NCLAT ने Big Bazaar को किया दिवालिया घोषित, बैंकों की बढ़ी चिंता

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल का एक फैसला आया और 'नए इंडिया का बाजार' Big Bazaar बंद हो गया। दरअसल, अब 'नए इंडिया का बाजार' आपको कहीं नजर नहीं आने वाला है क्योंकि, Big Bazaar अब दिवालिया हो गया है।
Big Bazaar दिवालिया घोषित
Big Bazaar दिवालिया घोषितSocial Media

राज एक्सप्रेस। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) का एक फैसला आया और 'नए इंडिया का बाजार' Big Bazaar बंद हो गया। दरअसल, Big Bazaar की टैग लाइन आपने सुनी ही होगी जो कि, 'नए इंडिया का बाजार', लेकिन अब यह 'नए इंडिया का बाजार' आपको कही नज़र नहीं आने वाला है क्योंकि, Big Bazaar अब दिवालिया घोषित हो गया है।

NCLAT ने Big Bazaar को किया दिवालिया घोषित :

जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने Big Bazaar रिटेल चैन को चलाने वाली कंपनी फ्यूचर रिटेल (Future Retail) को दिवालिया घोषित कर दिया है। NCLT के इस फैसले से अब बैंकों को चिंता सताने लगी है कि, क्या बैंकों के 17 हजार करोड़ डूब जाएंगे ? हालांकि, NCLT ने बैंक ऑफ़ इंडिया (BOI) द्वारा लगाई गई अर्जी को मंजूरी देते हुए Future Retail को दिवालिया घोषित करने की प्रोसेस शुरू हो चुकी है। बता दें, बैंकों को यह चिंता इसलिए सता रही है क्योंकि, Future retail पर बैंकों का लगभग 17 हज़ार करोड़ अब भी बकाया है। Future retail को दिसंबर तक बैंकों का 3494 करोड़ चुकाना था जिसमें वह असमर्थ रहा।

Future Retail को क्यों किया गया दिवालिया घोषित :

बताते चलें, Future Retail को दिसंबर तक बैंकों का 3494 करोड़ की रकम चुकाने में जब असमर्थ रहा। तब कंपनी को NPA बनाये जाने का खतरा होने लगा, इसके बाद बैंकों द्वारा 30 दिन का ग्रेस पीरियड दिया गया है। इस दौरान भी कंपनी ने बैंकों का बकाया भुगतान नहीं किया। जिसके बाद नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने Future Retail को दिवालिया घोषित कर दिया।

NCLT का कार्य :

जानकारी के लिए बता दें, NCLT (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) की स्थापना जून 2016 में की गई थी। इसकी शुरुआत कंपनी अधिनियम 2013 सेक्शन 408 के तहत की गई थी। NCLT का काम किसी भी कंपनी के डिफॉल्ट होने की सूरत में मुख्य भूमिका निभाता है। जिसमें कंपनी के रिवाइव के लिए इन्सॉल्वेंसी प्रोफेसनल नियुक्त किया जाता है, अगर कंपनी 180 दिन में रिवाइव हो जाती है तब तो ठीक है, वरना उस कंपनी को दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। यह कार्रवाई NCLT द्वारा ही की जाती है।

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