अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने फिर बढाई ब्याज दर
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अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने फिर बढाई ब्याज दर

जिस प्रकार भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है, ठीक उसी तरह अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व है। RBI की तरह अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है।

वाशिंगटन, अमेरिका। जिस प्रकार भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है, ठीक उसी तरह अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) है। जिस प्रकार भारत का केंद्रीय बैंक RBI रेपो रेट (Repo Rate) की दर में बढ़ोतरी करता है। ठीक वैसे ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserves) भी कई बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है। इन दोनों में फर्क इतना है कि, जब RBI ब्याज दर में बढ़ोतरी करता है, तो उससे सिर्फ भारत के लोग प्रभावित होते है, लेकिन जब फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी करती है तो, दुनियाभर के देशों को इसका असर झेलना पड़ता है। वहीँ, अब अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार कुछ कम करते हुए बुधवार को नीतिगत ब्याज दर में 0. 25 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने की ब्याज दरों में बढ़ोतरी :

दरअसल, फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में फरवरी में बढ़ोतरी की थी। वहीँ, अब एक बार फिर के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अपने ग्राहकों को एक झटका देते हुए मुद्रास्फीति के खिलाफ वर्तमान लड़ाई में ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार कुछ कम करते हुए बुधवार को नीतिगत ब्याज दर में 0. 25% की वृद्धि कर दी है। इस बढ़त के तहत बैंक ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा किया है। उधर, अमेरिका में हाल ही में सिलिकॉन वैली बैंक सहित कुछ बैंकों के दिवालिया होने की खबर आई थी, जिसके कारण बाजार को पहले ही अनुमान था कि, फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ाने की रफ्तार अब कम करेगा। बाजार का मानना था कि, 'फेडरल रिजर्व की ओपन मार्केट कमेटी की इस बार हद से हद चौथाई प्रतिशत की ही वृद्धि करेगी।'

वाणिज्यिक बैंकों का मानना :

बैंकों में संकट उत्पन्न होने से पहले अनुमान था कि फेडरल रिजर्व ब्याज दर में इस बार भी 0.5% तक की वृद्धि कर सकता है। ताजा वृद्धि के बाद अमेरिका में नीतिगत बस्तर का दायरा 4.75% से 5.00 प्रतिशत हो गया है। वाणिज्यिक बैंकों की मानें तो, इस साल के अंत तक अमेरिका में नीतिगत ब्याज दर अब 5.1% से 5.25% तक बढ़ाई जा सकती है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने से अमेरिकी बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का बाजार भाव काफी घट गया है जिससे उनमें निवेश करने वाले बैंकों को बड़ा घाटा उठाना पढ़ रहा है। बहुत से छोटे बैंकों के डूबने का खतरा बन गया है।

फेडरल रिजर्व के बयान :

फेडरल रिजर्व की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, 'मुद्रास्फीति को शांत करने के लिए नीतिगत ब्याज दर में और वृद्धि की जरूरत पड़ सकती है। फेडरल रिजर्व की खुले बाजार कि समिति आगे आने वाले आंकड़ों को देखेगी और उनका आकलन करेगी कि नीतिगत फैसलों का क्या प्रभाव पड़ रहा है।' इसके अलावा समिति को लगता है कि, 'मुद्रास्फीति पर पर्याप्त अंकुश के लिए नीति को कुछ और कड़ा करना पड़ सकता है।'

फेडरल रिजर्व प्रतिबद्धता व्यक्त की :

फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति को 2% के आसपास रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। जो, कोविड-19 के समय लागू किए गए मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज के चलते तरलता बढऩे से काफी ऊंची चली गई थी और यह अभी 6% के दायरे में है। फेडरल रिजर्व के बयान में यह भी कहा गया है कि, 'अमेरिका की बैंकिंग प्रणाली मजबूत और जुझारू है। फेडरल रिजर्व की नीतिगत दर का स्तर 2007 के बाद की सबसे ऊंचाई पर है।'

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