सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को लेकर वित्त मंत्रालय की योजना
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घाटे में चल रही सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को लेकर वित्त मंत्रालय की योजना

वित्त मंत्रालय घाटे में चल रही बीमा कंपनियों को लेकर योजना बना रहा हैं। इस योजना के तहत सार्वजनिक बीमा कंपनियों में मौजूदा वित्त वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा राशि डालने की तैयारी कर रही है।

राज एक्सप्रेस। देश में जब भी कोई वित्तीय फैसले लिए जाते हैं। उनको तय करने का अधिकार भारत के वित्त मंत्रालय, केंद्रीय वित्त मंत्री को होता है। इन दिनों वित्त मंत्रालय काफी घाटे में चल रही साधारण बीमा कंपनियों को लेकर योजना बना रहा हैं। इस योजना के अनुसार, वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों में मौजूदा वित्त वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा राशि डालने की तैयारी कर रही है।

वित्त मंत्रालय की योजना :

वित्त मंत्रालय इन दिनों सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों में मौजूदा वित्त वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा राशि डालने की तैयारी कर रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में भी तीन साधारण बीमा कंपनियों कि मदद के लिए 5,000 करोड़ रुपये की राशि डाली थी। वहीं, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (National Insurance Company Limited) को सर्वाधिक 3,700 करोड़ रुपये दिए गए थे। जबकि, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (Oriental Insurance Company Limited) को 1,200 करोड़ रुपये और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (United India Insurance Company) को 100 करोड़ रुपये मिले थे।

सरकार ने दिए निर्देश :

सूत्रों से सामने आई जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने ऊपर बताई गई कंपनियों को अपना ऋणशोधन अनुपात बेहतर करने और 150 प्रतिशत की नियामकीय शर्त पूरा करने का निर्देश दिया है। ऋणशोधन अनुपात पूंजीगत पर्याप्तता को मापने का पैमाना कहा जाता है। यह अनुपात अधिक होने से किसी संस्थान की बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत मिलता है जिसमें वह दावों का भुगतान करने की स्थिति में होती है। हालांकि, न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य साधारण बीमा कंपनियों का ऋणशोधन अनुपात 150 प्रतिशत की नियामकीय शर्त से काफी कम रहा है।

सरकार ने दिए निर्देश :

सूत्रों से सामने आई जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने ऊपर बताई गई कंपनियों को अपना ऋणशोधन अनुपात बेहतर करने और 150% की नियामकीय शर्त पूरा करने का निर्देश दिया है। ऋणशोधन अनुपात पूंजीगत पर्याप्तता को मापने का पैमाना कहा जाता है। यह अनुपात अधिक होने से किसी संस्थान की बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत मिलता है जिसमें वह दावों का भुगतान करने की स्थिति में होती है। हालांकि, न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य साधारण बीमा कंपनियों का ऋणशोधन अनुपात 150 प्रतिशत की नियामकीय शर्त से काफी कम रहा है।

कंपनियों को सही राह पर लाना है मकसद :

बताते चलें कि, वित्त वर्ष 2021-22 में नेशनल इंश्योरेंस का ऋणशोधन अनुपात 63%, ओरिएंटल इंश्योरेंस का 15% और यूनाइटेड इंडिया का 51% रहा था। सूत्रों द्वारा यह भी कहा गया है कि इन सभी बीमा कंपनियों को सही दिशा और लाभ बढ़ाने की राह पर चलने के लिए बोला गया है। कंपनी के प्रदर्शन पर ही निर्भर करेगा कि सरकार से मिलने वाली एक्स्ट्रा राशि में उनकी हिस्सेदारी कितनी होगी। वहीं, इसके पहले वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने इन साधारण बीमा कंपनियों में 2,500 करोड़ रुपये की राशि लगाई थी। जिसके बाद 2020-21 में भी सरकार ने इन कंपनियों में 9,950 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।

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