राज एक्सप्रेस। कुछ समय पहले ही मोदी सरकार ने देश की इकॉनमी को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाने के लक्ष्य की अपनी इच्छा जाहिर की थी, अब जिसके लिए मोदी सरकार को कई फैसले बहुत ही सोच समझ कर लेने पड़ेंगे, वहीं इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने साल 2019 के लिए भारत की इकॉनमी ग्रोथ की दर के अनुमान को घटाकर 6.1% करने का फैसला लिया (IMF Indian Economy Growth Rate Estimate) है, यह अनुमान अप्रैल में जारी हुए अनुमान की तुलना में 1.2% कम है। इस अनुमान का घटना भारत की सरकार के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है।
IMF का अनुमान :
IMF ने अप्रैल 2019 में भारत की इकॉनमी ग्रोथ की दर को 7.3% होने का अनुमान लगाया था, लेकिन IMF द्वारा जुलाई में इसी ग्रोथ की दर की गति में और कमी की संभावना बताई गई, इसी के साथ GDP ग्रोथ की दर को भी 7.3% से घटा कर 7% किया गया। IMF ने 2019 में ग्लोबल लेवल पर इकॉनमी ग्रोथ की दर के अनुमान को घटा कर 3% कर दिया है, जो पिछले साल 3.8% थी।
कुछ मुख्य बिंदु :
साल 2018 में भारत की वास्तविक ग्रोथ की दर 6.8% थी।
भारत की ग्रोथ को लेकर IMF का अनुमान साल 2019 में 6.1% है और साल 2020 के लिए कुछ सुधार के साथ 7.0 है।
चालू वित्त वर्ष में वर्ल्ड बैंक ने भारत का ग्रोथ रेट का अनुमान भी घटा दिया।
IMF द्वारा वित्तीय वर्ष 2020 में ग्रोथ के अनुमान में 0.90% की कटौती की है, यह अनुमान 7% से घटाकर 6.1% कर दिया गया।
वित्तीय वर्ष 2021 में ग्रोथ अनुमान को 7.3% से घटाकर 7% कर दिया है।
IMF का कहना है कि,
अप्रैल 2019 में वर्ल्ड की इकॉनमी के अनुमान से रिलेटेड यह संशोधन किया गया है।डोमेस्टिक डिमांड के लिए लगाई गई उम्मीद से भी ज्यादा कम परिदृश्य के चलते ग्रोथ की दर के अनुमान में कटौती की गई है। वहीं मॉनेटरी पालिसी के सरल हो जाने व कॉरपोरेट इनकम टैक्स की दर में कटौती होने के अलावा गॉव में हो रही खपत के सपोर्ट के लिए सरकारी कार्यक्रम किये जा रहे है, इन कार्यक्रमों में वृद्धि को सपोर्ट मिलेगा। साथ ही IMF ने भारत को कमजोरी का सामना करने के लिए उपाय MPC का सहारा और बड़े स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की मदद को बताया।
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF)
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