मुकेश अंबानी ने की कोरोना को लेकर ढिलाई न बरतने की अपील
राज एक्सप्रेस। आज भारत तेजी से कोरोना संक्रमण फैलने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है। यहां, ये वायरस बहुत ही तेजी से अपने पैर पसार रहा है। ऐसे माहौल के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (CMD) मुकेश अंबानी ने अपने एक संबोधन के दौरान देश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को लेकर अपने विचार प्रकट किए और कोरोना को लेकर ढिलाई न देने की अपील की।
मुकेश अंबानी ने की ढिलाई न बरतने की अपील :
दरअसल, भारत के सबसे अमीर व्यक्ति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी के आठवें दीक्षांत समारोह में वर्चुअल शामिल हुए थे। वहीं उन्होंने कोरोना को लेकर ढिलाई न बरतने की अपील करते हुए कहा कि, 'भारत कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर चुका है। ऐसे मौके पर पहुंचकर अब ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। सरकार द्वारा किये गये साहसिक सुधारों से आने वाले वर्षों में तेजी से आर्थिक पुनरुद्धार होगा और तीव्र प्रगति होगी। कोविड-19 के बाद के काल में शानदार वृद्धि दिखाई दे रही है।' उन्होंने स्नातक (Graduate) हो रहे विद्यार्थियों से कहा कि, 'वे घबराहट छोड़ उम्मीद तथा भरोसे के साथ परिसर के बाहर की दुनिया में प्रवेश करें।'
संस्थान के अध्यक्ष है मुकेश अंबानी :
बताते चलें, मुकेश अंबानी इस संस्थान के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने इस समारोह में कोरोना और आर्थिक मंदी जैसे कई विषयों पर बात की। अंबानी ने समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि, 'यह भारत की एक प्राचीन भूमि है और इसने इतिहास में भी कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना किया है। भारत हर बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरा है, क्योंकि लचीलापन लोगों और संस्कृति में गहराई से निहित है। आर्थिक वृद्धि अगले दो दशक में अप्रत्याशित अवसर सृजित करेगी और भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।'
पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने की बात :
पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि, 'वर्तमान समय में दुनिया के समक्ष इस बात की चुनौती है कि क्या हम बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। अभी दुनिया को जितनी ऊर्जा की जरूरत पड़ रही है, इस सदी के मध्य में दुनिया इससे दोगुनी ऊर्जा का इस्तेमाल करेगी। भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा जरूरतें अगले दो दशक में दोगुनी हो जायेंगी। भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ ही स्वच्छ व हरित ऊर्जा की महाशक्ति बनने के दोहरे लक्ष्य को एकसाथ प्राप्त करने की जरूरत है।'
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