NCLAT ने मिस्त्री पर सुरक्षित रखा अपना फैसला

“रतन टाटा ने याचिका में हवाला दिया है कि मिस्त्री को उनकी पेशेवर दक्षता के कारण नियुक्त किया गया था; न कि पालोनजी समूह के सदस्य के तौर पर ऐसे में उनके प्रति निर्णय लेने के लिए कंपनी स्वतंत्र है।”
NCLAT reserved its decision on Mistry
NCLAT reserved its decision on MistryKavita Singh Rathore -RE

हाइलाइट्स :

  • NCLAT ने मिस्त्री पर सुरक्षित रखा अपना फैसला

  • NCLAT ने साइरस को पद से हटाने को बताया था अवैध

  • चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाना भी था गलत

राज एक्सप्रेस। - नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने अपने आदेश में साइरस के चेयरमैन पद के अपने फैसले को सुरक्षित रखा है। NCLAT ने इससे पहले साइरस को पद से हटाने को अवैध बताया था।

मिस्त्री टाटा :

साइर‍स मिस्त्री विवाद पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़(RoC) की अपील पर हुई सुनवाई में, NCLAT ने यह फैसला दिया। RoC ने रतन टाटा-साइरस मिस्त्री विवाद निर्णय में बदलाव के लिए NCLAT में अपील की थी। शुक्रवार को NCLAT ने इस मामले में फैसला सुरक्ष‍ित रखा और यह निर्णय दिया।

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने टाटा ने एनक्लेट के फैसले को गलत बताया:

साइरस मिस्त्री निर्णय को बदलने NCLAT में अपील की थी। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्ष‍ित रखा। आपको पता होगा कि पिछले साल 18 दिसंबर को अपने आदेश में एनक्लेट (NCLAT) ने टाटा सन्स में साइरस मिस्त्री को हटाकर एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने के मैनेजमेंट के डिसीजन को भी गलत बताया था।

एनक्लेट के चेयरमैन जस्ट‍िस एस.जे. मुखोपाध्याय की टू मैंबर बैंच से संकेत मिल रहे हैं कि इस महत्वपूर्ण मामले में सोमवार तक निर्णय आ सकता है। मामले में सभी विभाग अपना पक्ष रख रहे हैं। कॉर्पोरेट मिनिस्ट्री के मुताबिक टाटा सन्स को पब्लिक कंपनी से प्राइवेट बनाने में सभी कार्य वैधानिक हैं। गौरतलब है कि एनक्लेट ने इस बारे में जानकारी चाही थी।

टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने एनक्लेट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में उन्हें पक्षपातपूर्ण फैसले का दोषी माना गया है। अपनी याचिका में टाटा ने एनक्लेट के फैसले को गलत बताकर स्वयं को ठीक बताया है।

ये कहा याचिका में :

रतन टाटा ने याचिका में हवाला दिया है कि मिस्त्री को उनकी पेशेवर दक्षता के कारण नियुक्त किया गया था न कि पालोनजी समूह के सदस्य के तौर पर ऐसे में उनके प्रति निर्णय लेने के लिए कंपनी स्वतंत्र है, क्योंकि पालोनजी समूह एक वित्तीय निवेशक मात्र है।

क्या कहा था एनक्लेट ने :

पिछले साल 18 दिसंबर को एनसीएलएटी ने एन चंद्रशेखरन को कार्यकारी चेयरमैन बनाने पर आपत्ति जताई थी। एनक्लेट ने प्रबंधन के निर्णय को मामले में अवैध बताया था। साथ ही एन्कलेट ने टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइ‍रस मिस्त्री के हटाने को अवैध बताकर उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्त करने कहा था। एन्क्लेट ने तब साफ कहा था कि मिस्त्री को फिर से टाटा सन्स का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया जाए।

इसके पहले साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गईं याचिकाओँ को NCLT की मुंबई शाखा ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद से ही विवाद चर्चा में आ गया। आपको बता दें, सायरस को साल 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से बेदखल किया गया था। जो कि वर्ष 2012 में टाटा सन्स कंपनी के चेयरमैन बने थे।

क्यों हटाया गया?

मिस्त्री को कदाचरण का आरोप लगाकर कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। जो कि अक्टूबर 2016 से कंपनी के सभापति थे। इसके बाद साइरस समूह की कंपनियों को भी टाटा समूह से बाहर निकालने की शुरुआत हो गई थी। जिसके बाद से ये कानूनी प्रक्रिया सभी के सामने आई।

टाटा की बाय-बाय- टाटा समूह ने जो पक्ष रखा है उसके मुताबिक मिस्त्री ने कंपनी के प्रति अपने विश्वास को खो दिया है। साथ ही कंपनी का मानना है कि मिस्त्री कंपनी को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है। टाटा समूह ने मिस्त्री पर कंपनी को नुकसान पहुंचाने का भी गंभीर आरोप लगाया है।

इस पूरे मामले में RoC ने NCLAT में अपील की थी। जिसके बाद नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्ष‍ित रखा।

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