दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत

वर्ल्ड, एशियाई इकोनॉमी की ही तरह मंदी की परेशानी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में खुशखबरी है। भारत अब विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी के तौर पर पहचाना जाएगा।
India is fFifth Largest Economy of World
India is fFifth Largest Economy of WorldKavita Singh Rathore -RE

हाइलाइट्स :

  • ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ा

  • GDP के मामले में अर्थव्यवस्था सुदृढ़

  • वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू रिपोर्ट में मिला स्थान

राज एक्सप्रेस। अमेरिका के रिसर्च इंस्टीट्यूट वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मामले में 2940 अरब डॉलर के साथ इंडिया विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है।

दिग्गजों को पछाड़ा :

मौजूदा दौर में वर्ल्ड, एशियाई इकोनॉमी की ही तरह मंदी की परेशानी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में खुशखबरी है। भारत अब विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी के तौर पर पहचाना जाएगा। पिछले साल 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने ब्रिटेन और फ्रांस को पछाड़ते हुए यह वरीयता हासिल की है।

रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में बताया गया कि आत्मनिर्भर बनने की पूर्व की नीति से भारत ने अपने कदम आगे बढ़ा लिए हैं। भारत एक खुले बाजार वाली अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो रहा है। अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट में उल्लेख है कि-

‘‘सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मामले में भारत को वर्ल्ड इकोनॉमी में फिफ्थ रैंक हासिल हुई। ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (GDP) के मामले में भारत ने 2,940 अरब डॉलर के साथ विश्व में यह मुकाम हासिल किया। इस मामले में भारत ने पिछले वर्ष ब्रिटेन और फ्रांस के मुकाबले बाजी मारी।’’

ब्रिटेन-फ्रांस से अंतर :

भारत में जनसंख्या के मान से प्रति व्यक्ति GDP 2,170 डॉलर बताई गई है। तुलनात्मक अध्ययन के मुताबिक ब्रिटेन की इकोनॉमी 2830 अरब डॉलर, जबकि फ्रांस की अर्थव्यवस्था 2710 अरब डॉलर आंकी गई। क्रय शक्ति समता (PPP) के मान से इंडियन GDP 10,510 अरब डॉलर बताई गई है। यह जापान और जर्मनी के मुकाबले कहीं अधिक है।

सुस्ती के संकेत भी :

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अनुसंधान विवरण में उल्लेख है कि, अमेरिका में प्रति व्यक्ति जीडीपी 62,794 डॉलर है। रिपोर्ट से संकेत मिलते हैं कि मौजूदा सुस्ती के कारण भारत की वास्तविक GDP ग्रोथ रेट लगातार तीसरी तिमाही में कमजोर पड़ सकती है।

अध्ययन के मुताबिक यह दर 7.5 फीसद घटकर 5 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। बीते 11 सालों की यदि बात करें तो इस मामले में यह इतने सालों में सबसे कम स्तर पर होगी। सर्वे के अनुसार वैश्विक आर्थिक मंदी का असर अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर भी पड़ा है। हालांकि अगले साल से विकास दर में प्रगति की भी उम्मीद रिपोर्ट में जताई गई है। फाइनेंशियल सेक्टर में निवेश की कमी गिरावट का कारण बताया गया है।

ये कारक मददगार :

संस्थान के अध्ययन के अनुसार भारत में साल 1990 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद आर्थिक ढांचे में कई सुधार हुए। इंडस्ट्री के नियंत्रण मुक्त होने से अर्थव्यवस्था को गति मिली। साथ ही विदेशी व्यापार संग विनियोग पर नियंत्रण कम होने से भी बहुत आसानी हुई। पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के निजीकरण जैसे आर्थिक उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में कारगर सहयोग मिला।

सर्विस सेक्टर दमदार :

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सर्विस सेक्टर विश्व अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ते सेक्टर्स में से एक है। भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में इसका 60 प्रतिशत और रोजगार में 28 फीसद श्रेय है जो तेजी से विकसित हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ‘विनिर्माण और कृषि’ अर्थव्यवस्था की दो अन्य महत्वपूर्ण इकाई हैं।

ये चार हैं पहले :

वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में 1522 लाख करोड़ रुपए के साथ अमेरिका रैंकिंग में पहले, 1004 के साथ चाइना दूसरे, जापान (365) तीसरे, जर्मनी (284) चौथे जबकि भारत 209 लाख करोड़ रुपए के साथ पांचवे क्रम पर काबिज हो गया है। भारत ने ब्रिटेन (201), फ्रांस (192) के मुकाबले दो पायदान चढ़कर यह पहचान बनाई है। इस सूची में कनाडा को दसवें स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने 2025 तक 355 लाख करोड़ का लक्ष्य तय किया है।

अमेरिका स्थित वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक “वो एक स्वतंत्र संगठन है, किसी राजनीतिक दल से उसकी संबद्धता नहीं है।” हालांकि संगठन ने यह नहीं बताया कि उसने जीडीपी का आंकलन किस आधार पर किया है। इसमें बीते साल के आंकड़ों का भी उल्लेख नहीं है। स्वयं के अध्ययन में किए आंकड़ों के स्थान पर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के आंकड़ों का उल्लेख करने की जरूर जानकारी दी गई है।

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