ब्याज दरों को यथावत रख सकता है आरबीआई

भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को लगातार तीसरी बार यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।
ब्याज दरों को यथावत रख सकता है आरबीआई
ब्याज दरों को यथावत रख सकता है आरबीआईSocial Media

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को लगातार तीसरी बार यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने की वजह से मौद्रिक नीति समिति एमपीसी संभवत: एक बार फिर ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगी। खुदरा मुद्रास्फीति इस समय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। हालांकि, सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी सकल घरेलू उत्पाद, जीडीपी की वृद्धि दर नकारात्मक रही है, जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक अपने मौद्रिक रुख को नरम रख सकता है। इससे आगे जरूरत होने पर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की दो दिन की बैठक दो दिसंबर से शुरू होगी। बैठक के नतीजों की घोषणा चार दिसंबर को की जाएगी। एमपीसी की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक में नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया था। इसकी वजह मुद्रस्फीति में बढ़ोतरी है जो हाल के समय में छह प्रतिशत के स्तर को पार कर गई है। इस साल फरवरी से केंद्रीय बैंक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। कोटक महिंद्रा बैंक समूह की अध्यक्ष उपभोक्ता बैंकिंग शांति बरम ने कहा, मुद्रास्फीति लगातार रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। ऐसे में आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित है। हालांकि त्योहारी सीजन की वजह से उपभोक्ता मांग में उत्साहर्धक सुधार देखने को मिला है।

कटौती की गुंजाइश काफी हद तक समाप्त :

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि रिजर्व बैंक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखेगा। इसी तरह की राय जताते हुए केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश काफी हद तक समाप्त हो चुकी है। रीयल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने का कि रीयल एस्टेट की वृद्धि निचली ब्याज दरों पर टिकी है। ऐसे में हम चाहते हैं कि रेपो दर में कटौती हो।

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