दिवाली बाजार में उम्मीद से ज्यादा बरसा धन, कोविड-19 आशंकाएं निर्मूल साबित

कोविड काल में सार्वजनिक परिवहन साधनों पर लागू प्रतिबंध भी वाहनों की बिक्री में उछाल आने का एक कारण हो सकता है।
सोना-चांदी के अलावा धनतेरस पर बर्तन मार्केट में भी उल्लेखनीय बिक्री देखने को मिली।
सोना-चांदी के अलावा धनतेरस पर बर्तन मार्केट में भी उल्लेखनीय बिक्री देखने को मिली।Social Media
  • हाइलाईट्स –

  • ऑटोमोबाइल सेक्टर की रही चांदी

  • चाइनीज पटाखा कारोबार प्रभावित

  • सोना-चांदी, बर्तन कारोबार में चमक

  • दिवाली पर दिखा बहिष्कार का असर

  • चीन को 40 हजार करोड़ की चपत – CAIT

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस डिजीज-19 (Covid-19) जनित आर्थिक मंदी का असर धनतेरस और दीपावली पर आंशिक रूप से दिखाई दिया। वो तमाम आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं जिसमें कहा जा रहा था कि मौजूदा परिदृश्य में बाजार को तगड़ा नुकसान पहुंचेगा।

कहीं धूप, कहीं छांव –

कोरोना वायरस महामारी के साथ ही इकोनॉमिक स्लोडाउन का असर इस बार रोशनी के त्यौहार दीपावली पर पड़ने की आशंका जानकार जता रहे थे जो निर्मूल साबित हुईं। हालांकि बाजार के कुछ हिस्सों में कहीं धूप तो कहीं छांव वाली स्थिति जरूर देखने को मिली।

पटाखा बाजार को नुकसान –

इस दिवाली कोरोना जनित खतरे और पर्यावरण की चिंता में पटाखा बेचने पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध से पटाखा कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा। जबलपुर के पटाखा व्यापारी शैलेंद्र गुप्ता ने बताया पिछले साल की तुलना में इस साल कम पटाखे बिके। चाइनीज माल के बहिष्कार के कारण सस्ते चाइनीज पटाखे बाजार में कम बेचे गए।

दिल्ली में आतिशबाजी कारोबार से जुड़े लोगों ने इस बार दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में तकरीबन 500 करोड़ के नुकसान का अंदेशा जताया। कर्नाटक के कारोबारियों ने भी कोविड जनित खौफ से इस साल महज 25-30 फीसद व्यापार होने के कारण बड़े नुकसान की बात कही।

आम तौर पर प्रत्येक दिवाली पटाखा कारोबार से जुड़े व्यापारी दिवाली के कुछ दिन पहले से लेकर ग्यारस के दौरान काफी लाभ कमा लेते थे। इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका के साथ ही पर्यावरण की चिंता के कारण दिल्ली समेत देश के लगभग सभी राज्यों में पटाखों की बहुत कम दुकानें लगीं।

पटाखा बेचने के लिए अव्वल तो गिने चुने लोगों को ही पटाखा बेचने का लाइसेंस मिला वहीं स्वास्थ्य और जीवन की चिंता में लोगों ने भी इस दिवाली कम मात्रा में पटाखे खरीदे-फोड़े। चाइनीज माल के बहिष्कार संबंधी जनभावना के कारण भी व्यापारियों ने इस साल पिछले वर्ष की तुलना में चाइनीज पटाखों का स्टॉक जमा न करने में ही भलाई समझी।

चाइनीज माल की तुलना में भारत के पटाखों के दाम अधिक होने के कारण भी लोगों ने पटाखों पर जेब जरा कम ही ढीली की। भारत में जिला एवं तहसील स्तर पर भी पटाखों की गिनती मात्र की दुकानें ही देखने को मिलीं। मतलब पिछले साल की तुलना में पटाखा बाजार में खरीददारी जरा कम ही परवान चढ़ी।

इन बाजारों में चहल-पहल –

गौरतलब है कि इस साल कोरोना के कारण मार्च महीने से लागू लॉकडाउन की वजह से बाजारों में सन्नाटा पसरा था। दैनिक जरूरतों की वस्तुओं के अलावा बाजार की अन्य दुकानों पर लगभग ताला लटका था। पिछले दो माह से दी गई कुछ ढील के बाद भी बाजार लगभग बेपटरी ही था।

इस वजह से भी आशंकाएं बलवती हो रहीं थीं कि इस दिवाली बाजार में खरीददारी अपेक्षाकृत कमजोर रहेगी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मार्केट में सोने-चांदी के आसमान छूते भाव के बावजूद लोगों का रुझान कीमती धातुओं की खरीददारी पर रहा। दिवाली पर लॉकडाउन में छूट मिली तो लोगों ने भी दिल खोलकर खरीददारी की।

देश के अलग-अलग राज्यों में ऑटोमोबाइल सेक्टर में अलग-अलग रुझान देखने को मिला। हालांकि लोगों से मिले प्रतिसाद से इस सेक्टर से जुड़े व्यापारी खुश नजर आए। सोने चांदी के अलावा धनतेरस पर बर्तन मार्केट में भी उल्लेखनीय बिक्री देखने को मिली।

चाइनीज माल पर बहिष्कार का असर -

भारतीय कारोबारियों से ज्यादा भारतीय ग्राहकों, तीज-त्योहारों की नब्ज पहचानने वाले चाइनीज निर्यातकों के उत्पादों पर हालांकि इस फेस्टिव सीजन बहिष्कार का असर जरूर देखने को मिला। चाइनीज माल के बहिष्कार की भावना के बावजूद चाइनीज माल दबे-छुपे बेचा-खरीदा जरूर गया।

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल की जानकारी के मुताबिक चाइना से त्यौहारी सीजन में नवरात्रि से लेकर क्रिसमस तक के दौरान तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपयों के माल की भारत में आसानी से खपत हो जाती थी।

बीते सालों की तुलना में इस साल इस खपत में बहिष्कार का असर साफ तौर पर नजर आया। मंडल का मानना है कि इस स्थिति में अगली दीपावली में चीन को भारत जैसे बड़े बाजार से हाथ धोना पड़ सकता है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर –

देश भर में कोरोना जनित लॉकडाउन के कारण मार्च महीने से ही दो पहिया, चार पहिया वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगने से इसकी बिक्री भी प्रभावित थी। मार्केट के जानकारों के मुताबिक बीते साल के त्योहारी सीजन की तुलना में इस साल धनतेरस पर वाहनों की बिक्री में इजाफा देखने को मिला।

वाहनों की बिक्री मेट्रो शहरों में तो बढ़िया रही लेकिन जिला एवं तहसील स्तर पर कोरोना लॉकडाउन जनित बेरोजगारी से उपजी मंदी का असर भी देखने को मिला। आंकड़ों के मुताबिक बीते साल की तुलना में वाहनों की बिक्री में इस साल 12 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली।

कोविड काल में सार्वजनिक परिवहन साधनों पर लागू प्रतिबंध भी वाहनों की बिक्री में उछाल आने का एक कारण हो सकता है।

बदला खरीददारी का ट्रैंड -

कोरोना के कारण इस साल लोगों के जीवन पर मार्च से उमड़े अनिश्चितता के बादलों के कारण लोग भविष्य की आर्थिक सुरक्षा के प्रति चिंतित नजर आए। अन्य वस्तुओं की अपेक्षा लोगों ने सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं के गहनों को खरीदने या फिर इन पर निवेश में रुचि दिखाई।

इंदौर के सराफा कारोबारी नितिन अग्रवाल के मुताबिक लोगों के बीच हल्के वजन के गहनों को खरीदने का ट्रेंड देखने में आया। इस फेस्टिव सीजन लोगों ने हल्के गहने अधिक पसंद किए। ग्राहकों ने 10 ग्राम के नेकलेस की बजाय 8 ग्राम का हार खरीदना ज्यादा पसंद किया।

बर्तन कारोबार चमका –

धनतेरस पर बर्तन बगैरह खरीदने की परंपरा रही है। इस बार लोगों ने बर्तन खरीदने में रुचि तो दिखाई लेकिन खरीददारों का रुझान ज्यादा समय तक खाद्य सामग्री को सहेज कर सुरक्षित रखने वाले बर्तनों को खरीदने में अधिक रहा। इसे भी कोरोना लॉकडाउन का अनुभव कहा जा सकता है।

इंदौर में बर्तन दुकान के संचालक सक्षम जोशी ने बताया “इस त्योहारी सीजन लोगों ने स्टोरेज वाले बर्तन अधिक पसंद किए। गत त्योहारी सीजन की तुलना में इस दिवाली बर्तन बाजार में तकरीबन 70 प्रतिशत कारोबार हुआ।”

महंगा फिर भी डिमांड –

सुरक्षित निवेश माने जाने वाली कीमती धातुओं सोना-चांदी के अंतरराष्ट्रीय दामों में कोविड-19 जनित त्रासद स्थिति के बाद भी तेजी है। इसके बावजूद ग्राहकों ने इन प्रेशियस मेटल्स पर निवेश करने में उत्सुकता दिखाई। आलम यह रहा कि तेज दाम के बावजूद इस साल इन बहुमूल्य धातुओं की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री हुई।

इंडियन बूलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) की जानकारी के अनुसार पिछले साल फेस्टिव सीजन में धनतेरस पर 30 टन के लगभग सोना बिका था। आशंका थी कि लॉकडाउन के कारण लोगों की जेब में पैसा कम होगा तो कारोबार मंदा रहेगा लेकिन उम्मीद के परे इस साल इसकी बिक्री में बढ़त दिखी।

“इस त्योहारी सीजन बहुत फर्क नहीं पड़ा। लॉकडाउन से जो लोग बाजार नहीं पहुंच पा रहे थे उन्होंने जरूरत की वस्तुएं खरीदीं। तकरीबन 70 से 75 फीसद का कारोबार दिवाली के मौके पर हुआ। बहिष्कार के माहौल के कारण खुद व्यापारियों ने चाइनीज माल नहीं मंगाया। पटाखा और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की खरीदी में नरमी जबकि सोना-चांदी के आइटम्स खरीदने में लोगों ने रुचि दिखाई।”

रवि गुप्ता, अध्यक्ष, महाकौशल चैंबर ऑफ कॉमर्स, जबलपुर

पिछले साल के मुकाबले भाव –

पिछले साल धनतेरस पर सोना का भाव 28,923 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 46,491 रुपए प्रति किलो था। बीते साल की तुलना में इस धनतेरस पर इन कीमती धातुओं का दाम बढ़कर सोना 50,520 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 63,044 रुपये प्रति किलो रहा। इसके बावजूद ग्राहकों से विक्रेताओं को अच्छा प्रतिसाद मिला।

दिवाली पर इतना कारोबार -

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders-CAIT-कैट) की जानकारी के मुताबिक देशभर में दुकानदारों ने इस त्योहारी सीजन 72 हजार करोड़ रुपयों का कारोबार किया।

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि चाइनीज माल के बहिष्कार के कारण भारतीय कारोबार और कारोबारियों को गति मिली। कैट की मानें तो चीन को इस बहिष्कार के कारण लगभग 40 हजार करोड़ रुपयों की चोट पहुंची है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गईं हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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