नीति आयोग का 2022 तक आर्थिक वृद्धि दर कोरोना से पहले जैसी होने का अनुमान

नीति आयोग ने अनुमान लगाया है। कि 1 साल में अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ जाएगी। इस बारे में जानकारी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को दी।
NITI Aayog estimated economic growth rate
NITI Aayog estimated economic growth rate Syed Dabeer Husaain - RE

राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ समय से कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देश में भारी आर्थिक मंदी आई थी। हालांकि अब माहौल पहले से काफी सुधर गया है, लेकिन अब अनुमान ऐसा लगाया जा रहा है कि, देश के हालात कोरोना से पहले वाले होने में पूरे एक साल का समय लग जाएगा। पिछले कुछ समय से लगातार जारी काम-काज को देखते हुए नीति आयोग ने अनुमान लगाया है। कि 1 साल में अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ जाएगी। इस बारे में जानकारी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को दी।

निति आयोग का अनुमान :

दरअसल, लॉकडाउन के कारण देश काफी आर्थिक मंदी में आगया था, लेकिन अब निति आयोग ने अनुमान जाहिर करते हुए बताया है कि, देश की आर्थिक वृद्धि दर कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर पर मार्च 2022 तक पहुंच जाएगी। आर्थिक वृद्धि को लेकर यह उम्मीद चालू वित्त वर्ष में GDP की संकुचन दर 8% से कम रहने की संभावना के चलते जगी। बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए चालू वित्त वर्ष के संशोधित पूर्वानुमान में भी आर्थिक वृद्धि दर के गिरावट के अनुमान को 9.5% से घटाकर 7.5% कर दिया है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बताया :

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि, 'भारत की अर्थव्यवस्था 2021-22 के अंत तक कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएगी, राजीव कुमार ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में GDP में 8% से कम गिरावट रहने का अनुमान है। बैंकिंग क्षेत्र का और अधिक विस्तार किए जाने की आवश्यकता है और साथ ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि देश का निजी ऋण से GDP अनुपात काफी कम है।'

संपत्ति के मौद्रिकरण पर हुई चर्चा :

संपत्ति के मौद्रिकरण पर बात करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि, 'यह कार्य मौजूदा समय में जारी है और इसपर उच्चस्तर से ध्यान दिया जा रहा है। हम इस काम को जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि संपत्ति के मौद्रिकरण लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का विनिवेश के माध्यम से 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री से और 90,000 करोड़ रुपये वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी बिक्री से जुटाए जाने की योजना है।'

सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रिकवरी :

बताते चलें, भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष के सितंबर माह की तिमाही में उम्मीद से बेहतर रिकवरी दर्ज की थी। इसमें अहम योगदान विनिर्माण गतिविधियां बढ़ने का रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट घटकर 7.5% रही। इसी प्रकार ही देश में आने वाले समाया में अर्थव्यवस्था में रिकवरी की दर उम्मीद से बेहतर होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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