दैनिक में रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें उल्लेख है कि 2019 में दुनिया की नई बिजली उत्पादन क्षमता के शीर्ष स्रोत के रूप में चीन को सोलर पॉवर के रूप में नवाजा गया था।

उद्योग में सौर पैनल बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पॉलीसिलिकॉन में से लगभग 33 प्रतिशत पॉलीसिलिकॉन चीन के झिंजियांग प्रांत (China’s Xinjiang province) से आया।

घोषणा जल्दी संभावित -

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरआईएल (RIL) ने ड्यू डिलिजेंस प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है और सौदे पर मुहर लगाने के लिए द्विपक्षीय बातचीत जारी है। कंपनी कुछ हफ्तों में औपचारिक घोषणा कर सकती है।

प्रक्रिया से जुड़े एक सूत्र के नाम की गोपनीयता पर आधारित रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है। बताया गया है कि इससे पहले, RIL एसबी एनर्जी (SB Energy) सहित कई स्वतंत्र बिजली उत्पादक कंपनियों के बीच अवसर तलाश रही थी, लेकिन मूल्यांकन उन अधिकांश लेनदेन में बाधक बना।

सूत्र के अनुसार अतीत के विपरीत, अब कंपनी के पास पथ का एक स्पष्ट विचार है और इसलिए कंपनी कहीं अधिक केंद्रित है। हालांकि इस बात की संभावना नहीं है कि भारत में ग्रिड या वितरण कंपनियों के लिए RIL ग्रुप फीडिंग डेवलपर बनना चाहता है।

रिलायंस का यह निर्णय प्रधान मंत्री की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक पूरक कदम भी माना जा रहा है।

डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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