GoM की MTNL-BSNL 69 करोड़ रिवाइवल प्लान पर नज़र

“BSNL-MTNL में 69 हजार करोड़ रुपयों की पुनरुद्धार योजना के शीघ्र क्रियान्वन के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया गया है। सात मंत्रियों का समूह योजना की गति और कामकाज पर नज़र रखेगा।”
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BSNL-MTNLSudha Choubey - RE

हाइलाइट्स :

  • MTNL-BSNL का प्लान संजीवनी तैयार

  • 69 हजार करोड़ रुपये की सरकारी पुनरुद्धार योजना

  • 7 मंत्रियों की निगरानी में चलेगा BSNL-MTNL ऑपरेशन रिवाइवल

राज एक्सप्रेस। राज्य के स्वामित्व वाले दूरसंचार निगम बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए बतौर संजीवनी तैयार 69,000 करोड़ रुपये की पुनरुद्धार योजना को गति देने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) का गठन किया गया है। जानिए केंद्र के खास मंत्रियों के सात सदस्यीय समूह की BSNL और MTNL में क्या भूमिका रहेगी-

किस काम के लिए?-

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह उच्च स्तरीय समूह बीएसएनएल और एमटीएनएल में प्राण फूंकने सरकार की ओर से लिए गए हालिया फैसलों को सुचारू रूप से लागू करने से जुड़े हर छोटे-बड़े काम पर नज़र रखेगा। इसमें 4 जी स्पेक्ट्रम और परिसंपत्ति मुद्रीकरण जैसे महत्वपूर्ण कारक जरा खास रहने वाले हैं।

पीटीआई के मुताबिक, GoM में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, आईटी और टेलिकॉम मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल और ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान को शामिल किया गया है।

बताया गया कि "GoM बीएसएनएल और एमटीएनएल से जुड़ीं योजनाओं में तेजी लाएगा। व्यावसायिक व्यवहार्यता, कार्यबल, बॉण्ड के मुद्दे, मुद्रीकरण और 4 जी स्पेक्ट्रम आवंटन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों पर ये समूह कार्य करेगा। GoM योजनाओं में तेजी लाने के साथ ही उनकी देखरेख करेगा।"

प्लान में ये शामिल-

इस साल अक्टूबर में, सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी थी। इसमें घाटे में चल रही इन दो फर्मों का विलय, उनकी संपत्ति का मुद्रीकरण और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देना शामिल है ताकि संयुक्त इकाई दो साल में लाभदायक हो जाए।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुंबई और नई दिल्ली में सेवाएं प्रदान करने वाले महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के साथ गठबंधन करने की योजना को मंजूरी दे दी है जो देश के बाकी हिस्सों में सेवा प्रदान करता है।

VRS को इतने तैयार-

पिछले कुछ हफ्तों में दोनों कंपनियों ने अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) योजना भी शुरू कर दी है। बीएसएनएल और एमटीएनएल के लगभग 92,700 कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना है। इस निर्णय से ऋण-ग्रस्त दूरसंचार कंपनियों के वेतन बिलों में सालाना लगभग 8,800 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद की जा रही है।

9 साल नुकसान-

दोनों फर्म अगले तीन सालों में 37,500 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण भी करेंगी। गौरतलब है एमटीएनएल ने पिछले 10 में से नौ सालों में नुकसान की जानकारी दी है। इसी तरह बीएसएनएल भी साल 2010 से घाटे में चल रहा है।

सरकार की मंशा-

इस साल अक्टूबर में सरकार ने बीएसएनएल-एमटीएनएल विलय के मामले में अपनी योजना के बारे में विस्तृत ब्यौरा दिया था। दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल द्वारा चार सालों में 38,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना पर सहमति की जानकारी दी थी। बताया गया था कि 4 जी स्पेक्ट्रम को वर्ष 2016 की कीमतों पर प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जाएगा।

सरकारी रिवाइवल प्लान-

कैबिनेट ने घाटे में चल रहीं दो टेलिकॉम कंपनियों भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड (MTNL), में स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति और फोर्थ जनरेशन (4G) एअरवेव्स का आवंटन कर संस्थानों को पेशेवर रूप से तैयार करने की योजना बनाई है। इस कड़ी में सरकार स्पेक्ट्रम के खर्च के लिए बजट प्रावधान से 4,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी।

''न तो बीएसएनएल और न ही एमटीएनएल बंद होगी, विनिवेश या विक्रय होगा, लेकिन सरकार उन्हें पेशेवर बनाना चाहती है।”

रवि शंकर प्रसाद, आईटी और टेलिकॉम मिनिस्टर

जब तक दोनों कंपनियों का मर्जर नहीं हो जाता तब तक स्टॉक लिस्टेड कंपनी MTNL प्रक्रिया के अनुसार BSNL की सहायक कंपनी के तौर पर पहचानी जाएगी। सरकार की ओर से दोनों कंपनियों के विलय की मंशा जताई गई थी। लेकिन साथ ही कार्य में लंबा समय लगने की ओर भी इशारा कर दिया गया।

वीआरएस स्कीम-

सरकार ने दोनों कंपनियों के कार्यबल के समक्ष नौकरी से स्वेच्छा से निवृत्ति देने के प्लान की भी एक राय रखी है। इसमें बगैर मजबूरी, आकर्षक वीआरएस पैकेज! जैसा लुभावना ऑफर तक शामिल किया गया है। वैसे भारत में किसी सरकारी सेवा से नौकरी छोड़ने का रिवाज़ नहीं है और न ही इन संस्थानों का कार्यबल स्वेच्छा से संस्थान छोड़ने तैयार है। स्टाफर्स के बीच दबी जुबान में कहा जा रहा है नौकरी छोड़ने की लाचार मजबूरी है?

"आकर्षक वीआरएस पैकेज आएंगे, जो कि स्वैच्छिक हैं और कोई मजबूर नहीं है।"

रवि शंकर प्रसाद, आईटी और टेलिकॉम मिनिस्टर

अनुपात ज्यादा-

बीएसएनएल और एमटीएनएल का राजस्व-से-मजदूरी अनुपात ज्यादा है। बीएसएनएल में कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 63 हजार जबकि एमटीएनएल में 22 हजार है। पुरानी खबरों के मुताबिक एक समय वित्त मंत्रालय ने राज्य संचालित टेलीकॉम कंपनियों को किसी भी तरह के वित्तीय समर्थन का विरोध किया था। मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस का मानना था कि बीएसएनएल और एमटीएनएल को कोई भी अग्रिम समर्थन सरकार के बजटीय संसाधनों पर भारी पड़ेगा।

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