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सिलीकॅान वैली बैंक मामले में बड़ा खुलासा, सीईओ ग्रेग बेकर ने संकट के ठीक पहले बेच दिए थे 36 लाख डॅालर के शेयर

अमेरिकी बैंक एसवीबी के धराशाई होने के बाद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। बताते हैं बैंक के सीईओ ने बैंक की खराब हालत की घोषणा करने से पहले पेरेंट कंपनी के 36 लाख डॉलर के शेयर बेच दिए थे।

राज एक्सप्रेस। सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) मामले में एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बताया जाता है कि एसवीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ग्रेगरी डब्ल्यू. बेकर ने बैंक को हुई भारी हानि का ऐलान करने से ठीक पहले 36 लाख डॉलर मूल्य के शेयर बेचे थे। ये शेयर एसवीबी की पेरेंट कंपनी एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप के थे। इन शेयरों को सिलीकॅान वैली बैंक के घाटे की जानकारी सार्वजनिक चर्चाओं के दो सप्ताह पहले बेचा गया था। इन शेयरों को योजनाबद्ध ट्रेडिंग प्लान के तहत बेचा गया। सिलिकॅान वैली बैंक में घाटे के ऐलान के बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने में आई।

27 फरवरी को की गई थी शेयरों की बिक्री

बताया जाता है कि ग्रेगरी बेकर ने 27 फरवरी को की गई 12,451 शेयरों की बिक्री एक साल से ज्यादा समय में उनकी पहली बिकवाली थी। रगुलेटरी फाइलिंग से यह जानकारी मिली है। उन्होंने ट्रेडिंग प्लान फाइल किया था, जिसके तहत उन्हें 26 जनवरी को शेयरों को बेचने की इजाजत मिली थी। शुक्रवार को सिलिकॉन वैली बैंक एकदम से धराशाई हो गया। पेरेंट कंपनी के शेयरहोल्डर्स को लेटर भेजने के बाद स्थिति और अनियंत्रित हो गई। इस लेटर में बताया गया था कि कंपनी भारी नुकसान के बाद 2 अरब डॉलर से ज्यादा पूंजी जुटाने की कोशिश करेगी। इस ऐलान के बाद शेयर की कीमतें एकदम नीचे गिरने लगीं। ग्रेगरी बेकर ने निवेशकों से धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने उनकी बात पर गौर नहीं किया।

सवालों पर ग्रेगरी बेकर व बैंक ने साथ रखी है चुप्पी

इइस मामले में किए जाने वाले सवालों पर ग्रेगरी बेकर और सिलीकॅान बैंक ने चुप्पी साध रखी है। उन्होंने शेयर बेचने का निर्णय क्यों लिया या जब उन्होंने ट्रेडिंग प्लान फाइल किया तो क्या तब उन्हें बैंक के पूंजी जुटाने के प्लान की जानकारी थी जैसे सवालों के जवाब न ग्रेगरी बेकर ने दिए न सिलिकान वैली बैंक ने। रेगुलेटरी फाइलिंग से पता चला है कि शेयरों की बिक्री एक रिवोकेबल ट्रस्ट के जरिए की गई, जिस पर ग्रेग बेकर का नियंत्रण है। ग्रेगरी बेकर ने जिस कॉर्पोरेट ट्रेडिंग प्लान का इस्तेमाल किया, वह किसी तरह से गैरकानूनी नहीं है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने 2000 में इस प्लान की शुरुआत की थी। इसे इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए शुरू किया गया था। इसमें यह तय किया गया था कि अगर कोई एग्जिक्यूटिव शेयर बेचना चाहता है, तो वह तय तारीख के अंदर शेयर बेच सकता है। इस मामले में शेयरों को बेचने का समय और कंपनी के हानि के ऐलान का समय मेल खाता है।

10बी5-1 प्लान का इस्तेमाल किया गया

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रेग बेकर ने जिस 10बी5-1 प्लान का इस्तेमाल किया है, उसमें कई खामियां देखने में आती हैं। इसमें अनिवार्य कूलिंग-ऑफ पीरियड की कमी है। पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के वार्टन स्कूल के प्रोफेसर डैन टेलर ने कहा हो सकता है कि ग्रेग बेकर ने 26 जनवरी को जब प्लान की मंजूरी हासिल की तब तक उन्हें कैपिटल जुटाने के प्लान की जानकारी नहीं हो। अगर शेयर बेचने के प्लान के लिए मंजूरी लेते वक्त उन्हें पूंजी जुटाने को लेकर चल रही बातचीत की जानकारी थी, तो यह मामला बहुत गंभीर है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने दिसंबर में ही नए नियम को मंजूरी दी थी। नए नियमों के अनुसार ज्यादातर एग्जिक्यूटिव ट्रेडिंग प्लान में कम से कम 90 दिन का कूलिंग ऑफ पीरियड होना जरूरी है। इसका मतलब यह है कि प्लान के बाद वे नए शेड्यूल के लिए 3 महीने के लिए ट्रेड नहीं कर सकते। यह नियम 1 अप्रैल से लागू होने वाला है।

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