हाइलाइट्स :
ग्लोबल सीईओ की ए-लिस्ट में हुए शामिल
अब नाम, काम, दाम ग्लोबल तो फिर चुनौतियां भी ग्लोबल
चाईनीज टिकटॉक संग बाइटडांस के समझने होंगे नए कठिन स्टेप्स
राज एक्सप्रेस। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैल्युवल फर्म गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को साथ में पेरेंट कंपनी के अहम प्रोजेक्ट ‘अल्फाबेट’ की खास जिम्मेदारी भी संभालनी है। ‘अल्फाबेट’ चीफ के तौर पर पिचाई ने ग्लोबल सीईओ की ए-लिस्ट को भी ज्वाइन किया है। ग्लोबल पोजीशन पर पिचाई के सामने रेग्युलेटरी स्क्रूटनी के साथ ही मार्केट में पैठ बना रहे चाईनीज विकल्पों से निपटने का दोहरा बोझ होगा।
इतने संकट एक संग :
रेग्युलेटरी स्क्रूटनी का सामना कर रही उनकी संस्था गूगल पर सुंदर पिचाई के सीईओ बनते ही बाजार में इन्वेस्टर्स का रुझान बढ़िया रहा। दुनिया भर में प्रभावशील हो रहीं विनियामक जांच, बढ़ते टैक्स, ऊपर से भारत जैसे उभरते बाजार में अरबों इंटरनेट यूज़र के बीच चाईनीज वैराइटी की प्रतिस्पर्धा का संकट, पिचाई के चार्ज लेने के पहले ही इंटरनेशनल मार्केट की पिच पर गार्ड ले चुका है।
मतलब अब A2Z :
मदुरै में जन्मे आईआईटी खड़गपुर में लिखे-पढ़े सुंदर पिचाई के गूगल संग उसके स्पेशल इनोवेशन ‘अल्फाबेट’ का सीईओ बनने के बाद सर्गेई ब्रिन औऱ लैरी पेज के चैप्टर पर एक तरह से कुछ समय के लिए विराम लग गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है पिचई को प्रौद्योगिकी दिग्गज गूगल के सक्रिय प्रबंधन के सह-संस्थापकों पेज और सर्गेई ब्रिन से मिली जिम्मेदारी को संभालने के लिए जमीन-आसमान एक करना होगा।
नया ताना-बाना :
खुद Google के खास, उसके खोज इंजन, विज्ञापन और संबंधित उत्पादों उसके वीडियो प्लेटफ़ॉर्म YouTube पर प्रिव्यू में पिचाई और ‘अल्फाबेट’ के फ्यूचर प्लान पर फोकस किया जा रहा है। इसमें ड्राइवरलेस कार के साथ ही जीवन उत्कर्ष के लिए तमाम ताना-बाना बुनने की बात बताई जा रही है।
चाइनीज अटैक :
उनके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती दुनिया में सख्ती से लागू होती जा रहीं नियामक जांचों, चाइना के नई टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स, सबसे ज्यादा तो इस समय टिकटॉक की किटकिट के अलावा विश्व के सबसे वैल्यूड स्टार्टअप्स में से एक बाइट डांस के स्टैप्स से कदमताल की होगी। वैसे भी शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म के तौर पर टिकटॉक ने भारत में यूट्यूब के किले में सेंध लगा ही दी है।
म्यूज़िक स्ट्रीमिंग प्रॉडक्ट :
बाइटडांस ने एक स्मार्टफोन और म्यूज़िक स्ट्रीमिंग प्रॉडक्ट भी लॉन्च किया है। काबिल-ए-गौर है, इसमें चाइना का कुछ भी नहीं सिवाय रणनीतियों के। चाईनीज प्रॉडक्ट्स गूगल के ही प्लेटफॉर्म पर एक तरह से गूगल को चुनौती दे रहे हैं।
वर्चस्व को चुनौती :
अभी एक दौर था कुछ सालों पहले ऑफ लाइन एडवरटाइजिंग का जिसमें गूगल और फेसबुक का डंका बजता था, लेकिन मार्केट में अब ताजा स्टार्टअप टिकटॉक भी टॉकिंग पॉइंट है। Google ने दो साल पहले Google पे के लॉन्च के साथ भारत के डिजिटल भुगतान कारोबार पर बहुत बड़ा दांव लगाया था। जिसमें अभी भी वो मौजूदा ऐप्स और सेवाओं पर भाषाओं का विस्तार कर रहा है।
चीन में री-एंटर :
कथित रूप से सेंसर खोज इंजन के जरिये चीन में री-एंटर करने पिचाई के प्रयास अब तक जारी हैं। गूगल के ‘प्रोजेक्ट ड्रैगनफ्लाई’ के बारे में बाजार पहुंच बढ़ाकर दुनिया में छा जाने के बदले में चीनी राज्य की सेंसरशिप मांगों के सामने आत्मसमर्पण करने से जुड़ी न्यूज़ के बाद राजनेताओं और उसके अपने कर्मचारियों से भी उसे गंभीर प्रतिक्रिया मिली।
अमेरिका में चुनौती :
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में भी छोटे व्यवसायों में इंटरनेट और उपभोक्ता डेटा के एकाधिकार नियंत्रण को रोकने प्रौद्योगिकी दिग्गजों को तोड़ने के विचारों में वृद्धि हुई है। यहां नए विकल्पों पर तेजी से विचार चल रहा है।
"वैश्विक स्तर पर, मुझे लगता है कि Google के सबसे बड़े मुद्दे नियामकों के साथ अपने संबंधों से संबंधित हैं। यह समूह बहुत मजबूत स्थिति में है और जैसा कि Google अब तक का सबसे बड़ा मीडिया मालिक भी है, यह उनके लिए अपने व्यवसाय के उस हिस्से को विकसित करने के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है।"
ब्रायन वाइसर, ग्लोबल प्रेसिडेंट, बिज़नेस इंटेलिजेंस, GroupM
मर मिटने की कसम :
वहीं कहा जा रहा है, डेमोक्रेटिक पार्टी के फ्रंटरनर एलिजाबेथ वारेन पुराने अधिग्रहणों और प्रतिस्पर्धा के समीकरणों को भुलाकर Google, अमेज़ॅन और फेसबुक को मिटाने की जैसे तैयारी कर चुके हैं। इस अंधी प्रतिस्पर्धा में एक बात तय है इन कंपनियों को खंडित करने के लिए मंहगे मुकदमे आर्थिक विकास पर भारी पड़ेंगे।
पिछले साल, पिचाई ने यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ज्यूडिशियरी कमेटी के सामने गवाही दी थी। यहां उन्हें गूगल सर्च इंजन के कथित राजनीतिक पूर्वाग्रह और चीन में फिर से प्रवेश करने की योजना पर कई सवालों का सामना करना पड़ा था। क्या कहना है आपका? अपने विचार हमारे साथ जरूर शेयर करें।
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