राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर देश के हालातों को देखते हुए अर्थव्यवस्था को लेकर अपने अनुमान के आंकड़े जारी करता है। साथ ही उसके हिसाब से लोन की दरों में भी घट-बढ़ करता है। इसके अलावा बैंकों से जुड़े इस प्रकार के अनेको फैसले लेना का अधिकार RBI के पास हैं। इन्हीं अधिकारों के आधार पर RBI ने 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों या यूनिट्स के लिए खुदरा ऋण सीमा बढ़ाने का फैसला किया है।
RBI ने बढ़ाई खुदरा ऋण की सीमा :
दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश में बने हालातों को मद्देनजर रखते हुए 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों या यूनिट्स के लिए खुदरा ऋण सीमा बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये कर दी है। जबकि पहले यही सीमा 5 करोड़ रुपये की थी। RBI का इस फैसले लेने का उद्देश्य छोटी यूनिट्स के लिए कर्ज प्रवाह को बढ़ाना है। इस बारे में जानकारी देने के लिए RBI ने एक विज्ञप्ति जारी की हैं। जिसमे साफ तौर पर कहा गया कि,
50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले व्यक्तिगत और छोटी कंपनियों के लिए कर्ज की लागत में कमी लाने और बासेल दिशानिर्देश के अनुरूप करने के लिए, सकल खुदरा कर्ज के लिए पांच करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये करने का निर्णय किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
अन्य घोषणा :
75% जोखिम भारांश सभी नए कर्ज और मौजूदा ऋण पर लागू होगा।
कंपनियां बैंक से 7.5 करोड़ रुपये की संशोधित सीमा तक और कर्ज ले सकेंगी।
5 करोड़ रुपये की सीमा बढ़ाकर 7.5 करोड़ रुपये की गई।
RBI गवर्नर की घोषणा :
बताते चलें, 9 अक्टूबर को मौद्रिक नीति सिमिति की बैठक होने के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इसकी घोषणा कर कहा था कि, 'एक सितंबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक SLR (Statutory Liquidity Ratio) प्रतिभूतियों के लिए 'हेल्ड टू मैच्युरिटी' के तहत बढ़ी हुई सीमा 22% की व्यवस्था को 31 मार्च 2022 तक रखने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है।'
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