IRCTC एक्सप्रेस पर निवेशकों को रखना होगा इन बातों का खास ध्यान

स्थानीय और वैश्विक कारकों के कारण भी IPOs पर प्रभाव पड़ा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) का बाजार में उतरना बाकी है।
IRCTC NSE
IRCTC NSEKavita Singh Rathore - RE

हाइलाइट्स :

  • मिड अक्टूबर लिस्टिंग की चर्चा खास

  • बिजनेस एकाधिकार का मिल रहा लाभ

  • InvITs और REITs फैक्टर भी उतना अहम

  • IPO फाइनेंसिंग काफी कारक मुद्दा

राज एक्सप्रेस। बिजनेस वर्ल्ड में धमाकेदार एंट्री के बाद से BSE पर IRCTC का इंजन धमाल मचा रहा है। इसका स्टॉक इसे जारी की गई कीमत के मुकाबले 127.69 फीसदी ज्यादा हैसियत पर क्लोज़ हुआ। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉर्पोरेशन (IRCTC NSE 7.57 %) के शेयर्स की शुरूआती सेल्स, दलाल स्ट्रीट के लिए दिवाली से ही पहले किसी तोहफे से कम नहीं। 2005 के बाद से एकाधिकार वाली रेलरूट ट्रेवल सर्विस प्रोवाइडर की मिड अक्टूबर लिस्टिंग दूसरी सबसे अच्छी पोजिशन रही।

खबर खुशहाली वाली :

इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉर्पोरेशन द्वारा शुरूआती शेयर बिक्री, दलाल स्ट्रीट के लिए एक शुरूआती दिवाली लेकर आई, जिसमें एकाधिकार रेल सेवा प्रदाता की मध्य अक्टूबर लिस्टिंग 2005 के बाद दूसरी सबसे अच्छी लिस्टिंग रही।

मार्केट में ब्लॉकबस्टर डेब्यू के बाद IRCTC के स्टॉक्स उसकी इश्यु प्राइज़ 310-320 रूपये के मुकाबले BSE पर 644 जबकि NSE पर 626 रहे। BSE पर स्टॉक्स इसकी इश्यु प्राइज़ के मुकाबले 127.69% की बढ़त के साथ 728.60 रूपया रहे। NSE पर स्टॉक्स को 129% की ऊंचाई मिली।

मायने ये भी :

शुरूआत में इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPOs) काफी प्रभावी नज़र आ रही है। लेकिन कुछ अन्य बिंदुओं से पता चलता है कि मौजूदा दौर की आईपीओ मार्केट की वीकनेस जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है।

एनालिस्ट्स की राय है कि, सेकेंडरी बाज़ार में कई क्वालिटी स्टॉक्स के चीपर वैल्युएशन के कारण प्रमोटर्स और प्राइवेट इक्विटी फंड्स को शेयर्स में लिस्ट करने की योजना को टालने की प्रवृत्ति को बल मिलेगा, लेकिन IRCTC जैसी गुणवत्ता संपन्न कंपनियां अपने ऑफरिंग शेयर्स उचित कीमत पर बेच रही हैं। जिससे डिमांड भी बढ़ेगी।

इसलिए है कारगर :

यह तर्क इसलिए भी कारगर है क्योंकि सेकंडरी मार्केट्स में निवेशकों को और भी विकल्प मिल जाते हैं। निम्न मूल्यांकन के कारण कई कंपनियां IPO प्लांस को स्थगित भी करने की धारणा बना सकती है। गौरतलब है कि 2014 के बाद से 2019 में IPOs की फंड रेज़िंग लोएस्ट है।

इस साल 14 कंपनियों को अब तक तकरीबन 11,300 करोड़ रूपए की बढ़त मिली। साल 2018 में 24 कंपनियों ने 31,000 करोड़ की वृद्धि पाई थी। अंतर साफ समझा जा सकता है। वर्ष 2017 में 36 कंपनियों ने रिकॉर्ड 67,150 करोड़ रूपयों की बढ़त पाई थी।

कुछ विश्लेषकों को नहीं लगता कि IRCTC की सक्सेस से IPO मार्केट में मुद्दे पैदा होंगे उनकी राय है कि दूसरी क्वालिटी कंपिनियों ने भी पिछले कालखंड में बढ़िया बढ़त बनाई है।

एक अन्य फैक्टर :

स्थानीय और वैश्विक कारकों से भी IPOs पर प्रभाव पड़ा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) और रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) का बाजार में उतरना बाकी है। पिछले तीन सालों में सिर्फ पांच InvITs लगभग 3,258 करोड़ रूपया बढ़े हैं, अब तक सिर्फ एक REIT लगभग 3,874 करोड़ रूपया वृद्धि हासिल करने में समर्थ था।

दलाल स्ट्रीट पर ट्रैंडिंग ने दलील दी है कि इक्का-दुक्का को छोड़कर 2019 में लॉन्च सभी IPOs ने उम्दा रिटर्न दिया। यहां IRCTC और इंडियामार्ट इंटरमेश स्टॉक्स की प्राइज़ दुगुनी हुई है, जबकि दूसरों ने 12-80% का रिटर्न दिया। अप्रैल में लिस्टेड मेट्रोपोलिस ने 45 फीसदी का रिटर्न दिया।

इतने हुए थे लॉन्च :

साल 2017 और 2018- कालखंड में कुल 57 आईपीओज़ लॉन्च हुए। इनमें से 35 मौजूदा दौर में ऑफर प्राइज़ के नीचे ट्रैंड कर रहे हैं। मौजूदा दौर में सक्सेसफुल IPO क्लोज़र के लिए कड़क IPO प्राइज़िंग ही बेहतर रहेगी। इस समय 33 कंपनियों ने 30,000 करोड़ रूपये वृद्धि का रेग्युलैटरी नोड प्राप्त किया जिनके प्लान्स के अनुमोदन अब तक वैद्य हैं।

इमामी सीमेंट, इंडिया इंश्योरेंस, सैंसेरा इंजीनियरिंग ये वो बड़ी कंपनियां हैं जो अगले 6 महीनों के दौरान प्राइमरी मार्केट को हिट कर सकते हैं। स्टॉक मार्केट में साल 2015-18 में प्रचार के लिए IPO फाइनेंसिंग एक फैक्टर था।

IPO फाइनेंसिंग काफी अहम :

इस समय IPO फाइनेंसिंग काफी अहम है क्योंकि साल 2018 में लॉन्च 10 आईपीओ में सपाट से निगेटिव डिमांड के कारण IPO फाइनेंसिंग में देरी हो रही है। यह लिक्विडिटी इश्यु से भी जुड़ा है जो नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों का परिणाम भी है जो उचित IPO फाइनेंसिंग मुहैया नहीं करा पा रहीं। अधिकांश बैंकर्स चुनिंदा IPOs और प्राइवेट प्लेसमेंट्स की ही अपेक्षा रखते हैं।

ऑफर प्राइज़ का विरोध :

रेलवे की चिंता अन्य सार्वजनिक प्रस्तावों के साथ-साथ अन्य विनिवेश प्रस्तावों पर प्रभाव डाल सकती है। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट्स ने इन्वेस्टर्स को ऑफर किए गए शेयर्स की प्राइज़ का विरोध किया है।

भले ही इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉर्पोरेशन्स के निवेशकर्ता ब्लॉकबस्टर लिस्टिंग का जश्न मना रहे हों लेकिन पब्लिक सेक्टर ईकॉमर्स कंपनी के प्राइज़ वैल्युएशन को देखकर रेलवे नाखुश है।

ई-टिकटिंग फैक्ट :

विश्लेषक स्टॉक्स की दीर्घकालिक संभावनाओं के बारे में उत्साहित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि IRCTC का एक बहुत ही अनोखा बिजनेस मॉडल है। खानपान, ई-टिकटिंग और पैकेज पेयजल में भी इसका एकाधिकार है। ई-टिकटिंग से विचलन पैदा हुआ है क्योंकि सरकार ने गैर-एसी और एसी टिकट पर 15 और 30 रूपये का सेवा शुल्क रोक दिया था।

आगे जाकर यदि यह चार्ज लगता है तो स्थिति और प्रॉफिटेबल हो सकती है। इस स्थिति में वित्तीय वर्ष 21 तक आगम लगभग 240 करोड़ रूपये से लगभग 450 करोड़ रूपये तक दोगुनी हो जाने का अनुमान जताया जा रहा है।

नोट : आर्टिकल बिजनेस जगत की सुर्खियों पर आधारित, आंकड़ों में समयागत अंतर हो सकता है।

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